मशहूर अभिनेता सईद जाफ़री ने अपनी दूसरी शादी के कुछ सालों बाद यह महसूस किया कि उन्होंने अपनी पहली, घरेलू-सी पत्नी से ख़ुद को बदलने की इतनी उम्मीदें पालीं कि अंतत: उनकी शादी टूट गई. उन्हें एहसास हुआ कि पति-पत्नी को वैवाहिक रिश्ते निभाते समय किन गहरी बातों को तवज्जो देनी चाहिए और वे किन उथली बातों को तवज्जो दे गए. उनकी डायरी के पन्ने दिल को छू लेनेवाली स्वीकारोक्ति की तरह हैं, जो रिश्तों के संबंध में हमें बेहतरीन सीख दे जाते हैं. हमारे लिए इन पन्नों को सहेजा है स्वप्निल कुमार पांडे ने.
‘‘मैं 19 बरस का था, जब मेहरुनिमा से मेरी शादी हुई और वह 17 बरस की थीं. जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, औपनिवेशिक भारत के ब्रिटिश कल्चर से प्रभावित होता चला गया. मैंने धाराप्रवाह इंग्लिश बोलना सीख लिया, ग्रेसफ़ुली सूट पहनना सीख लिया, संभ्रात लोगों वाले एटिकेट्स भी सीख लिए. लेकिन मेहरुनिमा मुझसे बिल्कुल उलट थीं. वो एक टिपिकल हाउसवाइफ़ थीं. मेरी सलाह और चेतावनी से उनके मूल व्यक्तित्व में कोई बदलाव नहीं आया. वह एक आज्ञाकारी पत्नी, प्यार देने वाली मां और एक कुशल गृहणी थीं. लेकिन जो मैं चाहता था, वह वो नहीं थीं. जितना मैं उन्हें बदलना चाहता था, उतने ही हम दोनों के बीच फ़ासले बढ़ते गए. धीरे-धीरे वह एक प्यारी-सी युवा महिला से असुरक्षित महिला में तब्दील हो गईं. इसी दौरान मैं अपनी एक को-एक्टर की तरफ़ आकर्षित हो गया और उनमें वह सबकुछ था, जो मैं अपनी पत्नी में चाहता था.
‘‘शादी के 10 साल बाद मैंने मेहरुनिमा को तलाक़ दे दिया, घर छोड़ दिया और अपनी को-एक्टर से शादी कर ली. मैंने मेहरुनिमा और अपने बच्चों की फ़ायनेंशियल सिक्योरिटी सुनिश्चित कर दी थी. छह-सात महीनों तक सबकुछ ठीक-ठाक चलता रहा. इसके बाद मुझे एहसास हुआ कि मेरी पत्नी उतनी केयरिंग और अफ़ेक्शनेट नहीं है. वह सिर्फ़ अपनी ख़ूबसूरती, महत्वाकांक्षा, अपनी इच्छाओं के बारे में सोचती हैं. कभी-कभी मैं मेहरुनिमा के प्यारभरे स्पर्श और मेरे लिए फ़िक्र को मिस करता हूं. ज़िंदगी बीतती गई. मैं और मेरी पत्नी हम दोनों एक घर में रहनेवाले दो लोग बन गए, हम एक नहीं हो पाए. मैं कभी यह देखने नहीं गया कि मेहरुनिमा और मेरे बच्चों का क्या हुआ.
‘‘दूसरी शादी के 6-7 साल बाद मैं मधुर जाफ़री का एक आर्टिकल पढ़ रहा था, जो एक उभरती हुई शेफ़ थीं, जिन्होंने हाल ही में अपनी रेसिपीज़ की एक किताब लॉन्च की थी. जैसे ही मैंने उस स्मार्ट और एलिगेंट महिला की तस्वीर देखी, मैं दंग रह गया. वह मेहरुनिमा थीं. ऐसा कैसे मुमक़िन था? उन्होंने दोबारा शादी कर ली थी और अपना मेडन नेम भी बदल लिया था. उस समय में मैं विदेश में फ़िल्म की शूटिंग कर रहा था. वह अब अमेरिका रहती थीं. मैं अगली फ़्लाइट से अमेरिका पहुंचा. मैंने मेहरुनिमा के बारे में पता किया और उनसे मिलने गया. उन्होंने मुझसे मिलने से इनकार कर दिया. मेरी बेटी 14 साल की थी और बेटा 12 साल का. उन दोनों ने कहा कि वे आख़िरी बार मुझसे बात करना चाहते हैं.
‘‘मेहरुनिमा के नए पति उनके मुझसे ना मिलने के फ़ैसले में उनके साथ थे. मेरे बच्चों के भी वही क़ानूनी पिता थे. आज की तारीख़ में भी मैं भूल नहीं पाता कि मेरे बच्चों ने मुझसे क्या कहा था. उन्होंने मुझसे कहा कि हमारे नए पिता को पता है कि असली प्रेम क्या होता है. बच्चों ने बताया कि मेहरुनिमा को उनके दूसरे पति ने कभी बदलने की कोशिश नहीं की, क्योंकि वह ख़ुद से ज़्यादा अपनी पत्नी को प्यार करते थे. उन्होंने मेहरुनिमा को अपनी तरह से विकसित होने के लिए स्पेस दिया. मेहरुनमा जैसी थीं, उन्होंने उन्हें वैसे ही स्वीकार किया. कभी उन पर अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए दबाव नहीं बनाया. और अपने दूसरे पति के साथ आज वह कॉन्फ़िडेंस से भरी प्यार देने वाली आत्मनिर्भर महिला के रूप में तब्दील हो चुकी हैं. यह उनके दूसरे पति का निस्वार्थ प्रेम और स्वीकार्यता थी, जिससे यह संभव हुआ. जबकि आपकी स्वार्थपरिता, डिमांड और मां को उनके मूल रूप में ना स्वीकार करने से ही वह आत्मविश्वास से हीन हुईं और आपने अपनी स्वार्थपरिता में उन्हें छोड़ दिया. आपने कभी मां को प्यार नहीं दिया, आपने हमेशा ख़ुद को प्यार किया और जो ख़ुद से प्यार करते हैं, वे कभी किसी और को प्यार नहीं दे सकते. यह मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा सबक था-आप जिन्हें प्यार करते हैं, उन्हें बदलने की कोशिश नहीं करते, वो जैसे हैं, उन्हें वैसे ही प्यार करते हैं.’‘
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