मुझे अच्छी तरह से पता है कि आप भी इस सच्चाई से इनकार नहीं कर पाएंगे कि मीठे के नाम से भी बिदकने वाले लोगों से भी अगर पूछा जाए कि गुलाब जामुन खाओगे? तो सामने वाला कह ही देगा अच्छा आप इतना कह रहे हैं तो एक ले लूंगी/लूंगा. है ना! बिल्कुल ऐसा ही जादू गुलाब जामुन में…
सोचिए तो ज़रा छोटे गेज़ पर चलने वाली एक ट्रेन है. अन्दर बैठे लोग भी जानते हैं कि ये ट्रेन आराम से चलेगी और आराम से ही पहुंचाएगी भी. फिर भी अन्दर बैठे लोगों के चेहरों पर शिकन नहीं है. छुक-छुक करती ट्रेन धीरे-धीरे बढ़ रही है और बढ़ रही लोगों के मन में वह चाह… चाह उन रसभरों को देखने की, उनका स्वाद महसूस करने की. ट्रेन अब एक स्टेशन पर रुक गई है. छोटी-सी जगह है. नाम है फ़तेहाबाद. इतनी छोटी जगह कि जितनी रौनक स्टेशन पर है, वही उस जगह की सबसे ज़्यादा रौनक है. हर जगह से आवाज़ आ रही है गुलाब जामुन- गुलाब जामुन. लोग टोकरों में जामुन का स्टील का डब्बा और पत्तों से बने दोने लेकर घूम रहे हैं और डब्बे में बैठे सभी लोग उनसे गुलाब जामुन ले रहे है. यह मध्यप्रदेश का सालों पुराना हाल है! फ़तेहाबाद के गुलाब जामुन इतने फ़ेमस थे कि उनको खाने के लिए लोग इस ट्रेन में बैठा करते थे और मन भर के गुलाब जामुन खाया करते थे. इसके पीछे उन्हें दो घंटे का सफ़र चार घंटे में होने पर भी अखरता नहीं था. अब तो ख़ैर वह ट्रेन न जाने कब की बंद हो गई. मीटर गेज की वह ट्रेन भी अब नहीं चलती और शायद ट्रेन का रूट भी बदल गया है. बाक़ी रह गई हैं तो बस यादें, जो लोगों के ज़हनमें हैं.. और हैं गुलाब जामुन, जो पूरे देश में पसंद किए जाते हैं.
आप अगर देश के लोगों की पसंदीदा मिठाई का सर्वे करवाएंगे तो मुझे लगता है ज़्यादातर लोग गुलाब जामुन पर सहमत हो जाएंगे. अब आप ख़ुद ही सोचिए बचपन से आख़िर हम ऐसे ही थोड़ी एक दूसरे से पूछते चले आ रहे हैं कि अच्छा एक मिठाई का नाम बताओ जिसमें फल और फूल दोनों शामिल है…
अब मैं इंदौर के सराफ़ा की बात करूंगी तो आप कहेंगे लो फिर इंदौर की बात… तो चलिए नहीं करते इंदौर की बात, महाकाल की नगरी उज्जैन की बात करते हैं या आप अपने आसपास के किसी शहर की बात कर लीजिए जहां कड़ाहों में लाल चमकदार मोतियों से गुलाब जामुन चाशनी में डूबे आपका इंतज़ार करते हों… आ गया न मुंह में पानी! गुलाब जामुन चीज़ ही ऐसी है- जी ललचाए रहा न जाए टाइप की.
कैसे कैसे रूप: गुलाब जामुन आपको मुख्यत: गोल ही मिलेंगे. बस अलग-अलग जगह के गुलाब जामुन का साइज़ अलग होगा- एक बड़े मोती से लेकर निम्बू के साइज़ के गुलाब जामुन देखने को मिलेंगे. और खानेवाले इनको इतनी चीज़ों के साथ खाते हैं कि आप बस देखते रह जाइए, पर सबसे ज़्यादा प्रचलित है रबड़ी-गुलाब जामुन और गुलाब जामुन और आइस क्रीम का कॉम्बिनेशन. आपको जानकार शायद आश्चर्य हो कि राजस्थान में तो गुलाब जामुन की सब्ज़ी भी मिलती है. काला जामुन, जिसे काला जाम भी कहा जाता है, उसे भी देशभर में ख़ासा पसंद किया जाता है.
इतिहास के झरोखे से: अपनी कुर्सियों की पेटियां बांध लीजिए, दम साधकर बैठ जाइए और हां जिस मोबाइल में आप इसे पढ़ रहे हैं, उसे भी संभालिएगा, क्योंकि ख़ुशी की ख़बर ये है कि आज जिसे हम गुलाब जामुन कहते हैं, उसे भारत की ही देन माना जाता है! लेकिन इस मिठाई की जड़ें पर्शिया में मानी जाती हैं. गुलाब जामुन अरब की एक मिठाई लुक्मत अल कादी से मिलता-जुलता है, जो मुगलों के साथ भारत आई थी. कहा तो ये भी जाता है की मुग़ल काल में है शाहजहां के समय गुलाब जामुन का जन्म हुआ, पर इस बात के ख़ास प्रमाण नहीं मिलते.
आपको जानकार आश्चर्य होगा की गुलाब जामुन का नाम सच में गुलाब (फूल ) और जामुन (फल) के नाम से ही पड़ा. गुलाब जहां पर्शिया का शब्द है, वहीं जामुन हिन्दुस्तानी शब्द है.
त्यौहारों की जान है गुलाब जामुन: दिवाली आई, गुलाब जामुन बनेंगे; राखी आई, होली आई दशहरा आया तो भी गुलाब जामुन बनेंगे. और जो बनाएगा नहीं वो बाज़ार से लाएगा पर गुलाब जामुन शामिल ज़रूर होंगे हर ख़ुशी में. त्यौहारों के समय बाज़ारों में गुलाब जामुन का मावा आसानी से नहीं मिलता, ऐसी ग़ज़ब लोकप्रियता है इस मिठाई की. रुकिए, रुकिए अब आप कहेंगे गुलाब जामुन का मावा मतलब? वैसे तो मैं क्या मतलब ही समझाऊं, आप अपनी मम्मी से पूछ लेंगे तो भी पता चल जाएगा कि गुलाब जामुन का मावा स्पेशल होता है, उसमें से घी बिलकुल अलग नहीं किया गया होता. और ये फरियाली भी होते हैं, जिन्हें अरारोट मिलाकर बनाया जाता है. आजकल तो काफ़ी लोग बाज़ार में मिलने वाले रेडी मिक्स से भी गुलाब जामुन बनाने लगे हैं.
क़िस्से गुलाब जामुन के: मिठाइयों में मुझे कुछ ही मिठाइयां पसंद हैं, जिनमें से गुलाब जामुन एक है. जब मैं बहुत छोटी थी मम्मी की बड़ी बुआजी के घर गई थी एक बार. उनके घर के गुलाब जामुन मुझे इतने अच्छे लगे की आज भी मैं उन्हें गाहे-बगाहे याद कर लेती हूं. अब वो बुआजी तो नहीं रहीं, पर हर बार गुलाब जामुन की बात हो तो मुझे वो याद आती हैं, हालांकि गुलाब जामुन जिसने बनाए थे वो उनकी बहुएं थीं और मैं उन्हें भी गुलाब जामुन के लिए ज़रूर याद करती हूं. कुछ यादें आपके ज़हन में हमेशा के लिए चस्पां हो जाती हैं और ये मेरी उन्ही यादों में से एक है. आपके भी तो कुछ क़िस्से होंगे न गुलाब जामुन से जुड़े या ऐसी ही कोई याद होगी भोजन से जुड़ी हुई तो हमें ज़रूर बताइएगा इस आई डी पर: [email protected]
तो अब आप बनाइए या फिर बाज़ार से लाइए, खाइए और खिलाइए गुलाब जामुन और त्यौहारों का मज़ा लीजिए. हम जल्द ही मिलेंगे…
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट