ईंधन: गुलज़ार की कविता
वक़्त का चूल्हा जलते रहने के लिए ईंधन मांगता है. गुलज़ार साहब की कविता ईंधन उपलों की टेक लेकर बचपन ...
वक़्त का चूल्हा जलते रहने के लिए ईंधन मांगता है. गुलज़ार साहब की कविता ईंधन उपलों की टेक लेकर बचपन ...
मां और बेटी दो अलग-अलग पीढ़ियों और सोच का प्रतिनिधित्व करती हैं. बावजूद एक समय के बाद हर बेटी अपनी ...
मां की महानता का वर्णन करने के लिए सबसे घिसी-पिटी कहावतों में एक है ‘भगवान हर जगह नहीं रह सकता ...
सत्ता के भ्रष्ट होने पर जनता के सामने क्या विकल्प बचते हैं? श्रीकांत वर्मा की कविता तीन विकल्प सुझा रही ...
समय और संवेदना को ख़ूबसूरत अल्फ़ाज़ देनेवाले कवि ऋतुराज की कविताएं आपको भावनाओं की यात्रा पर ले चलती हैं. कविता ...
दुनिया में कई काम महज़ रस्म अदायगी के लिए कर दिए जाते हैं. जावेद अख़्तर की यह कविता इसी रस्म ...
प्रकृति, विज्ञान और ईश्वर को एक धागे में पिरोती हुई रामधारी सिंह की यह सुंदर रचना छोटी होते हुए भी, ...
राजनीति और समाज की विसंगतियों पर तंज करते दुष्यंत कुमार के ग़ज़ल संग्रह साये में धूप के शेर आपको सोचने ...
गुलज़ार साहब की कविताएं जाने-पहचाने शब्दों को नए मायने देती हैं. आंखों के सामने नए दृश्य खींच देती हैं. वो ...
इंसान रिश्तों को निभाना चाहता है, जीवन को जीना चाहता है. सुख-दुख, मीठा-खट्टा जीवन का हर अनुभव लेना चाहता है, ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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