वादा: मीनाक्षी विजयवर्गीय की कहानी
परिवार कहने को तो दुनिया का सबसे प्यारा शब्द है, पर क्या क़रीब से भी यह शब्द उतना ही प्यारा ...
परिवार कहने को तो दुनिया का सबसे प्यारा शब्द है, पर क्या क़रीब से भी यह शब्द उतना ही प्यारा ...
कई बार रिश्तों को जोड़ने वाली घटनाएं और कड़ियां इतनी मामूली-सी होती हैं, जिनके बारे में हम सोच भी नहीं ...
यह कहानी है एक बिन मां की लड़की की, जिसका बचपन और यौवन दोनों ही मुश्क़िल रहे. प्यार की तलाश ...
कई बार जाने, अनजाने हम अपने आप पर घमंड करने लग जाते हैं. हमें लगता है कि हम बहुत अच्छे ...
लड़की वह पौधा है, जिसे एक जगह अपनी जड़ें जमाने के सालों बाद, उखड़ाकर दूसरी जगह रोप दिया जाता है. ...
कुछ चीज़ें अपने साथ यादों की पोटली लेकर चलती हैं. कहानी प्रतियोगिता फ़िक्शन अफ़लातून में लेखिका राजुल अशोक की इस ...
मालकिन दीपा और सचहचरी सहायिका मीरा की बोरियत से भरती जा रही ज़िंदगी में तब रोमांचक आश्चर्य की एंट्री होती ...
प्यार करने से भी ज़्यादा ज़रूरी है, प्यार को बरकरार रखना. भरोसे की उस डोर को टूटने और छूटने न ...
क्रांतिकारी हमेशा दूसरों के घर में ही अच्छा लगता है. यह सच्चाई उस लड़की से बेहतर कौन जान सकता है, ...
ज़िंदगी के छोटे-छोटे क़िस्से ज़िंदगी और ज़िंदा रहने की अहमियत बता देते हैं. मीनाक्षी विजयवर्गीय की इस रोचक कहानी में ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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