विश्व कैंसर दिवस पर कैंसर पीड़ित बच्चे भारत में अपने-अपने इलाकों के सांसदों को पत्र लिखकर बता रहे हैं कि वे किस तरह की विषमताओं का सामना करते हैं. अपने ख़त के ज़रिए इन बच्चों ने अपने लिए देखभाल में कमी की आवाज़ को बुलंद किया है. अपनी इस गतिविधि को उन्होंने #FaasleKhatamKaro नाम दिया है. इस अभियान के तहत उन्होंने अपनी समस्याओं और इलाज में कमियों को शब्दों और चित्रों के माध्यम से व्यक्त किया है.
आज विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर, कैंसर पीड़ित बच्चे और उनके अभिभावक अपने-अपने इलाके के सांसदों को पत्र लिखकर इन बच्चों के साथ होने वाली स्वास्थ्य संबंधी विषमता का मुद्दा संसद में उठाने के साथ ही बच्चों के कैंसर केलिए एक राष्ट्रीय योजना व नीति तैयार करने का निवेदन कर रहे हैं. इन बच्चों और अभिभावकों ने यह मांग कैनकिड्स किडस्कैन (द नेशनल सोसायटी फ़ॉर चेंज फ़ॉर चाइल्डहुड कैंसर इन इंडिया) के माह भर चलने वाले ‘‘फ़ासले खत्म करो’’ अभियान के तहत की है. यह अभियान इंटरनैशनल यूनियन फ़ॉर कैंसर कंट्रोल (यूआईसीसी) द्वारा प्रारंभ की गई 3 वर्षीय #closethegap मुहिम के तहत हो रहा है, जिसमें उन समस्याओं और बाधाओं को पहचानकर संबोधित किया जाना है, जिनका सामना पूरी दुनिया में लोगों को अपना इलाज करवाने के लिए करना पड़ता है.
भारत में यह अभियान 4 फ़रवरी को विश्व कैंसर दिवस से15 फ़रवरी को अंतर्राष्ट्रीय चाइल्डहुड कैंसर दिवस के उपलक्ष्य में शुरू किया जा रहा है. यह अभियान 23 राज्यों के 50 से ज़्यादा शहरों और 70 से ज़्यादा कैंसर केंद्रों उन हज़ारों बच्चोंऔर उनके परिवारों तक जाएगा, जो कैंसर के निदान के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
बच्चों का कैंसर स्वास्थ्य सेवा की विषमता का सबसे गंभीर क्षेत्र है, जिसमें उच्च आय वाले देशों में सर्वाईवल की दर 80 प्रतिशत से अधिक है, जबकि भारत जैसे कम आय वाले देशों में सर्वाईवल की दर मात्र 20 प्रतिशत है. भारत में जो बच्चे कैंसर केंद्रों तक पहुंच पाते हैं, उनमें से 50 प्रतिशत की जान बच जाती है, अगर वो अच्छे हॉस्पिटल तक पहुंच सके तो 80 प्रतिशत तक की जान बच जाती है और जिन 66 प्रतिशत लोगों का निदान नहीं हो पाता या जो इलाज केंद्र तक नहीं पहुंच पाते, उनकी जान नहीं बच पाती. यही वजह है कि सवाईवल की कुल दर बहुत कम है.
भारत में कैंसर से पीड़ित 80 प्रतिशत बच्चे जीवित नहीं बच पाते हैं. हर साल 76,805 बच्चों को कैंसर होता है, जिनमें से 34 प्रतिशत से कम बच्चे ही कैंसर अस्पताल तक पहुंच पाते हैं. भारत में सर्वाईवल दर के 20 प्रतिशत से कम होने का यह एक मुख्य कारण है.
इस बारे में कैनकिड्स की अध्यक्ष, पूनम बगाई का कहना है, ‘‘स्वास्थ्य सेवा में असमानता का कारण संसाधनों का असमान वितरण है. कैंसर के इलाज की कमी को दूर करने का मतलब सभी को बराबर संसाधन उपलब्ध कराना तो है ही, पर साथ ही #closethegap का मतलब है कि हर उस चीज़ की जागरूकता व समझ बढ़ाई जाए, जिसके कारण कैंसर पीड़ित बच्चों को उचित इलाज नहीं मिल पाता और उनकी जान बचाना संभव नहीं हो पाता.’’
वहीं इस बारे में सर्वाईवर और भारत के सबसे बड़े सर्वाईवर समूह, किडस्कैन कनेक्ट के लीडर, चंदन कुमार का कहना है,‘‘भारत में सात शीर्ष पर मौजूद कैंसर की बीमारियों में बच्चों का कैंसर चौथे स्थान पर आता है. इसके बावजूद बच्चों के कैंसर पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता, बल्कि अक्सर इसे नज़रंदाज़ कर दिया जाता है! हम इस विषमता को दूर करने के लिए पिछले दो सालों से स्वास्थ्य मंत्रालय एवं प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. चाइल्डहुड कैंसर सर्वाईवर्स के रूप में हमने भारत में स्वास्थ्य की प्राथमिकताओं में बच्चों के कैंसर के लिए एक राष्ट्रीय योजना व नीति को शामिल किए जाने के लिए 3,00,000 लोगों के हस्ताक्षर लिए हैं. हमें उम्मीद है कि इस बार हमारी आवाज सुनी जाएगी.’’