हिंदी कविता के छायावादी कवियों में प्रमुख नाम सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की इस मशहूर कविता कविता में मां सरस्वती से भारत के नागरिकों में स्वतंत्रता का अमृत भरने की कामना की गई है. और अज्ञानता को दूर कर, ज्ञान का प्रकाश भरने का आह्वान किया गया है.
वर दे, वीणावादिनि वर दे!
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे!
काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे!
नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव
नव नभ के नव विहग-वृंद को
नव पर, नव स्वर दे!
वर दे, वीणावादिनि वर दे!
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