हाल ही में हमारा देश वैश्विक भुखमरी सूचकांक में दुनियाभर के 116 देशों के बीच 101वें क्रमांक पर पहुंच गया है. इस बात को और इसके अलावा भी आम आदमी के दर्द से जुड़ी कई सामयिक बातों के मद्देनज़र वर्तमान समय की सच्चाई को दर्शाती, इस दिल छू लेनेवाली कविता को ज़रूर पढ़ें.
उसने अभिनय किया भूख का
तमाशाइयों की ऐंठ गईं
अंतड़ियां भीतर तक
बच्चे बिलबिलाकर
मर गए
उसने अभिनय किया
शौर्य का
नौजवान लाशें
ताबूतों में भर भर
रवाना हुईं
वह खेतों में गया
किसान श्मशान में
फ़सलें डूबकर मर गईं
सूखी फटी दरारों में
उसने जैसे ही कहा
सत्यमेव जयते
सत्य के वस्त्र गल गलकर
गिर पड़े ज़मीन पर
कैसा चमत्कार है
नक़्शे को जोड़ने के लिए
पहले उसके चीथड़े करता
फिर बटोरता है
बावजूद
बेहतरीन अभिनय के
उसकी वहशत
दहशत बनकर छा जाती है
विदूषक
हंसाने के लिए आया था
लोग मर रहे हैं
हंसते हंसते
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट