बेली फ़ैट यानी पेट के आसपास जमा चर्बी से बहुत से लोग परेशान रहते हैं. शरीर के बाक़ी जगहों की तुलना में यहां की चर्बी को घटाने या हटाने में काफ़ी मेहनत लगती है. इतनी मेहनत की ज़्यादातर लोग हार मान लेते हैं. क्या है इसके ज़िद्दीपने का राज़ और कैसे आप इसे हरा सकते हैं, आइए जानते हैं.
जब आप जिम या योग क्लास की मेंबरशिप लेते हैं तो ट्रेनर को पहले ही बता देते हैं, सबकुछ तो ठीक है, पर मेरा टारगेट है पेट के आसपास की चर्बी को जल्द से जल्द हटाना. ट्रेनर आपको यक़ीन दिलाता है, अब आप हमारे यहां आ गए हैं तो बेली फ़ैट को छूमंतर करा दूंगा. पर आप कड़ी एक्सरसाइज़ करते हैं, हाई इंटेंसिटी वाले वर्कआउट्स करते हैं, पर बेली फ़ैट टस से मस होने का नाम नहीं लेता. आख़िर उसकी इस ज़िद का कारण क्या है?
आख़िर बेली फ़ैट इतना ज़िद्दी क्यों होता है?
बेली फ़ैट वह अतिरिक्त फ़ैट है, जो समय के साथ शरीर के बीच वाले हिस्से में जमा होता रहता है. फ़ैट तो बाक़ी जगहों पर इसी तरह जमा होते हैं, पर बेली फ़ैट में इतना स्पेशल क्या है, जो इसे ब्रेक करना इतना मुश्क़िल हो जाता है? देखिए हमारे शरीर में दो तरह के फ़ैट जमा होते हैं, एक होता है सबक्यूटेनियस फ़ैट और दूसरा होता है विसरल फ़ैट. सबक्यूटेनिस फ़ैट हमारी त्वचा के ठीक नीचे जमा होता है, जैसे हमारी बांहों या थाइज़ पर जमा फ़ैट. यह फ़ैट आसानी से नज़र आ जाता है.
वहीं विसरल फ़ैट हमारे एब्डॉमिनल कैविटी यानी पेट में मौजूद ख़ाली जगह में स्टोर होता है. पेट में मौजूद अंगों आमाशय, लिवर और आंतों के आसपास.
बेली फ़ैट से छुटकारा पाना इसलिए इतना मुश्क़िल होता है, क्योंकि इसमें उन फ़ैट सेल्स की संख्या ज़्यादा होती है, जो लाइपोलसिस प्रक्रिया के प्रति निष्कृय होते हैं. लाइपोलसिस शरीर की वह प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसके तहत फ़ैट अवशोषण के लिए तैयार होते हैं और उनका विघटन होता है. इस विघटन से शरीर को ऊर्जा मिलती है. पर बेली फ़ैट के सेल्स में अल्फ़ा रिसेप्टर्स होते हैं, जो विघटन की प्रक्रिया को बेहद धीमा बनाते हैं, जिसके कारण बेली फ़ैट से बहुत थोड़ी मात्रा में ऊर्जा मिल पाती है. वहीं जिन फ़ैट सेल्स में बीटा रिसेप्टर्स होते हैं, वे आपके वेट लॉस के प्रयास के प्रति अधिक ऐक्टिव होते हैं. उनका विघटन तेज़ी से होता है और आपको ज़्यादा ऊर्जा मिलती है. तो बेली फ़ैट को ज़िद्दी बनाने के लिए अल्फ़ा रिसेप्टर्स ज़िम्मेदार हैं.
कैसे जमा होता है बेली फ़ैट, क्या हैं इसके ख़तरे?
जब आप अपनी दिनचर्या में शारीरिक गतिविधियों को शामिल नहीं करते, नियमित रूप से एक्सरसाइज़ नहीं करते और खानपान में बेहद लापरवाही बरतते हैं, मसलन-मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन ज़्यादा करना, तब आपका वज़न बढ़ना शुरू होता है. आपके द्वारा ली जा रही एक्स्ट्रा कैलोरी फ़ैट के तौर पर जमा होने लगती है. आपका मेटाबॉलिज़्म धीमा पड़ने लगता है, शरीर द्वारा फ़ैट को बर्न किए जाने की क्षमता कम होने लगती है. फ़ैट पेट के विभिन्न अंगों के आसपास जमा होने लगता है.
इसके अलावा धूम्रपान, शराब का सेवन, पर्याप्त नींद न लेना, तनाव और कुछ आनुवांशिक कारक भी बेली फ़ैट के लिए ज़िम्मेदार होते हैं. हार्मोन्स भी बेली फ़ैट के लिए ज़िम्मेदार होते हैं. साथ ही उम्र बढ़ने के साथ फ़ैट को बर्न करने की हमारी कम होती क्षमता भी. महिलाओं में मेनोपॉज़ की उम्र में बेली फ़ैट तेज़ी से जमा होना शुरू होता है.
अब बात करें इसके ख़तरों की तो बेली फ़ैट को ऐक्टिव फ़ैट भी कहा जाता है, क्योंकि यह आपको शारीरिक समस्याएं दे सकता है. बेली फ़ैट के कारण आपको कोलेस्टेरॉल, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, डायबिटीज़, स्ट्रोक और कैंसर जैसी कई बीमारियों के चपेटे में आ सकते हैं.
कैसे बर्न करें, ज़िद्दी बेली फ़ैट को?
बेली फ़ैट एक दिन, हफ़्ते या महीने में ख़त्म होनेवाली चर्बी नहीं है. इसके लिए आपको धैर्य रखकर लंबे समय तक की योजना पर काम करना होगा. अपने खानपान में बदलाव लाना होगा. दिनचर्या में व्यायाम को शामिल करना होगा. इसे तेज़ी से बर्न करने के लिए ये कुछ नुस्ख़े आपके काम आ सकते हैं.
* सबसे पहले अपने खानपान में से शक्कर वाली चीज़ें हटा दें. फिर बहुत ज़्यादा नमक से किनारा कर लें. ट्रान्सफ़ैट्स और कार्बोहाइड्रेट की अधिकता वाली चीज़ें न खाएं.
* खानपान में कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स, गुड फ़ैट्स और प्रोटीन शामिल करें.
* एप्पल साइडर विनेगर में मौजूद एसिटिक एसिड से बेली फ़ैट घटाने में मदद मिलती है, रोज़ाना एक या दो टीस्पून एप्पल साइडर विनेगर पानी के साथ लें.
* पाचन को दुरुस्त रखने के लिए प्रोबायोटिक बैक्टीरिया से मदद मिल सकती है.
* आपको स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के साथ-साथ एरोबिक एक्सरसाइज़ अपनी फ़िटनेस रूटीन में शामिल करना चाहिए.
* सबसे ज़रूरी बात, आप किसी भी तरह का तनाव न लें. और नींद के साथ समझौता तो बिल्कुल भी न करें. वर्ना आपके पूरे किए कराए पर पानी फिर जाएगा और बेली फ़ैट और ज़िद्दी बन जाएगा.
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