अनपढ़ राजा: हूबनाथ पांडे की कविता
क्या होता है जब लोकतंत्र में भी लोग राजा चुनने लगें और तीस पर वो राजा अनपढ़ हो... यह कविता ...
क्या होता है जब लोकतंत्र में भी लोग राजा चुनने लगें और तीस पर वो राजा अनपढ़ हो... यह कविता ...
आज के समय में जन्म लेने वाले हज़ारों-हज़ार बच्चे कुछ राजनेताओं की ज़िद के चलते होने वाले युद्धों और उससे ...
ईसा मसीह के बलिदान दिवस अर्थात गुड फ्रायडे का महत्व केवल ईसाई धर्म में ही नहीं है, बल्कि पूरी मानवता ...
बापू यानी हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनके दौर से ही लोग मामू बनाते आए हैं. आज भी बापू का ...
कविता ‘उसकी मर्ज़ी’ दुनिया में हो रहे ज़ुल्म और नाइंसाफ़ी के प्रतिरोध में उस शक्ति या सत्ता से सवाल है, ...
हम एक ऐसे राष्ट्र हैं, जिसने अपने पिता की हत्या की. पर हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी मरने के बाद भी ...
आज के भारत में महात्मा गांधी (बापू) की तलाश कर रही है हूबनाथ पांडे की कविता ‘बापू’. मैं जब तक ...
धरती हमें इतना कुछ देती है, क्या हमें भी इसे कुछ नहीं देना चाहिए? बता रही है हूबनाथ पांडे की ...
बुआ-फूफा का 65 साल का साथ था. विवाहित जोड़े का साथ कितना भी लंबा हो, किसी एक तो पहले जाना ...
यूं तो कहने के लिए कवि हूबनाथ पांडे की यह कविता है, पर इसका एक-एक शब्द देश की दशा बयां ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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