कल है-मदर्स डे! हालांकि कुछ लोग अब भी यह कहते मिल जाते हैं कि मदर्स डे मनाना हमारी संस्कृति नहीं, पर वे भी इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि हमारे देश में भी इसे मनाने का चलन पिछले कुछ सालों में बढ़ा ही है. इस दिन हमारे देश में हर धर्म और मज़हब के लोग बाज़ार के दबाव में ही सही अपनी मां को याद कर लेते हैं, उनसे फ़ोन पर बात कर लेते हैं और कुछ तो उन्हें हैप्पी मदर्स डे कह कर विश भी कर देते हैं. लेकिन जिस तरह हमारे देश के सामाजिक तानेबाने में पिछले कुछ सालों में बदलाव आया है, जिस तरह अल्पसंख्यकों, बहुसंख्यकों के मुद्दे उठाए जा रहे हैं और जिस तरह की हिंसा देखने में आई है, आख़िर यह भी तो जाना जाना चाहिए कि आख़िर एक मां ऐसे में कैसा महसूस करती है? आज से आठ मई तक हम रोज़ाना इस मामले में एक मां से बात कर के जानेंगे उनके दिल की बात. जानेंगे कि आज के परिवेश में वो अपने बच्चों को बड़ा करते हुए कैसा महसूस करती हैं? आज इस क्रम में हमने बात की शहडोल की सुचिता शर्मा से.
सुचिता शर्मा एनएचएम की सर्टिफ़ाइड ट्रेनर हैं. वे मैटरनल हेल्थ, निओ-नेटल हेल्थ और ऐडोलेसेंट हेल्थ के साथ-साथ कई सारे सामाजिक मुद्दों पर काम करती हैं, जैसे- वृक्षारोपण, रक्तदान वगैरह. वे मध्य प्रदेश के शहडोल ज़िले में रहती हैं. उनका एक बेटा है, जिसने हाल ही में कॉलेज में दाख़िला लिया है. हमने उनसे भी वे दो सवाल पूछे, जो इन दिनों हम मांओं से पूछ रहे हैं. आइए जानें, सुचिता के जवाब.
देश में आज का जो माहौल है, धर्मों को लेकर जो तनाव दिख रहा है, इस सब के बीच अपने बच्चे की परवरिश को लेकर आपकी क्या चिंताएं हैं?
मैं कट्टर ब्राह्मण परिवार से थी और मेरी शादी एक मुस्लिम परिवार में हुई. मैंने लव मैरिज की है, लेकिन मेरे परिवार का माहौल, जिस परिवार में में रह रही हूं, बहुत ही अच्छा है. मेरे जो पति बहुत सपोर्टिव नेचर के हैं और साथ ही ससुराल पक्ष के सभी लोग बहुत अच्छे हैं. मेरा 19 साल का बेटा है. मैंने आपको बता ही दिया है कि मैं ब्राह्मण परिवार की हूं और मेरी शादी मुस्लिम परिवार में हुई है तो उस हिसाब से मैंने अपने बेटे को दोनों धर्म की शिक्षा दी है. साथ ही, अपने बेटे को यह भी सिखाया कि कोई भी धर्म बुरा नहीं है. हर धर्म में अच्छी ही शिक्षा दी जाती है. अच्छी बातों को हमें एक्सेप्ट करना है, लेकिन साथ ही साथ यदि कहीं ग़लत होता देखें तो उसका विरोध भी करना है.
अगर मैं कहूं कि मुझे अपने बच्चे के लिए डर नहीं लगता तो यह ग़लत होगा. अभी तो मुझे कभी कभी अपने बच्चेके लिए बहुत डर लगता है. ख़ासतौर पर जैसा आजकल का माहौल चल रहा है, मुसलमानों के लिए तो चीज़ें बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है. लेकिन फिर भी सच्चाई तो यही है कि हर धर्म में अच्छे और बुरे लोग होते हैं, कोई धर्म बुरा नहीं होता. मैंने अपने बच्चे को संस्कार अच्छे दिए हैं साथ ही उसे सभी धर्मों का सम्मान करना भी सिखाया है. इसलिए थोड़ा आश्वस्त हूं.
बतौर एक मां आप आज के समय में अपने बच्चों से, देश के दूसरे नागरिकों से और सरकार से क्या कहना चाहेंगी?
मां होने के नाते मैं बच्चों से यही कहना चाहूंगी कि अपने ऊपर विश्वास रखें, दूसरे धर्म का सम्मान करें, दूसरे धर्म के लोगों का सम्मान करें. और सबसे बड़ी बात ये है कि आप उस देश नागरिक हैं, जहां सर्व धर्म समभाव सबसे ऊपर माना जाता है तो अगर आप अपने देश का सम्मान बनाए रखना चाहते हैं तो जो बातें देश के संविधान में मौजूद हैं, लिखी गई हैं, उसका आप सम्मान करें.
अपने देश के नागरिकों से कहना चाहूंगी कि संवेदनशील बनें. आज तक हम जैसे रहते आ रहे थे मिलजुल कर प्यार से उसी तरीक़े से रहें. ज़िम्मेदार नागरिक बनें. देश का, शहर का माहौल बिल्कुल भी ना बिगाड़े. ना कोई धर्म बुरा होता है, ना उस धर्म के मानने वाले अधिसंख्य लोग बुरे होते हैं. जब आज तक हम सब इस देश में शांति से रहते रहे हैं और हमारे पूर्वज भी इतने अच्छे से रहा करते थे कि उस समय भारत सोने की चिड़िया कहलाता था. और अगर आप याद करें कि आज से कुछ समय पूर्व की स्थितियां कैसी थीं और आज स्थितियां कैसी हैं और आकलन करें कि स्थितियां क्यों बिगड़ी तो उसके लिए कहीं ना कहीं हम सभी ज़िम्मेदार हैं. हमें किसी की बातों में न आते हुए जैसे हम पहले प्यार से, सद्भावना से रहते आ रहे थे, उसी तरह रहना होगा. हम सबके ऊपर विश्वास बनाए रखें.
नागरिकों से मेरा यह अनुरोध है कि वे कम से कम यह सोचें कि हम अपने बच्चों के लिए कैसा वातावरण बना कर छोड़ रहे हैं? आज हम इस दुनिया में है कल हम इस दुनिया में नहीं रहेंगे, परंतु हम कम से कम अपने बच्चों के लिए ऐसे ऐसे समाज ऐसी दुनिया को छोड़कर जाएं, ताकि हमारे बच्चे उस समाज में उस देश में सर उठाकर जी सकें, पूरी तरह सुरक्षित रहते हुए. नहीं तो आने वाली जो पीढ़ी हमें कभी माफ़ नहीं करेगी कि हम उसके लिए कैसा देश छोड़े जा रहे हैं. क्योंकि इन सांप्रदायिक संघर्षों से किसी का कुछ नहीं बिगड़ रहा है, बिगड़ रहा है तो हमारा, आम जनता का, इस देश के नागरिक का भविष्य.
सरकार से मैं यही कहना चाहूंगी कि हम सब लोगों ने आप को चुना है वोट देकर आप की ज़िम्मेदारी बनती है हम सब लोगों की सुरक्षा देने की. देश में जो वातावरण बिगड़ रहा है, उसके लिए कहीं ना कहीं ज़िम्मेदारी सरकार की भी है. अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वहन करिए और जैसा सौहार्द्रपूर्ण वातावरण पहले था, उसे बहाल करने का ईमानदार प्रयास कीजिए.
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