वक़्त के साथ त्यौहारों के मनाने का अंदाज़ बदल गया है. यह बदलाव नई और पुरानी पीढ़ी के बीच स्पष्ट...
कटी हुई पतंग, आसमान से गिरते हुए अपने साथ कई कहानियां साथ लाती है. एक पतंगवाले बूढ़े की कहानी की...
त्यौहारों की सफ़ाई कई बार हमारे मन की सफ़ाई भी कर जाती है. डॉ संगीता झा की यह कहानी बड़े...
किसी को दिल की गहन परतों से चाहना और उसके बाद उसकी प्राथमिकताओं में ख़ुद को कहीं न देख पाना,...
अंधविश्वास सबसे अधिक औरतों पर प्रहार करता है. उधड़ी हुई कहानियों में लेखिका अमृता प्रीतम अंधविश्वास के चंगुल में फंसकर...
वरिष्ठ पत्रकार पंकज पाठक के संपादन में हाल ही में आए कविता संग्रह ‘बहुत कुछ कहा हमने अकविता की वापसी’...
चीज़ें बदल रही हैं या कहें बहुत-सी चीज़ें पूरी तरह बदल चुकी हैं. परिवार, संस्कार और त्यौहार सबकुछ आधुनिक हो...
रबिन्द्रनाथ टैगोर की यह लघुकथा लौकिक और अलौकिक सुख और इच्छाओं की बड़े ही संक्षेप में क्या अद्भुत व्याख्या करती...
जो बातें ज़ुबां नहीं कहती, वो आंखें कह जाती है. और जब हमारी आंखों का पानी मर जाता है तो...
संवेदनाएं किसी पहचान से ज़्यादा तीव्र और सार्वभौमिक होती हैं. हम भले ही किसी को न जानते हों, पर उसे...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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