दुनियाभर का सबसे लोकप्रिय, स्वादिष्ट, खाने में आसान और जेब पर सबसे कम भारी पड़ने वाला फल क्या है? जवाब है केला और हमें पता है कि आप इससे पूरी तरह सहमत होंगे, है ना? पर क्या आपने कभी केले के छिलके को त्वचा की झुर्रियां कम करने के लिए आज़माया है? क्य कह रहे हैं? नहीं! तो अब से आप ऐसा ज़रूर करेंगे/करेंगी, क्योंकि आज डॉक्टर दीपक आचार्य हमें केले के छिलके के इसी इस्तेमाल के बारे में बता रहे हैं
दुनियाभर में सबसे पॉपुलर फ्रूट की बात हो तो केले का ही नाम लिया जाएगा. केला मुझे भी बेहद पसंद है, वजहें कई हैं: आलस लोगों को वो फल अच्छे लगते हैं, जिन्हें फट्ट से छीलो और सट्ट से खाओ. यही वाला काम अच्छा लगता है, हालांकि इस दर्जे का आलसखोर तो नहीं हूं मैं, फिर भी मेरे लिए तुरंत वाली भूख मिटाने का सॉलिड जुगाड़ हमेशा केला ही होता है.
केला आप भी ख़ूब खाते होंगे, लेकिन छिलकों को सीधे डस्टबिन का रास्ता दिखा देते हैं, है ना? फ़ेस्टिवल का दौर आ चुका है, अब इस दौर में आप भी केले ख़ूब खाएंगे. आज बता रहा हूं आपको इनके छिलको के बारे में. क्या आपको पता है, केले के छिलकों के भी कई ख़ास औषधीय गुण होते हैं?
औषधीय गुणों से भरा है केला और उसका छिलका भी
अक्सर घूमते फिरते और देसी ज्ञान इकट्ठा करते हुए कई बार केले के बारे में टुकड़ों-टुकड़ों में कई अनोखी जानकारियां मिली हैं. कभी पता चला कि पके हुए केले के छिलके का अंदरूनी हिस्सा चेहरे पर मसलने और रगड़ने से चेहरे से झुर्रियां (रिंकल्स) दूर होते हैं और चेहरे पर निखार भी आता है.
कभी आपके इस दोस्त को किसी ने बताया कि केले का अंदरूनी हिस्सा बंद आंखों के ऊपर चारों तरफ़ रखा जाए तो आंखों के निचले हिस्से पर बन आई सूजन या बैग्स को कम करने में मदद मिलती है. एक बार एक दोस्त की दादी ने ये तक भी बताया था कि चेहरे पर बन आए मुहांसों पर पके केले का अंदरूनी हिस्सा मसला जाए तो उन्हें दूर किया जा सकता है. हरियाणा के एक हर्बल जानकार मित्र ने अपने अनुभवों के आधार पर बताया था कि सोरायसिस के रोगियों की स्किन पर भी इसे लगाने से उनके शरीर में ठंडक आती है, आराम मिलता है. मस्सा (वार्ट) बन आया हो तो रोज़ रातभर के लिए पके हुए केले का टुकड़ा उस पर लगाकर रखा जाए तो धीरे-धीरे ये त्वचा से अलग होकर गिर जाता है. बाप रे, इत्ते सारे गुण? कमाल का है अपने देश का ज्ञान और जनता अभी तक बेख़बर, गज्जब बात है जी. ये सारी जानकारियां पारंपरिक ज्ञान पर आधारित हैं और शायद इन पर क्लिनिकल स्टडीज़ ना हुई हों, लेकिन लॉजिक्स की बात की जाए तो इन देहाती नुस्खों पर काफ़ी हद तक यक़ीन किया जा सकता है.
अब स्टडीज़ की बात की है तो…
‘जर्नल ऑफ़ फ़ंक्शनल फ़ूड’ में 2018 में एक रिव्यू लेख छपा था, उसमें छपी रपट से जानकारी मिलती है कि केले के छिलकों में भरपूर मात्रा में फ़िनॉलिक्स कंपाउंड पाए जाते हैं. ये वही कंपाउंड्स हैं, जो ऐंटीमाइक्रोबियल और ऐंटीइन्फ़्लेमटॉरी होते है. छिलकों में बायो-ऐक्टिव कंपाउंड कैरोटीनॉइड्स और पॉलीफ़िनॉल्स भी पाए जाते हैं, जो काफ़ी हद तक हमारी त्वचा की सेहत के लिए महत्वपूर्ण होते हैं. मैं सोचता हूं कि जो पारंपरिक ज्ञान है और जिसे लोगों ने सैकड़ों सालों से आज़माया है, आप भी आज़माकर देख सकते हैं. ट्राय तो मारो जी, प्राकृतिक इन्ग्रीडिएंट्स को इस तरह ट्राइ करने में आख़िर कोई बुराई नहीं.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट