हर अच्छे बुरे का कोई न कोई कारण ज़रूर होता है. बशीर बद्र की ग़ज़ल‘यूं कोई बेवफ़ा नहीं होता’ बेवफ़ाई के मानवीय कारण बता रही है.
कोई कांटा चुभा नहीं होता
दिल अगर फूल सा नहीं होता
मैं भी शायद बुरा नहीं होता
वो अगर बेवफ़ा नहीं होता
बेवफ़ा बेवफ़ा नहीं होता
ख़त्म ये फ़ासला नहीं होता
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी
यूं कोई बेवफ़ा नहीं होता
जी बहुत चाहता है सच बोलें
क्या करें हौसला नहीं होता
रात का इंतज़ार कौन करे
आज-कल दिन में क्या नहीं होता
गुफ़्तगू उन से रोज़ होती है
मुद्दतों सामना नहीं होता
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