• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home ओए हीरो

मदद करना शुरू किया तो पाया यही बहुत बड़ी आस है लोगों के लिए: रोहिणी कुमारी

शिल्पा शर्मा by शिल्पा शर्मा
May 7, 2021
in ओए हीरो, ज़रूर पढ़ें, मुलाक़ात
A A
मदद करना शुरू किया तो पाया यही बहुत बड़ी आस है लोगों के लिए: रोहिणी कुमारी
Share on FacebookShare on Twitter

कोविड-19 की दूसरी लहर हमारे देश के हर हिस्से में कहर ढा रही है, लोग असहाय से अपने क़रीबियों को लेकर अस्पतालों का चक्कर लगा रहे हैं. बेड्स, ऑक्सिजन, दवाइयां, प्लाज़्मा आदि की आवश्यकताओं के लिए भटक रहे हैं, ऐसे में सोशल मीडिया ने लोगों को थोड़ी राहत दी है. क्योंकि कई लोग इसके ज़रिए पैन इंडिया लेवल पर लोगों की मदद कर रहे हैं, उन तक सही सूचनाएं पहुंचा रहे हैं. अपने जॉब, घर के काम के साथ-साथ ये कुछ लोग, जो दिन-रात सत्यापित सूचनाएं लोगों तक पहुंचाने में लगे हैं, हमारी स्व-स्फूर्त कोरोना योद्धा सीरज़ में हम आपकी इन कोरोना योद्धाओं से मुलाक़ात करवाएंगे.

जब कोरोना की दूसरी लहर ने अपना कहर बरपाना शुरू किया था, तब न तो अस्पताल तैयार थे, न प्रशासन. अफ़रा-तफ़री का माहौल था, जो कई तरह की क़िल्लतों के साथ आज भी जारी है. तब कुछ लोग ऐसे भी थे, जो सोच रहे थे कि हम मदद कैसे कर सकते हैं? अभूतपूर्व समस्या और मदद का कोई अनुभव नहीं, बावजूद इसके वे सबकुछ छोड़कर फ़ेसबुक, वॉट्सऐप और ट्विटर के ज़रिए लोगों की मदद को आगे आए और कई लोगों के लिए राहत का सबब बने. इन्हीं में से एक हैं दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में कोरियन भाषा की असिस्टेंट प्रोफ़ेसर रोहिणी कुमारी. वे अनुवादक भी हैं और उनकी अनुवाद की हुई कुछ किताबें प्रकाशित भी हो चुकी हैं. पेश हैं उनसे हुई बातचीत के अंश.

लोगों की मदद का ये काम आपके क्यों और कैसे शुरू किया?
जब कुछ सूचनाएं जुटाते हुए मैंने लोगों की मदद शुरू की थी तो मुझे लगा नहीं था कि जल्द ही मैं इस काम को लेकर बहुत ज़िम्मेदार हो जाऊंगी. हालांकि मेरी सोशल मीडिया पर ज़्यादा रीच नहीं हैं, पर मुझे लगा कि सूचनाएं देने का काम तो मैं कर ही सकती हूं, भले ही छोटे स्तर पर. क्योंकि मैं उन लोगों में से हूं जो निजी जीवन को पर्सनल ही रखते हैं. तो मुझे लगा कि मेरी छोटी-सी मित्र सूची में यदि मैं किसी एक की भी मदद कर पाऊं तो करना चाहिए. ऐसे मैंने शुरुआत की और फिर मैंने देखा कि लोग इन सूचनाओं का उपयोग कर रहे हैं और कुछ लोग तो मेरे प्रोफ़ाइल पर सूचनाएं पाने के लिए सक्रियता से आने लगे हैं, तब मैंने फ़ेसबुक पर अपने ‘लॉक्ड’ प्रोफ़ाइल को अनलॉक कर दिया, सेटिंग्स को ‘पब्लिक’ कर दिया. मैं बिना ज़िम्मेदारी के बोध के जो काम कर रही थी, उससे लोगों की उम्मीदें जुड़ने लगी थीं, क्योंकि ये भी करने वाला कोई नहीं है. इसके लिए मैं अपने घर से बाहर कहीं नहीं जा रही थी, बस आपसे सही सूचना लेकर दूसरे तक पहुंचा रही थी. लेकिन स्थितयां इतनी बुरी थीं कि ये भी नहीं हो रहा था. फिर ये हुआ कि मैं मदद के लिए आगे बढ़ती चली गई और इस काम को लेकर मैं पहले जितनी कैशुअल थी, वहीं अब एक-दो दिन में ही इसके प्रति ज़िम्मेदाराना रवैय्या आ गया. और फिर न दिन देखा न रात. मेरे पास जो भी डेटा आया उसे वेरिफ़ाई कर के लोगों तक सूचनाएं पहुंचाने का काम शुरू हो गया.

इन्हें भीपढ़ें

इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

February 27, 2025
फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

January 1, 2025
democratic-king

कहावत में छुपी आज के लोकतंत्र की कहानी

October 14, 2024
Butterfly

तितलियों की सुंदरता बनाए रखें, दुनिया सुंदर बनी रहेगी

October 4, 2024

तो अब आप इस काम को कैसे आगे बढ़ा रही हैं?
पहले मैं सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय हो कर यह काम कर रही थी, लेकिन अब बैकड्रॉप में ज़्यादा काम कर रही हूं. शुरुआती कुछ दिनों तक मैं आक्सिजन सिलेंडर देने वालों, अस्पतालों, जहां दवा उपलब्ध होने की सूचना मिले उन दवाई की दुकानों के नंबर्स को ख़ुद कॉल कर के वेरिफ़ाई कर रही थी. एक ही लीड यदि मुझे बहुत जगह दिखती तो उसे अपने स्तर पर वेरिफ़ाई करती थी. ये वेरिफ़ाई करना भी यूं शुरू किया कि जिन्हें नबंर दिए जाते थे वे फ़ोन करने के बाद बताते थे कि नंबर तो रेस्पॉन्ड ही नहीं कर रहा या बंद है या ग़लत है या फिर इनके पास वह चीज़ उपलब्ध नहीं है तो लगा कि ये बड़ा लूपहोल है, इसे दूर करना होगा. तो दूर किया. अभी हमने मदद करने के इच्छुक वॉलंटीयर्स का एक ग्रुप बना लिया है, जो लीड्स को वेरिफ़ाई करते रहते हैं. अत: हमारे पास सही सूचनाएं आने लगी हैं. अब मुझे पता है कि मुझे सत्यापित लीड्स कहां से मिलेंगी.

ये काम करते हुए आपको किस तरह के अनुभव हुए?
बहुत तरह के अनुभव हैं. इस बुरे दौर में एक सुकून वाली बात यह रही की लोग मेरा नाम किसी उम्मीद की तरह जानने लगे हैं, बावजूद इसके कि हम बहुत कुछ नहीं कर पा रहे हैं, पर जो थोड़ा बहुत भी कर पा रहे हैं, लोगों को उससे आशाएं हैं. दिनभर हमने लोगों को जो सूचनाएं दीं, उससे अंतत: उन्हें मदद मिली या नहीं ये एक बड़ा सवाल है, जो हमारे मन में भी उठता रहता है. हालात ऐसे हैं कि हर चीज़ किसी ‘क़ीमत’ पर मिल रही है, ब्लैकमार्केटिंग चल रही है. हम लोगों तक सूचनाएं पहुंचाते हुए अच्छी तरह जानते हैं कि उनसे पैसे मांगे जा रहे हैं. मैं एक केस हैंडल कर रही थी, जिसमें एक मरीज़ को ऑक्सिजन की सख़्त ज़रूरत थी. हम तीन दिन से उनके लिए व्यवस्था कराने की कोशिश कर रहे थे. दूसरे केस भी साथ ही साथ चल रहे थे. अंतत: एक बंदा मिला जो गुड़गांव में था, ऑक्सिजन सिलेंडर दे सकता था. पहले उसने कहा- वो डेलिवर करवा देगा, फिर उसने कहा- यहां आ कर ले जाना होगा. उसने 15 लीटर के सिलेंडर के लिए 42,000 रुपए की मांग की. आधे घंटे बाद जब मरीज़ के अटेंडेंट ने उसे फ़ोन किया तो उसने 68,000 रुपए की मांग की और वह भी ऐड्वांस. जब मुझे पता चला तो मैं आवाक् रह गई. बयालीस हज़ार रुपए भी बाज़ार मूल्य से कितना ज़्यादा था, अमूमन 6,000 रुपए में मिलते हैं सिलेंडर. जिसके घर का सदस्य बीमार होता है, वो उसे बचाने के लिए सबकुछ दांव पर लगा देता है. इतने पैसे में भी वो सिलेंडर ख़रीदने तैयार हो गए, पर वो कैश भी लेने तैयार नहीं था, उसे ऐड्वांस में ही पैसे चाहिए थे. इसी तरह कई लोग रेमडेसिवीर भी ज़्यादा दामों पर बेच रहे हैं. इस वजह से कई बार हताशा होती है. मैं लोगों को नंबर दे सकती हूं, लिंक दे सकती हूं, पर इन चीज़ों को ख़रीदने के लिए पैसे नहीं दे सकती. ऐसे में लगता है कि क्या वो इसे अफ़ोर्ड कर पाएंगे? ऐसे रिसोर्सेज़ की सूचनाएं देने में अजीब-सी ग्लानि भी होती है, लगता है कि कहीं मरीज़ के क़रीबी ये न सोचने लगें कि हम भी इस कालाबाज़ारी में शामिल हैं. कई बार ऐसा लगता है कि ये मदद का काम छोड़ ही दूं, लेकिन फिर लगता है कि शायद किसी की मदद हो ही जाए तो दोबारा जुट जाती हूं. अच्छी चीज़ें भी हो रही हैं. कई डॉक्टरर्स को ऑन द कॉल कंसल्टेंसी के लिए राज़ी हो गए हैं, जिससे उन लोगों की सहायता हो रही है, जिनकी हालत उतनी ख़राब नहीं हैं, लेकिन वे पैनिक कर रहे हैं. हम अपने स्तर पर किए गए प्रयासों से 10 में से यदि दो लोगों की भी मदद कर पाते हैं तो इत्मीनान रहता है कि कुछ तो कर पाए.

आप मदद मांगने वाले लोगों से क्या कुछ कहना चाहती हैं?
सोशल मीडिया पर जो भी ग्रुप्स मदद का काम कर रहे हैं उन्होंने हमेशा यह कहा है, जिसे मैं दोहराना चाहती हूं: आधी-अधूरी जानकारी न दें. आपको जो मदद चाहिए उसका ज़िक्र करें, पेशेंट का नाम, उम्र, जगह और अटेंडेट का नंबर दीजिए. और मैसेज पोस्ट करने के बाद यदि कोई कॉल कर रहा है तो उसका फ़ोन उठाइए. और यदि आप किसी दूसरे का मैसेज मदद के लिए शेयर कर रहे हैं तो उससे पूछ लीजिए कि कहीं पहले ही उन तक मदद पहुंच तो नहीं चुकी है, फिर शेयर कीजिए. कई बार जब हम अटेंडेंट को कॉल करते हैं तो वे उठाते नहीं या पता चलता है कि ये नंबर ही फ़ेक है. यही नहीं, कई बार वे इतने आक्रामक और रूखे होते हैं, जैसे कि इस स्थिति के लिए हम ही ज़िम्मेदार हैं. उन्हें समझना चाहिए कि हम अपने काम के बीच से समय निकालते हुए मदद के हाथ बढ़ा रहे हैं. हम ऐसा सिर्फ़ इसलिए कर रहे हैं कि सिस्टम अपना काम नहीं कर रहा है. और हां, ऑथेन्टिक सोर्सेज़ से आप कोरोना और उसके इलाज के बारे में अपनी जानकारी को लगातार अपडेट भी करते रहें. इससे आपको मदद पाने में आसानी होगी.

फ़ोटो: गूगल

Tags: accurate informationBlack marketingCoronaCorona Warriorcorrect informationcovid WarriordoctorsEpidemic Second WaveFacebook Groupfood suppliesFree Foodherohospital bedsinformationmedicinesoxygen concentratoroxygen cylinderspandemicpatientsRohini KumariSpontaneous Corona WarriorTiffinventilatorverified informationvolunteerswhatsapp groupऑक्सिजन कॉन्सन्ट्रेटरऑक्सिजन सिलेंडरकालाबाज़ारीकोरोनाकोरोना योद्धाकोविड योद्धाखाने की आपूर्तिटिफ़िनडॉक्टरदवाइयांफ़ेसबुक ग्रुपब्लैक मार्केटिंगमरीज़महामारीमहामारी की दूसरी लहरमुफ़्त भोजनरोहिणी कुमारीवेंटिलेटरवॉट्सऐप ग्रुपवॉलंटीयर्ससटीक जानकारीसत्यापित जानकारियांसही जानकारीसही सूचनाएंसूचनाएंस्व-स्फूर्त कोरोना योद्धाहीरोहॉस्पिटल बेड्स
शिल्पा शर्मा

शिल्पा शर्मा

पत्रकारिता का लंबा, सघन अनुभव, जिसमें से अधिकांशत: महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर कामकाज. उनके खाते में कविताओं से जुड़े पुरस्कार और कहानियों से जुड़ी पहचान भी शामिल है. ओए अफ़लातून की नींव का रखा जाना उनके विज्ञान में पोस्ट ग्रैजुएशन, पत्रकारिता के अनुभव, दोस्तों के साथ और संवेदनशील मन का अमैल्गमेशन है.

Related Posts

त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)
क्लासिक कहानियां

त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)

October 2, 2024
ktm
ख़बरें

केरल ट्रैवल मार्ट- एक अनूठा प्रदर्शन हुआ संपन्न

September 30, 2024
Bird_Waching
ज़रूर पढ़ें

पर्यावरण से प्यार का दूसरा नाम है बर्ड वॉचिंग

September 30, 2024
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.