• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home ज़रूर पढ़ें

बर्नआउट सिंड्रोम से यूं निपटें

जानें कि क्यों होता है बर्नआउट सिंड्रोम?

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
April 1, 2024
in ज़रूर पढ़ें, मेंटल हेल्थ, हेल्थ
A A
burnout-syndrome
Share on FacebookShare on Twitter

बर्नआउट सिंड्रोम यह शब्द आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में इस तरह आम हुआ जा रहा है कि इसके बारे में जानना हम सभी के लिए ज़रूरी हो गया है. और इस शब्द को समझने के बाद यह और भी ज़रूरी हो जाता है कि आप इस सिंड्रोम से निपटने के तरीक़े जानें. यहां हम इसी के बारे में बात कर रहे हैं.

बर्नआउट सिंड्रोम, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, किसी व्यक्ति के बेतरह थक जाने से संबंधित है. इतनी थकान कि फिर कोई काम करने की इच्छा ही न रहे. ऐसा तब होता है, जब आप लंबे समय तक अपनी क्षमता से अधिक काम करें.

कामकाजी दुनिया, निजी जीवन या फिर सोशल मीडिया की दुनिया… इन दिनों हर व्यक्ति पर चौतरफ़ा दबाव है. सभी आलीशान जीवन जीना चाहते हैं, पैसे कमाना चाहते हैं, अपनी नौकरी में जल्द से जल्द प्रमोशन पाना चाहते हैं, रिश्तों में पर्फ़ेक्शन चाहते हैं, सोशल मीडिया पर और असल जीवन में अपनी अलग पहचान बनना चाहते हैं और इन सबको पाने की चाहत के दबाव में क्षमता से अधिक काम करते हैं. ऐसा करते हुए वे रोज़ाना थकते हैं और यह थकान महसूस करते-करते एक वक़्त ऐसा आता है कि उनकी काम करने की इच्छा पूरी तरह ख़त्म हो जाती है और यही बर्नआउट सिंड्रोम है.

इन्हें भीपढ़ें

इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

February 27, 2025
फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

January 1, 2025
democratic-king

कहावत में छुपी आज के लोकतंत्र की कहानी

October 14, 2024
Butterfly

तितलियों की सुंदरता बनाए रखें, दुनिया सुंदर बनी रहेगी

October 4, 2024

जानें इसका इतिहास
‘‘बर्नआउट’’ इस शब्द को चिकित्सकीय दुनिया में लाने का श्रेय साइकोलॉजिस्ट हर्बर्ट फ्रेडन्बर्गर को जाता है, जिन्होंने वर्ष 1974 में इसका प्रयोग दूसरों की सेवा करने वाले प्रोफ़ेशनल्स के संदर्भ में किया था. आज भी मुख्य रूप से बर्नआउट सिंड्रोम का प्रयोग उन प्रोफ़ेशनल्स के लिए किया जाता है, जो भावनात्मक रूप के कामकाज करने वालों को प्रभावित करता है.
फ्रेडन्बर्गर द्वारा इस शब्द का इस्तेमाल करने से पहले अमेरिका के एयर ट्रैफ़िक कंट्रोलर्स इस तरह के बर्न आउट की शिकायत करते रहे थे और उनके मुताबिक़ इसकी वजह से उनके काम की गुणवत्ता पर फ़र्क पड़ रहा था. साठ और सत्तर के दशक के दौरान एयर ट्रैफ़िक कंट्रोलर्स ने काम के लंबे घंटों, बार-बार बदलने वाली शिफ़्ट्स, बिना ब्रेक दिए लंबी शिफ़्ट्स, ऑटोमेशन के कारण होने वाली मोनोटॉनी और मानव व मशीन के बीच होने वाली गड़बड़ी की शिकायत की. उड़ान के समय हवाई जहाज़ों की आमने-सामने हुई कुछ टक्करों के बाद वर्ष 1973 में बोस्टन यूनिवर्सिटी के स्कू ऑफ़ मेडिसिन ने इस पर अध्ययन किया. तीन वर्षों कत 416 एयर ट्रैफ़िक कंट्रोलर्स पर अध्ययन करने के बाद अपनी 650 पन्नों की रिपोर्ट में उन्होंने बताया कि बर्न आउट से ब्लड प्रेशर और मानसिक समस्याएं बढ़ जाती हैं और काम की गुणवत्ता घट जाती है.

थकान से अलग है यह
बर्नआउट थकान से उपजता ज़रूरी है, लेकिन यह थकान से कहीं ज़्यादा गंभीर होता है. यदि आप बर्नआउट सिंड्रोम से गुज़र रहे होते हैं तो आपके मन में काम के प्रति विरक्ति की भावना जाग जाती है. आप काम करना ही नहीं चाहते. कई बार मामला इतना गंभीर हो जाता है कि लोग अपना प्रोफ़ेशन भी बदल देना चाहते हैं.
आज के दौर में जब हमारे देश में बेरोज़गारी बढ़ी है, जो लोग अपनी नौकरी में हैं उनके ऊपर ख़ुद को साबित करने का बेहद दबाव है, क्योंकि यदि वे अपने काम को बेहतरीन ढंग से नहीं करते हैं तो उनका विकल्प आसानी से उपलब्ध है. यही वजह है कि हमारे देश में भी बर्नआउट के मामले सामने आने लगे हैं.
कोरोना काल से पहले तक भी काम और निजी जीवन के बीच फ़र्क करना आसान था, लेकिन कोरोना काल के बाद जो ‘वर्क फ्रॉम होम’ का कल्चर आया और इस तरह की तकनीक विकसित हो गई कि आप किसी भी समय काम कर सकते हैं, इसने कामकाजी और निजी जीवन के बीच संतुलन साधना और भी कठिन कर दिया है. यह भी बर्नआउट सिंड्रोम की बड़ी वजह है.

बर्नआउट के कारण
बर्नआउट होने का मुख्य कारण कामकाज का दबाव है, पर इसके अलावा भी कई बातें अपनी भूमिका निभाती हैं, जिनमें से मुख्य हैं:
• काम का प्रेशर
• काम के समय का तय न होना
• निजी व कामकाजी जीवन के बीच संतुलन की कमी
• काम को पहचान, प्रोत्साहन और प्रशंसा न मिलना
• काम के अनुपात में वेतन न मिलना
• ऑफ़िस पॉलिटिक्स
• सपोर्ट सिस्टम का अभाव

यूं निपटें बर्नआउट सिंड्रोम से
बर्नआउट सिंड्रोम से उबरने के लिए आपकी ख़ुद की कोशिश ही कारगर होगी. इसके लिए आप जो दो किताबें पढ़ सकते हैं, वे हैं: अन्ना कैथरीना स्केफ़्नर की ‘एग्ज़ॉस्टेड: एन ए-ज़ेड फ़ॉर द वीरी और इमिली व ऐमेलिया नागोस्की की ‘बर्नआउट: द सीक्रेट टू अनलॉकिंग द स्ट्रेस साइकल’. इन दोनों ही किताबों में आपको बर्नआउट सिंड्रोम से उबरने के तरीक़े मिलेंगे. बहरहाल, कुछ ऐसे बदलाव भी हैं, जिन्हें यदि आप ख़ुद के भीतर ला सकें तो इससे बचे रहेंगे:
– ख़ुद से अवास्तविक उम्मीदें न पालें.
– अपने भीतर आने वाले नकारात्मक विचारों को दूर रखने के लिए मेडिटेशन करें.
– एक्सरसाइज़ को अपने नियमित जीवन का हिस्सा बनाएं.
– पूरी नींद लें.
– अपना खानपान सही रखें और सही समय पर खाएं.
– कामकाज से अलग अपनी कोई रुचि पैदा करें और काम के बाद उस पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित करें.
– यह समझें कि आपका काम का आपके जीवनयापन के लिए है, आपके जीवन का एक हिस्सा है लेकिन वह आपका पूरा जीवन नहीं है.
यदि अपनी ओर से पूरी कोशिश करने के बाद भी आप बर्नआउट से नहीं उबर पा रहे/रही हैं तो किसी साइकोलॉजिस्ट की मदद लेने में देर न करें.
फ़ोटो साभार: फ्रीपिक

Tags: Burnoutburnout syndromecauses of burnout syndromehow to deal with burnout syndromeबर्नआउटबर्नआउट सिंड्रोमबर्नआउट सिंड्रोम के कारणबर्नआउट सिंड्रोम से यूं निपटें
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)
क्लासिक कहानियां

त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)

October 2, 2024
ktm
ख़बरें

केरल ट्रैवल मार्ट- एक अनूठा प्रदर्शन हुआ संपन्न

September 30, 2024
Bird_Waching
ज़रूर पढ़ें

पर्यावरण से प्यार का दूसरा नाम है बर्ड वॉचिंग

September 30, 2024
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.