इस व्यंग्य में घटनाएं हमारे आसपास की हैं और हमें झकझोरने के लिए ही लिखी गई हैं. अत: यह डिस्क्लेमर डालने की कोई ज़रूरत नहीं है कि किसी जीवत या मृत व्यक्ति से इसका कोई संबंध नहीं है और ऐसा होना महज़ इत्तिफ़ाक होगा, क्योंकि भावना प्रकाश के साथ साथ हमारा भी यही मानना है कि किसी मुर्गे को तो पहल भी करनी होगी और मनन भी करना होगा, तभी हालात बदलेंगे.
जंगल से बंदर अक्सर शहर जाता रहता था और वहां से कुछ न कुछ उठा लाता था जो बहुत दिनों तक जानवरों का खिलौना बना रहता था. इस बार वह एक माइक उठा लाया. माइक भी ऐसा-वैसा नहीं, बैटरी ऑपरेटेड और हाई फ्रीक्वेंसी वाला माइक. उसने माइक उस ऊंचे टीले पर छोड़ दिया जिस पर चढ़ कर मुर्गे बाबा बांग दिया करते थे. वो जानवरों के आलस्य और प्रमाद से बहुत दुखी रहते थे. लोगों को जगाना उनका स्वभाव था पर उनकी बात बहुत छोटे दायरे तक पहुंच पाती थी.
उस दिन सुबह सवेरे जब उन्होंने बांग दी तो उनकी आवाज़ बंदर द्वारा खेलकूद में ऑन करके छोड़ दिए गए माइक के जरिए बड़े दायरे तक पहुंच गई. आवाज़ सुनकर सारे जानवर उठ बैठे. वे उस टीले के पास ये जानने के लिए एकत्र हो गए कि मुर्गे बाबा क्या कहना चाहते हैं. मुर्गे बाबा तो आनंद विभोर हो गए. उन्हें ये जागरण उनकी वर्षों की तपस्या का फल या कोई ईश्वरीय चमत्कार लगा. उन्होंने लोगों को प्रातः जागरण का महत्त्व क्या बताया जानवर जंगल में फैली अराजकता और कुशासन का रोना रोने लगे. फिर क्या था मुर्गे बाबा के भीतर सोया क्रांतिदूत जाग उठा.
उन्होंने सबको बताना शुरू किया कि कैसे सुबह सुबह हलके धुंधलके में ही मांसाहारी जानवर शिकार पर निकल पड़ते हैं. वे उनींदे और असावधान जानवरों को अपना शिकार बनाते हैं. तुम लोग शेर को राजा मानते हो, उसकी जी हुजूरी करते हो, उसे टैक्स चुकाते हो, यही तुम्हारी सबसे बड़ी गलती है. तुम शेर को महत्त्व देना छोड़ दो. स्वयं अपने व्यवस्थापक बनो. देखो सब कुछ ठीक हो जाएगा. मन से जागो, समय पर जागो. संगठित हो और परिवर्तन लाओ.
उस दिन से जंगल के शाकाहारी जानवरों में नया जोश आ गया. वे समय पर जागने लगे, सतर्क और सावधान रहने लगे. गीदड़ों और लोमड़ियों की तो नींद उड़ गई. वे हड़बड़ाए हुए से शेर पास पहुंचे और सारी बात कह सुनाई. शेर ठहाका मार कर हंसा और बोला चिंता की कोई बात नहीं है कुछ दिनों का तूफान है जल्द ही थम जाएगा. शेर की लापरवाही और अहंकार से चिंतित हो वे मंत्री बाघ के पास पहुंचे. सारी बात सुनकर बाघ की बांछे खिल गईं. इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाने के लिए उसने गीदड़ और लोमड़ी से कहा, तुम्हें तो टुकड़ों पर ही जीना है, वो शेर फेंके या मैं क्या फ़र्क़ पड़ता है. उनके सब समझ में आ गया.
दूसरे दिन से गीदड़ ने मुर्गे के जाने के बाद सभा की कमान सम्हाल ली. जैसे ही मुर्गे बाबा जागृति और परिवर्तन का पाठ पढ़ा कर जाते, गीदड़ माइक उठा लेता. वो कहता जागृति का मतलब है कि सोचो शेर ने तुम्हारे लिये क्या किया और परिवर्तन का मतलब है सत्ता परिवर्तन.
‘अपना व्यवस्थापक ख़ुद होने का मतलब है कि…’ सभा में गिलहरी ने कहना चाहा तो गीदड़ बात काट कर स्वर में मिस्री घोलकर बोला- ‘मेरी प्यारी बहना तुम्हें व्यवस्था का मतलब पता है?’ साथ ही वो और सभा में बैठे दूसरे गीदड़ इतनी जोर से हंसे कि सबको लगा ये हंसने की बात है.
लोमड़ी ने घर-घर जाकर लोगों को समझाना शुरू किया कि शेर के बजाए बाघ को राजा होना चाहिए. शेर के अत्याचारों से तुम्हे बाघ ही बचा सकता है.
‘लेकिन मुर्गे बाबा तो शेर नहीं, मांसाहारी जानवरों की बात करते हैं,’ खरगोश ने बात काटने का प्रयास किया.
‘अरे, मुर्गे बाबा ने क्या कहा? यही न कि राजा की जी हुजूरी बंद करो’. राजा कौन है? शेर. और शेर मांसाहारी है. तो मांसाहारी से उनका मतलब शेर ही था,’ लोमड़ी ने अपनी लार पर नियंत्रण रखते हुए खरगोश को पुचकार कर जवाब दिया.
मंत्री बाघ ने भी जानवरों को उनका भला-बुरा समझाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उसने अपने ओजस्वी भाषणों में बताया कि वो क्या-क्या करना चाहता है जो शेर उसे करने नहीं देता. सारे जानवर बाघ के व्यक्तित्व पर मुग्घ हो गए. बेचारा इतने सालों से मंत्री बनकर उनकी सेवा कर रहा है और उन्होंने अभी तक उसे समुचित सम्मान नहीं दिया, ये सोचकर सबको ग्लानि हो रही थी. फिर क्या था, वो हुआ जो पहले कभी नहीं हुआ था. अजब नज़ारा था. सदियों से शेर की जी हुज़ूरी करने वाला मंत्री बाघ राजा बनकर गर्व से तना खड़ा था और राजा शेर सिर झुकाए चुपचाप जंगल से बाहर जा रहा था. अब राजा बदल गया था और जानवर खुश थे कि माहौल भी जल्द ही बदल जाएगा.
दूसरे दिन अपनी इस सफलता पर झूमते जानवर मुर्गे के पास पहुंचे और एक साथ बोले-‘हम संगठित हो गए, हम जाग गए, हमने परिवर्तन ला दिया. हम सब ने एकजुट होकर शेर को जंगल से निकाल दिया. इस काम में हमारी मदद बाघ ने की. अब हमने उसे राजा बना दिया. हमने इतिहास रच दिया.’
थोड़ी देर मुर्गा सर पकड़ कर बैठा रहा फिर आत्मावलोकन में खो गया कि आख़िर उससे कहां गलती हो गई?
फ़ोटो: फ्रीपिक