बहुत नहीं सिर्फ़ चार कौए थे काले: भवानी प्रसाद मिश्र की कविता
यूं तो इस कविता को कवि ने बरसों पहले लिखा था, लेकिन इसका आज के समय से बहुत साम्य है. ...
यूं तो इस कविता को कवि ने बरसों पहले लिखा था, लेकिन इसका आज के समय से बहुत साम्य है. ...
क्या होता है जब लोकतंत्र में भी लोग राजा चुनने लगें और तीस पर वो राजा अनपढ़ हो... यह कविता ...
आज भी हमारे देश में लड़कियों का पालन-पोषण इस ढंग से किया जाता है कि जीवन का तमाम हिस्सा जी ...
हमारे देश का हर व्यक्ति श्री राम में आस्था रखता है, पर सियासत ने ऐसी चाल चली कि न जाने ...
सियासत में जब भेड़ चाल में आवाम को चलाए जाने की बात होती है या फिर रिश्तों में सही-गलत या ...
देश की प्राचीन व पवित्र मानी जाने वाली सात नदियों में से एक है नर्मदा नदी, जो मध्य प्रदेश और ...
मन बहुत चंचल होता है, इतना कि कभी-कभार तो हम ख़ुद भी नहीं समझ पाते कि आख़िर यह चाहता क्या ...
हर व्यक्ति की ज़िंदगी में कई इम्तिहान आते हैं, उतार-चढ़ाव आते हैं, प्रेम आता है और कई बार हम इनमें ...
एक ऐसी कविता, जो इन दिनों देश की किसी भी समस्या के फौरी हल ढूंढ़ निकालने की सियासती आदत की ...
जानेमाने समाजसेवी व गांधीवादी हिमांशु कुमार की यह कविता मॉब लिंचिंग की ओर ध्यान आकर्षित कराती है. इस संवेदनशील कविता ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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