त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)
एक ऐक्सिडेंट हो जाता है. भीड़ जमा हो जाती है. अपनी-अपनी राय देने लगती है. यह कहानी उस दुर्घटना में ...
एक ऐक्सिडेंट हो जाता है. भीड़ जमा हो जाती है. अपनी-अपनी राय देने लगती है. यह कहानी उस दुर्घटना में ...
भीष्म साहनी की कहानी भाग्यरेखा. एक बाग़, कुछ बेरोज़गार, एक ज्योतिषी और अलसाई सी दोपहर. भाग्य रेखा देखकर कैसे दिन ...
दो बूढ़ी महिलाएं लंबे समय बाद मिलती हैं. बातचीत की सिरा यहां से वहां भटकते रहता है. वे पुरानी बातों ...
आप दुनिया में कहीं भी चले जाएं, पर अपने देश की बातें और यादें पीछा नहीं छोड़ती हैं. भीष्म साहनी ...
दुनिया में ममता से बड़ी दूसरी कोई ताक़त नहीं है. एक बच्चा और दो मांएं. भीष्म साहनी की यह इमोशनल ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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