अपने होने का हम इस तरह पता देते थे: राहत इंदौरी की ग़ज़ल
बदलते वक़्त और हालात को ख़ूबसूरती और सच्चाई से रेखांकित करती मरहूम शायर राहत इंदौरी की ग़ज़ल इत्मीनान से पढ़ने ...
बदलते वक़्त और हालात को ख़ूबसूरती और सच्चाई से रेखांकित करती मरहूम शायर राहत इंदौरी की ग़ज़ल इत्मीनान से पढ़ने ...
वफ़ा और बेवफ़ाई वो दो चीज़ें हैं, जिनसे उर्दू शायरी को खाद-पानी मिलता है. इन्हीं दोनों के इर्द-गिर्द सिमटी यह ...
जो जैसा दिखता है वह होता नहीं, दुनिया के कई-कई चेहरे और चरित्र हैं. राहत इंदौरी की यह ग़ज़ल दुनिया ...
बिना सोचे-समझे बोलनेवालों और ख़ुद को बहुत कुछ समझनेवालों के लिए अपनी आज़माइश करने के पैमाने तय करती दिवंगत राहत ...
‘बुलाती है मगर जाने का नहीं’ दिवंगत शायर राहत इंदौरी की मशहूर ग़ज़लों में एक है. यह ग़ज़ल दुनियादारी की ...
मरहूम शायर राहत इंदौरी की यह ग़ज़ल उनके द्वारा पढ़ी गई सबसे लोकप्रिय ग़ज़लों में एक है. हिंदुस्तान पर सबके ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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