आप इस बात को स्वीकार करें या न करें, लेकिन यह बात बिल्कुल सच है कि हम सभी का कोई न कोई सेक्शुअल अतीत होता है, कोई ऐसा निजी पल होता है, जिसके आधार पर हमें लगभग ‘ब्लैकमेल’ किया जा सकता है, है ना? यदि इस मामले में आपका जवाब ‘ना’ है, तो इसका अर्थ है कि आपने इस सवाल को सही संदर्भ में नहीं समझा है. तो आइए, इसके बारे में और जानते हैं.
यदि आप इस बात को स्वीकार नहीं करना चाहते कि आपका भी एक ऐसा सेक्शुअल अतीत या निजी पल रहा है, जिसके आधार पर आपको ‘ब्लैकमेल’ जा सकता है तो मैं इसे बख़ूबी समझ सकता हूं, आख़िर हम पर अपनी छवि और प्रतिष्ठा को संभाले रखने का भार भी तो है. (अब यह भी सोचिए कि पेगासस लोगों की सेक्शुअल रुचियों की जासूसी कर रहा है! तो अब आपकी प्रतिक्रिया कैसी है?)
चुप्पी तोड़ता हूं, अपना राज़ खोलता हूं
चलिए, यह चुप्पी पहले मैं ही तोड़ता हूं. आपको यह बताते हुए मैं सोच रहा हूं कि काश जो मैं बताने जा रहा हूं वह थोड़ा फ़िल्मी होता, जैसे- मैंने अपने स्कूल के कॉरिडॉर में अपनी पहली क्रश का चुंबन लिया, लेकिन यह ऐसा बिल्कुल नहीं है. मैं जब किशोर था तो स्थानीय लायब्रेरी में जाकर कॉफ़ी टेबल फ़ोटोग्राफ़ी बुक्स में ग्रीक देवियों की नग्न मूर्तियों के फ़ोटो देखकर ख़ुद को ख़ुश किया करता था. यह सच है कि मनचाहा अंतिम नतीजा पाने के लिए मुझे बहुत सारी कल्पनाओं का सहारा लेना पड़ता था, लेकिन तब इंटरनेट तो था नहीं. महिलाओं की नग्न मूर्तियों की फ़ोटोज़ ही मेरे आनंद का आधार बनती थीं. लेकिन तब मुझे पता नहीं था कि महिला मूर्तियों के प्रति मेरे इस सेक्शुअल आकर्षण का एक मनोवैज्ञानिक नाम भी है-ऐगैल्मैटोफ़िलिया.
उफ़ ये रूढ़ियां!
जब ईसाई धर्म रोमन साम्राज्य का राजधर्म बना-तालिबान इस बात पर ध्यान दें-तो सबसे पहला काम जो ईसाइयों ने किया वो था, मूर्तियों को तोड़ने की मुहिम चलाना. पूरे यूरोप में अनगिनत देवी-देवताओं की मूर्तियां, जिनमें रति प्रेम और सौंदर्य की ग्रीक देवी ऐफ्रोडाइट की नग्न मूर्तियां भी शामिल थीं, तोड़ दी गईं. क्योंकि उनका मानना था कि यह देखनेवालों के मन में काम वासना को जगा देंगी. वे बिल्कुल सही थे, क्योंकि नग्न मूर्तियों में वासना जगाने की शक्ति होती है, ख़ासतौर पर सेक्स-दमित किशोरों के भीतर. मैं तो इसका जीता-जागता सबूत हूं. (यहां यह बताना भी ज़रूरी है कि यदि लायब्रेरियन को मेरे सही इरादे की भनक होती तो शायद वह मुझे लायब्रेरी के आसपास फटकने भी नहीं देता.) तो लीजिए, मैंने खुलकर अपनी बात कह दी.
अतीत में भी कई डॉक्टर्स इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि पुरुषों में महिलाओं की तुलना में कहीं ज़्यादा असामान्य और अजीबोग़रीब सेक्शुअल रुचियां होती हैं.
कुछ बातें और भी जान लें…
विक्टोरियन युग के सेक्सोलॉजिस्ट हैवलॉक एलिस, जिन्हें अपने पुरुष मरीज़ों की असामान्य सेक्शुअल इच्छाओं के लिए ‘सेक्स डेविएंट’ टर्म की खोज का श्रेय दिया जाता है, वे ख़ुद एक यूरोफ़ाइल थे. यूरोफ़ाइल यानी वह व्यक्ति, जो पेशाब की गंध और स्वाद के प्रति सेक्शुअल आकर्षण रखता है. (हमारे पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई भी यूरोफ़ाइल थे. वे अपना ही पेशाब पीते थे.)
और फिर कुछ होते हैं पोडोफ़ाइल्स (podophiles). इस शब्द की स्पेलिंग एकदम डरावने तरीक़े से पीडोफ़ाइल्स (pedophiles, जिसका अर्थ बच्चों को सेक्शुअली पीड़ित करना होता है) शब्द के समान है, इनमें केवल ‘o’ और ‘e’ का ही अंतर है.
लेकिन पोडोफ़िलिया पैरों के प्रति उपजने वाला सेक्शुअल आकर्षण है (अब आप राहत की सांस ले सकते/सकती हैं!). इसे ‘फ़ुट फ़ेटिशिज़्म’ के नाम से भी जाना जाता है. डॉक्टरों के मुताबिक़, यह मनुष्यों में सेक्स के प्रति पाई जानेवाली सबसे ज़्यादा आम असामान्य रुचि है.
ऐसी असामान्य सेक्शुअल रुचियां पुरुषों में ही ज़्यादा क्यों पाई जाती हैं?
वर्ष 2014 में सेज जर्नल में एक कैनेडियन स्टडी प्रकाशित हुई थी, जिसमें इसकी वजह इस बात को बताया गया था कि पुरुषों में कामेच्छा ज़्यादा होती है, लेकिन हाल में हुए शोध इस बात का खंडन करते हैं. यही वजह है कि मैंने इस मामले में डॉ डी नरायण रेड्डी से जानकारी लेना सही समझा, जो विख्यात सेक्शुअल हेल्थ एक्स्पर्ट और वी-वॉक्स के एक्स्पर्ट्स में से एक हैं.
डॉक्टर नारायण रेड्डी का कहना है,‘‘इसका एक कारण तो ये हो सकता है कि महिलाएं अपनी सेक्शुअल रुचियों से जुड़ी चीज़ों के बारे में शर्म, सामाजिक दबाव और कलंक माने जाने के चलते साइकोलॉजिस्ट्स या साइकियाट्रिस्ट से बात ही नहीं करती हैं. ऐसी महिलाएं, जो डॉक्टर्स तक आती भी हैं, वो कभी-भी फ़ॉलो-अप कंसल्टेशन के लिए तक नहीं आतीं. उन्हें लगता है कि ऐसा करने पर डॉक्टर उन्हें ‘जज’ करेंगे. तो इसलिए हमें इसके बारे में ज़्यादा पता ही नहीं होता.’’
वे आगे कहते हैं,‘‘मेरे क्लिनिकल अनुभव की बात करूं तो कुछ महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें फ़ुट फ़ेटिश है. वे चाहती हैं कि उनके पति उनके पैरों की मालिश करें, हाथों की नहीं. कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं, जो चाहती हैं कि सेक्स से पहले उनके पति किसी महिला की तरह ड्रेसअप हों. भविष्य में हमें महिलाओं की और भी कई असामान्य सेक्शुअल रुचियों के बारे में पता चल सकता है, बशर्ते हम उनका इस तरह का ऑनलाइन कंसल्टेशन कर सकें, जहां उनकी गोपनीयता को बरक़रार रखा जाए.’’
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट