खानपान से जुड़ी टॉप 5 ग़लतफ़हमियां, दुर्भाग्य से जिसपर हममें से ज़्यादातर लोग यक़ीन भी करते हैं.
सेहत से जुड़ी सलाह लेने और देने का बाज़ार सालों पुराना है. कई बार ये सलाह इतनी अधिक प्रचलित हो जाती हैं कि हम उनपर आंख मूंदकर विश्वास कर लेते हैं. उनकी पड़ताल करने तक की जहमत नहीं उठाते. यहां हम पांच ऐसी ही सलाहों की बात करने जा रहे हैं, जिनकी पड़ताल करने पर वे हमें ग़लफ़हमियों की श्रेणी में खड़ी नज़र आती हैं.
पहली ग़लतफ़हमी: वसा हमारे शरीर के लिए ख़राब होता है
जब दुनिया में मोटापा बढ़ रहा है तब, लोगों ने अपने खानपान की आदतों पर ग़ौर करने की जगह सीधे वसा या फ़ैट्स को ही दोष देना सबसे सुरक्षित समझा. कई डायटीशियन्स तो अपने यहां पतला होने की आस में आनेवाले लोगों से अचानक से वसा छोड़ने कहना शुरू कर दिया. पर अगर आप भी वसा को दुश्मन माननेवालों में से हैं तो आपने ग़लतफ़हमी पाल ली है. वसा आपका दुश्मन नहीं है. सच तो यह है कि हमें सेहतमंद फ़ैट्स की ज़रूरत होती है. वो फ़ैट हमें मिलते हैं ऑलिव ऑयल, एक्स्ट्रा वर्जिन कोकोनट ऑयल, घी और फलियों आदि से. हां, अगर आपको फ़ैट्स से किनारा ही करना है तो ठंडे गोश्त, प्रोसेस्ड फ़ूड्स और हाई सोडियम वाले पैकेज्ड फ़ूड्स को बाय-बाय करें.
दूसरी ग़लतफ़हमी: वज़न कम करना है तो फ्रूट जूस पीना शुरू करें
यह ग़लतफ़हमी भी पतला और छहरहा होने की हमारी इच्छा से पैदा हुई है. लोगों ने नॉर्मल खाना-पीना छोड़कर फ्रूट जूस को डायट का हिस्सा बना लिया. पर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि फ्रूट जूस से हमारा लंबे समय में नुक़सान ही होना है. दरअसल, फ्रूट जूस कैलोरी से भरे होते हैं. साथ ही फ्रूट को उनके असली रूप में न खाकर आप उनके बेहद फ़ायदेमंद फ़ाइबर्स से भी महरूम रह जाते हैं. इसलिए डायट पर हैं तो फ्रूट जूस के बजाय एक पूरे फल को वरीयता दें, क्योंकि ऐसा करके आप उसके फ़ाइबर्स को भी अपना रहे हैं, जो कैलोरी को कंट्रोल करने में सहायक है.
तीसरी ग़लतफ़हमी: केला, चावल और आलू खाने से मोटापा बढ़ता है
हमारे नए ज़माने के खानपान में केला, आलू और चावल को सेहत का दुश्मन कहकर प्रचारित किया जा रहा है, लेकिन यह धारणा पूरी तरह ग़लत है. असलियत यह है कि ये हमारे नैसर्गिक और सांस्कृतिक आहार का हिस्सा रहे हैं. हमारे पूर्वज इन्हें खाते थे और फ़िट रहते थे. अगर हम आज मोटे हो रहे हैं तो इसका दोष हमारी अनियमित लाइफ़स्टाइल को जाता है. देखा जाए तो फल, सब्ज़ियां और कार्ब्स विटामिन्स और मिनरल्स का एक संयोजन देते हैं, जिसकी कम मात्रा में ही सही, लेकिन आपके शरीर को ज़रूरत होती है. इसलिए किसी तरह के बहकावे में न आएं, सभी तरह के भोजन अपने खानपान में शामिल करें.
चौथी ग़लतफ़हमी: ढेर सारा प्रोटीन लें, कार्बोइड्रेट्स से बचें, इससे आपका वज़न जल्दी घटेगा
कार्बोइड्रेट्स से किनारा करने की सलाह सेहत से जुड़ी सबसे बुरी सलाहों में एक है. वह कार्ब्स ही हैं, जो हमारे शरीर को उसके दैनिक कामकाज के लिए ऊर्जा उपलब्ध कराते हैं. ज़रा सोचिए, आप अंडों और सप्राउट्स पर भला कैसे ज़िंदा रह सकते हैं. कार्ब्स छोड़कर केवल प्रोटीन का सेवन करने से आपका वज़न कम तो होगा, पर उसे सेहतमंद तरीक़ा नहीं कहा जा सकता. हमारे शरीर को न्यूट्रिएन्ट्स के संतुलन की ज़रूरत होती है. सेहतमंद ढंग से वज़न कम करने के लिए समझदार और प्रैक्टिकल जीवनशैली और सेहतमंद डायट का होना बेहद ज़रूरी है. और कार्ब्स हमारी डायट का अहम् हिस्सा हैं.
पांचवीं ग़लतफ़हमी: खाने के बीच पानी पीना सेहत के लिए ठीक नहीं
इस सलाह पर वाद-विवाद काफ़ी समय से चल रहा है. पर आप इसे कुछ इस तरह समझ सकते हैं. हमारा पेट एक मिक्सर है, जिसे भोजन को मथना है और उनके अवशोषण के लिए उन्हें तैयार करना होता है. पहले के ज़माने में यह सलाह ठीक थी, क्योंकि तब हमारे खानपान में दाल, करी और छाछ जैसी चीज़ें शामिल होती थीं. जिसके चलते बिना पानी के काम चल जाता था. वहीं हमारी आजकल की खानपान गतिविधियों पर नज़र डालें. हम कितना सूखा खाने लगे हैं. जब आपके खानपान में तरल चीज़ें कम होंगी, तब उन्हें पचाने के लिए अलग से तरल पदार्थों की ज़रूरत होगी ही. इसलिए खाना खाते समय थोड़ा-थोड़ा पानी पीना ग़लत नहीं है.