गुरु वह है, जो हमें जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाए. असल में हमारा सच्चा गुरु कौन है? बता रहे हैं जानेमाने आयुर्वेद चिकित्सक और चिंतक डॉ अबरार मुल्तानी.
दुनिया वाले सबसे ज़्यादा गुरु के बारे में ही भ्रमित रहे हैं और सच्चा गुरु वह है जो दुनिया वालों के सारे भ्रम तोड़ दे. गुरुओं के बारे में सबसे बड़ा बड़ा भ्रम यह है कि यह केवल स्कूल कॉलेजों में ही पाए जाते हैं जबकि जीवन के महत्वपूर्ण सबक हमें कहीं से भी मिल सकते हैं.
केवल पढ़ना-लिखना सिखाने वाले को ही गुरु मानना भी एक भ्रम है. गुरु वह होता है जो आपको ज्ञानी बनाता है और बकौल सुकरात जो लोगों को ज्ञानी बनाने का काम करता है उसके समाज और शासक शत्रु बन जाते हैं. एक ढर्रे पर चलने से रोकने वाला सबको खटकता है और सबसे ज़्यादा समाज के ठेकेदारों और सरकारों को. लोगों को ज्ञानी बनाने के कारण ही तो महान गुरु सुकरात को विष पीना पड़ा.
गुरु की ज़रूरत बस बचपन या युवावस्था की शुरुआत में ही पड़ती है यह भी भ्रम है. रूमी को शम्स 38 साल की उम्र में मिले थे और तब तक रूमी अनगिनत लोगों के गुरु बन चुके थे. गुरु को भी गुरु की ज़रूरत होती है. शम्स ने रूमी को सदियों तक के लिए गुरु बना दिया था मानवता का. अंधकार में एक नूर से चमकता दीया ‘मसनवी’ न मिलता अगर रूमी शम्स को गुरु मानने से इंकार कर देते तो.
केवल मनुष्य ही मनुष्य का गुरु हो सकता है यह भी एक भ्रम है. जानवर तो हमारे आदि गुरु हैं ही. इसीलिए तो ईसप और पंचतंत्र सदियों से जानवरों की कहानियों से मानवता को शिक्षित कर रही हैं और करती रहेंगी. हर्फों के लम्स से ज़्यादा ख़ूबसूरत एहसास किसी का नहीं होता इसलिए निर्जीव और सजीव गुरु में से बेहतर कौन है कि बहस को ज़िंदा रखने वाली किताबों से बढ़कर कौन गुरु होगा इंसानों का. किताबों से अच्छा गुरु शायद ही कोई हो जो किसी भी शिष्य से भेदभाव नहीं करती. जो जितना समझना चाहे वह समझ ले इनसे.
मेरे सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं.
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