एक वृक्ष भी बचा रहे: नरेश सक्सेना की कविता
वृक्ष हमारी स्वार्थपरकता का साक्षात गवाह है. जब तक हम जीवित रहते हैं, उसके फल, फूल, छाया का आनंद लेते ...
वृक्ष हमारी स्वार्थपरकता का साक्षात गवाह है. जब तक हम जीवित रहते हैं, उसके फल, फूल, छाया का आनंद लेते ...
हम भारतीय अपने पुरुषत्व को लेकर कितने सजग रहते हैं, पंकज चतुर्वेदी की यह कविता बिना दिल के होते जा ...
अकेली रह रही औरतें, अपनी प्रतिभा के दम पर घर के बाहर नाम कमाती औरतें समाज की नज़रों में हमेशा ...
उर्दू शायरी को उसकी नफ़ासत के लिए जाना जाता है. उर्दू शायर शायरी के अपने सलीके के लिए जाने जाते ...
ट्रैजिडी क्वीन मीना कुमारी की निजी डायरियों के वारिस गुलज़ार साहब ने उनके लिए एक छोटी-सी कविता ‘शहतूत की शाख़ ...
आज के भारत में महात्मा गांधी (बापू) की तलाश कर रही है हूबनाथ पांडे की कविता ‘बापू’. मैं जब तक ...
धरती हमें इतना कुछ देती है, क्या हमें भी इसे कुछ नहीं देना चाहिए? बता रही है हूबनाथ पांडे की ...
‘बुलाती है मगर जाने का नहीं’ दिवंगत शायर राहत इंदौरी की मशहूर ग़ज़लों में एक है. यह ग़ज़ल दुनियादारी की ...
मरहूम गीतकार-कवि गोपालदास नीरस की दार्शनिकता उनकी लंबी कविता कारवां गुज़र गया में महसूस की जा सकती है. स्वप्न झरे ...
क्या होता है पानी होना? क्या है पानी का हमारे जीवन में महत्व? पानी, प्रकृति और इंसान के आपसी संबंध ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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