तुम आयीं: केदारनाथ सिंह की कविता
प्रेम की मिठास और कड़वाहट का स्वाद एक साथ चखाती है केदारनाथ सिंह की कविता तुम आयीं. तुम आयीं जैसे ...
प्रेम की मिठास और कड़वाहट का स्वाद एक साथ चखाती है केदारनाथ सिंह की कविता तुम आयीं. तुम आयीं जैसे ...
एक ऐसे समय में जब हम यह मानकर चलने लगे हैं कि हम हैं तो दुनिया है, केदारनाथ सिंह की ...
अगर आपसे कोई पूछे कि आपकी सबसे बड़ी पूंजी क्या है? आप क्या जवाब देंगे? एक कवि की नज़र में ...
दुनिया में भूख से बड़ी कोई ज़रूरत नहीं है. भूख का इंतज़ाम करने के लिए एक बढ़ई लकड़ी चीर रहा ...
दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में एक बनारस की दार्शनिक व्याख्या करती है केदारनाथ सिंह की कविता ‘बनारस’. शिव की ...
आप दुनियाभर की दौलत कमा लें, पर सांसों से बड़ी दूसरी कोई पूंजी नहीं हो सकती. केदारनाथ सिंह की इस ...
कई बार कुछ चीज़ें, बिना कुछ कहे, बहुत कुछ कह जाती हैं. केदारनाथ सिंह की इस कविता में सभा ख़त्म ...
शहर हमें ज़्यादा से ज़्यादा सुख, सुविधा और आज़ादी के सपने दिखाता है, और बदले में बहुत कुछ छीन लेता ...
हिंदी के जेष्ठ कवि केदारनाथ सिंह अपनी कविताओं के माध्यम से छोटी-छोटी चीज़ों की बेचैनियों को स्वर देते हैं. कविता ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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