इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल में आपको ज़िंदगी को जीने के नुस्ख़े भी मिलेंगे, विनम्र रहने के तरीक़े भी और साथ ही आप ज़िंदगी के उस रिश्ते को भी जान पाएंगे, जो सभी के दिल को भाता है.
जिसको जितनी ज़रूरत, वो उतना साथ आया है
ज़रूरत जब ख़त्म हुई, तो वो है न उसका साया है
ग़ुरूर क्यों, अना कैसी, तूने यहां क्या ही कमाया है
तेरी क़िस्मत में जितना था, तूने उतना ही पाया है
ग़लतफ़हमी है, वहम है कि ये तूने ख़ुद बनाया है
ये ख़ुदा ने बरसाया है पर तू क्यों इतना इतराया है
इस हाथ देगा, उस हाथ लेगा वक़्त ने ये समझाया है
अपनी मुट्ठी को बंद करके तू क्यों इतना भरमाया है
मिल-बांट कर खाओ हाथ में जो कुछ भी आया है
ये न देखो कि कौन अपना है और कौन पराया है
क्यों ये तहक़ीक कि ज़ालिम ने उसे क्यों सताया है
सज़ा का हक़दार वही है जिसने ज़ुल्म बरपाया है
क्या ग़रज़ कि कौन नाराज़, किसे है तुझसे जलन
ये देख कि तुझे देखकर आज कौन मुस्कुराया है
दोस्ती एक रिश्ता है, ऐसा रिश्ता जो दिल को भाया है
पल भर का रिश्ता नहीं है, यह ज़िंदगी का सरमाया है