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व्हॉट मेन लिव बाय: मनुष्य और मानवता की कहानी (लेखक: लेव तॉलस्तोय)

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
December 28, 2022
in क्लासिक कहानियां, बुक क्लब
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Leo-Tolstoy_Stories-in-Hindi

Hall, Frederick; Experienced Hands; Northampton Museums & Art Gallery; http://www.artuk.org/artworks/experienced-hands-49773

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महान रूसी लेखक लेव तॉलस्तोय की कहानियां अपने नैतिक संदेश के लिए जानी जाती थीं. आम लोगों की ज़िंदगी की कहानी को आध्यात्म से जोड़ देना उनकी ख़ूबी रही थी. मनुष्य और मानवता को बेमिसाल तरीक़े से पारिभाषित करती है उनकी कहानी व्हॉट मेन लिव बाय.

सैमन जूते सी कर अपनी आजीविका चलाता था. पत्नी मत्रिना के साथ वह एक झोपड़ी में रहता था. अपनी आय से वह उदर-पोषण की ही जुगाड़ कर पाता था. सर्दी के मौसम में तन को गर्म रखने के नाम पर उनके पास एक कोट था जो पति-पत्नी बारी-बारी से इस्तेमाल करते थे. अब वह कोट भी जहां-तहां फट रहा था. दो वर्ष से सैमन सोच रहा था कि एक नया कोट बनवाना चाहिए. सर्दी शुरू होने से पहले उनकी कुल जमा पूंजी थी-पत्नी के डिब्बे में छिपा कर रखे तीन रूबल और उधारी के पांच रूबल बीस कोपेक जो उन्हें ग्राहकों से आने थे.
एक रोज सैमन अपना कोट पहन कर, जेब में तीन रूबल और हाथ में छड़ी लिए अपने ग्राहकों से उधारी वसूलने निकल पड़ा, ताकि वह शहर जाकर नया कोट खरीद सके. उधारी वसूलना इतना आसन तो होता नहीं. घूम-घाम कर उसे केवल 20 कोपेक वसूल करने में सफलता मिली. सैमन उदास हो गया. शाम ढल रही थी. सैमन ने सोचा कि इन पैसों से कोट तो नहीं खरीदा जा सकता; हां, शरीर गरम रखने के लिए वोदका पिया जा सकता है.
बीस कोपेक का वोदका पीने के बाद उसे किसी चीज़ की चिंता नहीं रही. वह सोचने लगा,‘शरीर गर्म हो गया, अब कोट की ज़रूरत नहीं. जानता हूं मत्रिना जरूर चीखेगी, चिल्लाएगी, कुढ़कुढ़ाएगी… और बेचारी कर भी क्या कर सकती है, खामोश हो जाएगी.’ इसी सोच में वह चलता हुआ गिरजा के करीब पहुंचा. गिरजे की दीवार से सटी एक सफ़ेद छाया दिखाई दी. उसने देखा परंतु उसे कुछ समझ में नहीं आया. कुछ तो सांझ का अंधियारा और कुछ वोदका क असर…. क्या यह कोई पत्थर है… एक दम सफ़ेद पत्थर तो यहां नहीं था. वह छाया हिली तो उसे शंका हुई कि आदमी लगता है, पर इतना श्वेत!
सैमन करीब पहुंचा. अरे! यह तो आदमी ही है…एक दम नंगा! भय ने उसे घेर लिया. ‘क्या पता, किसी ने मार दिया हो और उसे नंगा करके यहां डाल दिया हो; पुलिस आएगी, छान बीन के लिए… मुझे इस पचड़े में नहीं पड़ना चाहिए; या फिर, वह मुझे ही लूट ले.’ वह आगे बढ़ा. कुछ कदम आगे बढ़कर उसने मुड़कर देखा. वह आकृति हिल रही थी. ‘तो क्या मुझे उसके पास जाना चाहिए… यदि वह मुझ पर झपट पड़ा तो! और फिर, मैं इस नंगे आदमी की क्या मदद कर सकता हूं. अपना एकमात्र कोट तो दे नहीं सकता.’ वह अपने कदम जल्दी-जल्दी आगे बढ़ाने लगा. फिर, यकायक रुक गया. ‘यह तुम क्या कर रहे हो सैमन? वह आदमी मौत से जूझ रहा है और तुम बहाने बनाकर भाग जाना चाहते हो. क्या तुम इतने अमीर हो गए हो कि कोई तुम को कोई लूट लेगा और जान से मार देगा. धिक्कार है तुम पर, सैमन.’ वह लौट आया और उस आदमी के पास पहुंचा.
उस अजनबी के पास पहुंच कर सैमन ने देखा कि वह हृष्ठ-पृष्ठ और सुंदर है. उसके शरीर पर किसी ज़ख़्म के निशान भी नहीं है. अपनी नज़रें नीचे झुकाए वह बैठा हुआ था. एक बार उसने आंखें ऊपर की और सैमन की ओर देखा. उस एक नज़र ने सैमन के हृदय में प्यार भर दिया. उसने जल्दी से अपना कोट उतार कर उसे दे दिया और कहा-अब बात करने का समय नहीं है, यह कोट पहन लो और चलो. उस अजनबी ने कोट को उलटा-पुलटा तो सैमन ने उसे कोट पहनने में मदद की और दोनों चल पड़े.
‘कहां से आ रहे हो?’
‘मैं इस इलाके का नहीं हूं.’
‘सो तो मैं समझता हूं, क्योंकि यहां के लोगों को तो मैं जानता हूं, पर तुम इस गिरजा के पास कैसे?’
‘मैं बता नहीं सकता.’
‘क्या तुम्हें किसी ने सताया है?’
‘नहीं, ईश्वर ने मुझे सज़ा दी है.’
‘हां, यह तो है, ईश्वर का ही तो सारा साम्राज्य है. फिर भी, तुम्हें अपनी रोज़ी-रोटी का जुगाड़ तो करना है ना. कहां जाना चाहते हो?’
‘मेरे लिए सभी स्थान एक ही है.’
सैमन चकित रह गया. सोचने लगा कि यह व्यक्ति कोई चोर-उचक्का तो नहीं लगता, शायद कोई मजबूरी है जो कुछ बताना नहीं चाहता. फिर उसे मत्रिना का ध्यान आया तो उदास हो गया. वह जानता था कि उसने कोट लाने के लिए भेजा था और वह है कि एक अजनबी को उठा लाया है. तूफान तो वह मचाएगी ही.. अब जो होगा देखा जाएगा, यह सोचकर सैमन सिर झटक दिया.
मत्रिना रात का भोजन करके बैठी थी और सोच रही थी कि सैमन कोट खरीद कर आता ही होगा. शहर गया है तो खाकर ही लौटेगा, पर न जाने कब लौटेगा. इन्हीं विचारों में डूबी मत्रिना को पद्चाप सुनाई दिए. उसने झोपड़ी का दरवाज़ा खोला तो देखा कि सैमन के हाथ खाली है, यानि उसने कोट नहीं खरीदा है. उसके पास से वोदका की बू आ रही थी. वह समझ गई कि उसने सारा पैसा पी-खाकर उड़ा दिया और साथ में किसी आवारा को भी अपने साथ ले आया जो उसी का कोट पहना है जिसके भीतर शर्ट भी नहीं है.
मत्रिना का पारा चढ़ गया. वह ज़ोर से बड़बड़ाने लगी,‘इसीलिए तो मैंने अपने माता-पिता को मना कर दिया था कि मैं इस शराबी से शादी नहीं करूंगी. कोई काम के लिए भेजा तो बस, आवारागर्दी करके लौटता है-साथ ही अब किसी निठल्ले को भी ले आया, मानों यहां कोई अनाथालय खोल रखा है. वह चीखती-चिल्लाती बाहर निकल जाने के लिए दरवाज़े तक गई, फिर अपने को संयत करके लौट आई. उसने देखा कि वह अजनबी नीची नज़रें किए किसी गुनहगार की तरह चुपचाप खड़ा था. मत्रिना ने उसे देखा और सोचा कि इसके बारे में जानें तो सही कि वह कौन है! मत्रिना सोचने लगी कि यदि यह व्यक्ति शरीफ है तो उसने ढंग के कपड़े क्यों नहीं पहन रखे हैं. आखिर वह नंगा क्यों है? उसने सैमन का कोट क्यों टंगा रखा है?
‘ये कौन है और कहां से पकड़ लाए हो?’
‘वही तो मैं बताना चाहता था और तुम सुन नहीं रही हो.’ सैमन ने सारी घटना का ब्यौरा सुनाया और कहा कि ईश्वर ने उसके पास भेजा, वर्ना वह सर्दी में अकड़ कर मर जाता; न जाने कितने दिन से भूखा, प्यासा है बेचारा. मत्रिना ने एक नज़र उस युवक पर डाली जो बेंच के एक कोने में हाथ जोड़े, सिर झुकाए बैठा था. मत्रिना के हृदय में ममता जागी. संदूक से सैमन का पुरान शर्ट और पैंट निकाल कर उसे दिया और भोजन का प्रबंध करने लगी.
जब सैमन और अजनबी खाने बैठे तो मत्रिना भी टेबल के कोने पर हाथ टिकाए बैठ गई और पूछने लगी कि वह यहां कैसे आया. उसका वही उत्तर था,‘ईश्वर ने उसे सज़ा दी है.’ भोजन करके अजनबी ने मत्रिना की ओर देखा और मुस्करा दिया. ‘यदि आप लोग सहारा न देते तो आज मैं मर ही जाता. ईश्वर आपका भला करेगा.’ धन्यवाद देकर अजनबी वहीं एक कोने में सो गया.
मत्रिना को बहुत देर तक नींद नहीं आई. उसे पता था कि कल सुबह के लिए रखा खाना तो खत्म हो गया है. वह करवट बदलने लगी तो देखा कि सैमन भी जाग रहा है. उसने कहा,‘सैमन, आज का दिन तो कट गया. पता नहीं कल का क्या हो. सुबह शायद मुझे फिर मार्था के घर से कुछ मांग कर लाना होगा.’ सैमन ने कह,‘जो होगा देखा जाएगा, अब सो जाओ.’ वह भी करवट बदल कर सो गया.
दूसरे दिन सैमन ने उस अजनबी से उसका नाम और काम पूछा तो उसने बताया कि उसे मैकल कहते हैं और वह कोई काम जानता तो नहीं पर बताने पर सीख जाएगा. सैमन ने उसे धागा बांटना, मोम लगाना और जूते सीने का हुनर बताया. मैकल मन लगा कर काम करता. मत्रिना उसे भोजन देती. मैकल घर का एक सदस्य भले ही बन गया था पर वह पहले दिन की मुस्कान जो मत्रिना को देखकर उसके चेहरे पर आई थी, वह फिर दिखाई नहीं दी. मैकल के अच्छे काम से सैमन की ख्याति और आय बढ़ने लगी. अब उसे शहर से भी ऑर्डर मिलने लगे.
एक दिन जब सैमन और मैकल काम करते बैठे थे तो एक बग्गी आकर उनके दरवाज़े के पास रुकी. एक रौबदार व्यक्ति उसमें से उतरा और एक महंगा चमड़ा सैमन की तरफ फेंकते हुए आदेश दिया कि इसके बूट बनाना होगा. इतना महंगा चमड़ा देखकर सैमन घबरा गया. उस पर उस रौबदार व्यक्तित्व के आगे जैसे कांपने लगा. उसके मन में यह विचार आ रहा था कि कहीं जूते ठीक न बन पाये तो उस चमड़े का मूल्य चुकाने में उसका जीवन ही बीत जाएगा. उसने मैकल की ओर देखा. मैकल ने इशारे पर उसने बूट बनाना स्वीकार किया.
सैमन पैर का नाप ले रहा था. उसके हाथ कांप रहे थे और वह रौबदार व्यक्ति कह रहा था कि नाप में थोड़ी भी गलती हुई तो उसे खामियाज़ा भुगतना पड़ेगा. यकायक उस आगंतुक ने देखा कि मैकल उस के पीछे की दीवार की ओर देखकर मुस्करा रहा है, तो उसने गुस्से में पूछा,‘क्यों हंस रहे हो. कौन है यह, जो ये भी नहीं जातना कि बड़ों के आगे कैसा बर्ताव करना चाहिए.’
‘यह मेरा कामवाला है हुज़ूर.’
‘बेवकूफ कहीं का. अच्छी तरह देख लो और मज़बूती से सीना ताकि एक भी टांका साल भर तक न खुले. और हां, कल तक दे देना.’
‘समय पर तैयार मिलेंगे हुज़ूर.’
जब वह आगंतुक झोंपड़ी से बाहर निकल रहा था तो उसका माथा दरवाज़े से टकरा गया. वह झुकना भूल गया था. उसके जाने के बाद सैमन ने कहा,‘क्या रौबीला आदमी था. कितना तंदुरुस्त कि उतनी ज़ोर के मार पर भी उसने माथा नहीं रगड़ा!’ मत्रिना ने हां में हां मिलाते हुए कहा,‘अच्छा खाता-पीता आदमी है, इतना मज़बूत तो होगा ही, एकदम पत्थर की माफिक कि मौत भी उसे छू नहीं सकती.’
काम लेने को तो ले लिया था पर सैमन को डर था कि अपनी आयु के कारण वह ठीक तरह से सी नहीं पाएगा. उसने मैकल से कहा कि यह काम उसी के कहने पर लिया गया है तो अब उसे ही यह काम करना होगा. मैकल ने यह जिम्मेदारी अपने ऊपर पर ले ली. जब वह चमड़ा काटने या सीने लगता तो सैमन उसकी कारीगरी पर मुग्ध होता पर उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह बूट के लिए चप्पल की तरह चमड़े को क्यों काट रहा है. फिर, यह सोचकर कि शायद नया कुछ कर रहा है, उसके काम में हस्तक्षेप नहीं करता. जैसे ही उसने अपना काम पूरा किया तो सैमन ने कहा,‘यह क्या! उसने तो बूट बनाने को कहा था और तुमने चप्पल सी दिया?’
इतने में एक बग्गी रुकी और गाड़ीवान ने आकर कहा,‘हमारी मालिकिन ने हमें भेजा है. वो चाहती है कि हमारे मालिक ने जो चमड़ा दिया था, उसके बूट नहीं चप्पल बनाएं. मालिक अब नहीं रहे, इसलिए उनके शव को चप्पल पहनाए जाएंगे.’ मैकल ने तैयार चप्पल उस गाड़ीवान के हवाले कर दिए.
मैकल को सैमन के पास रहते छः वर्ष हो गए. आय की वृद्धि के साथ वह झोंपड़ी जिसमें उसने कदम रखा था, अब घर में बदल गया था. कमरे की एक खिड़की के सामने सैमन काम कर रहा था और दूसरी खिड़की के प्रकाश में मैकल. इतने में बाहर खेलते एक बच्चे ने आकर मैकल से कहा,‘वो देखो अंकल, एक महिला दो सुंदर लड़कियों को साथ लिए आ रही है.’ वैसे तो मैकल हमेशा अपने काम में ही मगन रहता, न हंसता और न बोलता. परंतु इस बार उसने कौतुहल से बाहर झांक कर देखा. मैकल के इस आचरण से सैमन को आश्चर्य हुआ. मैकल तो हमेशा अपने काम से काम रखता था. उसे अपने इर्दगिर्द चल रही गतिविधियों से कोई सरोकार नहीं होता था.
एक महिला दो सुंदर जुड़वां लड़कियों का हाथ पकड़े उसी ओर आ रही थी. दोनों लड़कियां एक जैसी थी, अंतर था तो केवल इतना कि एक लड़की लंगड़ा कर चल रही थी. वह महिला कमरे में आई और कुर्सी पर बैठ गई. कुछ दम लेकर उसने बताया कि वह इन लड़कियों के जूते बनवाना चाहती है. फिर उसने लंगड़ी लड़की को प्यार से गोद में बिठा लिया.
सैमन ने देखा कि मैकल एकटक उन लड़कियों को देख रहा था और उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान दौड़ गई थी. यद्यपि ये लड़कियां सुंदर थीं पर मैकल का इस प्रकार देख कर मुस्कुराना सैमन को कुछ असमान्य लग रहा था.
सैमन ने लड़की के पैर का नाप लेते हुए पूछा कि इतनी सुंदर लड़की लंगड़ी कैसे हुई? उस महिला ने बताया कि उसे भी नहीं मालूम क्योंकि वह तो उनकी मां नहीं है. हां, अपनी छाती का दूध पिला कर इन्हें पाला-पोसा है. उस महिला ने अपनी कहानी सुनाई.
‘छः बरस हुए इनके मां-बाप का देहांत हो गया था. बाप तो बच्चे पैदा होने से पहले ही मर गया, पीछे उसके दुख और आर्थिक परिस्थितियों में तीन माह बाद इन बच्चों को जन्म देकर मां भी मर गई थी. बेचारे दूध पीते बच्चे अनाथ हो गए तो गांव वालों ने यह निर्णय लिया कि मेरी छाती में दूध है तो इन बच्चों का पालन-पोषण मैं करूं. जब ये थोड़े बड़े हो जाएं तो आगे की सोचा जाएगा. मैंन अपने बेटे के साथ साथ इन बच्चों को भी अपनी छाती का दूध पिलाया. मेरा बेटा तो दो बरस का होकर मर गया और ये लड़कियां मेरे जीने का सहारा बन गईं. इनको पालने में मुझे कोई आर्थिक संकट भी नहीं था.’ अपनी कहानी सुनाते-सुनाते वह रो पड़ी. पास बैठी मत्रिना ने सारी कहानी सुन कर आह भरते हुए कहा,‘वो कहते हैं ना कि जिसका नहीं कोई उसका खुदा होता है, ईश्वर ने तुम्हें माध्यम बना कर इनकी रक्षा की है.’
जूते का नाप देकर वह महिला चली गई. घर में एक प्रकाश फैल गया. मैकल अपना काम किनारे रखा और हाथ जोड़कर बोला,‘मुझे क्षमा करना मालिक यदि मुझसे कोई चूक हुई हो तो. अब मैं विदा लेना चाहता हूं. ईश्वर ने मुझे क्षमा कर दिया है.’
सैमन से आश्चर्य से देखते हुए कहा,‘मैं जानता हूं मैकल कि तुम कोई साधारण मानव नहीं हो. तुम्हारे शरीर से जो आलोक फैल रहा है वो बता रहा है कि तुम पर दैविक कृपा है. और फिर, मैं तुम्हें रोकने वाला कौन होता हूं? पर क्या तुम यह बताओगे कि जब मैंने तुम्हें यहां लाया तो तुम उदास थे परंतु जब मत्रिना ने तुम्हें अन्न दिया तो तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान दौड़ गई थी. फिर, जव आगंतुक अपने जूते बनवाने आया था, तब दूसरी बार तुम्हारे चेहरे पर वही मुस्कान थी और अब उस समय तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान दौड़ गई जब तुम ने उन लड़कियों को देखा.’
मैकल ने अपनी कहानी सुनाई,‘ईश्वर ने मुझे दण्डित किया था. जब-जब ईश्वर ने मुझे क्षमा किया, तब-तब मेरे चेहरे पर मुस्कान आई. मुझे ईश्वर ने इसलिए दण्डित किया था कि मैंने उनके आदेश का उल्लंघन किया था. ईश्वर ने मुझे एक बीमार औरत के प्राण लाने के लिए धरती पर भेजा था. जब मैं उस औरत की झोंपड़ी में पहुंचा तो देखा कि दो दिन पहले पैदा हुए जुड़वां बच्चे उसकी बगल में रो रहे थे. उस औरत ने मुझे देखकर कहा था-हे फ़रिश्ते, मैं जानती हूं कि तुम मुझे लेने आये हो. मेरा न पति है, न भाई, न बहन और न कोई बंधु जो इन बच्चों की देख-रेख कर सके. मैं बिनती करती हूं कि इन बच्चों के लिए मुझ पर कृपा करो.
‘मुझे इन बच्चों पर तरस आया तो उन्हें मां की छाती पर रख कर लौट आया. ईश्वर ने हुक्म दिया कि जाओ और उस औरत के प्राण ले आओ और धरती पर इन तीन सच्चाइयों को भी जान लो कि मनुष्य के भीतर किस का वास है, मनुष्य को क्या नहीं दिया जाता और मनुष्य किस आधार पर जीते हैं. ईश्वर का यह हुक्म पाकर मैं फिर धरती पर आया और उस औरत के प्राण लेकर उड़ा. पीछे मुड़कर देखा तो एक लड़की का पैर उस महिला के शरीर के नीचे दब गया था पर मैं क्या करता! मैं उस महिला के प्राण लेकर उड़ ही रहा था कि मेरे पर झड़ गए और मैं धरती पर गिर पड़ा. आगे की कहानी तो तुम्हें मालूम ही है.’
सैमन और मत्रिना सकते में थे और यह जानकर प्रसन्न भी कि उन्हें अब तक एक फरिश्ते का साथ मिला था. फरिश्ता आगे कहने लगा,‘जब मैं धरती पर आया तो मैंने एक व्यक्ति को देखा जो मेरे पास आया. मुझे नग्न देखकर कपड़े पहनाए और अपने घर ले गया जहां एक कठोर महिला दिखाई दी. पर जब उसने प्यार से भोजन दिया तो उसके हृदय के भीतर छिपे ईश्वर के दर्शन हुए. तब मैं मुस्कराया और जाना कि मानव के भीतर ईश्वर का वास है. प्रेम के रूप में ईश्वर इन मानवों में बसते हैं.
‘जब वह आगंतुक आया तो दूसरा पाठ मुझे मिला. जो व्यक्ति जूते बनवाना चाहता था उसके पीछे मेरा साथी मृत्यु के रूप में खड़ा था. तब मैं इसलिए मुस्कराया कि मनुष्य को यह भी पता नहीं कि उसको कब क्या दिया जाता है. वह बूट पहनना चाहता था पर उसकी नियति में चप्पल थे.
‘जब वह महिला उन लड़कियों के साथ आई तो मैंने उन्हें पहचान लिया था. ये वही बेसहारा लड़कियां थीं जिसके माता-पिता मर चुके थे पर एक अजनबी महिला ने न केवल पाल-पोस कर बड़ा किया बल्कि उनपर अपना सारा प्रेम निछावर कर दिया था. तब मुझे तीसरी सच्चाई का ज्ञान हुआ कि किस आधार पर मानव जीवित रहता है. अब जब मुझे इन तीन सच्चाइयों का पता चला तो मैं यह भी जान गया कि ईश्वर ने मुझे क्षमा कर दिया है.’
एक तेज़ प्रकाश सारे घर में फैल गया जिससे सैमन और मत्रिना की आंखे चौंधिया गई. जब उन्होंने आंखें खोली तो मैकल वहां नहीं था!

Illustration: Pinterest

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