आज विश्व पर्यावरण दिवस है. यूं तो इन दिनों इस तरह दिवस आए नहीं कि उनके बारे में सोशल मीडिया में पोस्ट डालने का सिलसिला सा चल पड़ता है. पर्यावरण दिवस पर लोग पेड़ों, चिड़ियों और जानवरों के साथ अपनी सेल्फ़ी को पोस्ट कर के बहुत कुछ लिखा करते हैं. पर क्या इससे कोई बदलाव आएगा? हमारा मानना है कि बदलाव तब आएगा, जब पर्यावरण को सहेजने के लिए हम सब छोटे-छोटे क़दम उठाएंगे और उन्हें अपने जीवन का हिस्सा बना लेंगे. तब मनेगा असली पर्यावरण दिवस. कैसे? आइए जानें…
लोगों को पर्यावरण की रक्षा करने के बारे में बताया नहीं जाएगा तो वो जागरूक कैसे होंगे? लेकिन यदि उन्हें केवल इसके बारे में बताया जाता रहेगा और कुछ सिखाया नहीं जाएगा तो वे ऐसे अमल में कैसे लाएंगे? दरअसल कोई भी बदलाव उसके बारे में थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों के मेलजोल से ही संभव हो सकता है.
अच्छी बात यह है कि आप यदि दूसरी कक्षा के बच्चों की किताब उठा कर देखेंगे तो वहां भी पर्यावरण के बारे में आपको कुछ न कुछ मिल ही जाएगा. मेरे बच्चे के स्कूल में उसे प्रदूषण न करने के बारे में इतनी अच्छी तरह से सिखाया गया है कि वह इस बात को लेकर बहुत सचेत रहता है. फिर चाहे बात वायु प्रदूषण की हो, ध्वनि प्रदूषण की या फिर यहां-वहां सामान न फेंकते हुए धरती को स्वच्छ रखने की, इन सभी बातों को उसे स्कूल में सिखाया गया और उसने व उसके दोस्तों ने इसे अमल में लाया और अब भी लाते हैं. यह एक बेहतरीन तरीक़ा है, जहां आपने बच्चों को सिखा दिया. जब वे नागरिक बनेंगे तब तक पर्यावरण का ख़्याल रखना उनकी आदत में आ चुका होगा और आगे उनके बच्चे अपने स्कूलों में और अपने माता-पिता से इस बारे में सीखेंगे तो यह उनकी भी आदत में शुमार हो जाएगा.
पर समस्या ये है कि पर्यावरण को बचाने के लिए यह नाकाफ़ी है. इसके लिए केवल स्कूल या अभिभावक या सरकार प्रयास करे तो काम चलेगा नहीं. इसके लिए सबको मिल कर काम करना होगा. और इसमें ऐसा कुछ भी नहीं कि जो एक आम आदमी न कर सकता हो. आम जन को केवल छोटे-छोटे क़दम उठाने होंगे और पर्यावरण धीरे-धीरे दुरुस्त होने लगेगा.
यदि आपको लगता है कि इस काम के लिए धरने-प्रदर्शनों, मजमों, सेमिनारों की ज़रूरत है तो भी आप ग़लत हैं. अपने-अपने स्तर पर यदि हर व्यक्ति अपनी आदतें पर्यावरण हितैषी बना ले तो पर्यावरण के ख़्याल रखने की बात सार्थक हो सकती है, अन्यथा नहीं.
थोड़े से बदलाव अपने किचन में, अपने रोज़मर्रा के जीवन में, आवाजाही के साधनों में, कपड़े ख़रीदने/धोने/पहनने की आदतों में कर लीजिए और यक़ीन मानिए कि आप सबसे बड़े पर्यावरण हितैषियों में शुमार हो जाएंगे. यह धरा आपके प्रयासों से हरितिमा का दुशाला ओढ़े आपका और भी ख़्याल रखने लगेगी. तो क्या हैं ये बातें, जो आप पर्यावरण के लिए कर सकते हैं?
नीचे की सूची देखिए, पढ़िए और फिर ख़ुद को ईमानदारी से रेट कीजिए. नीचे दी गई बातों में हर उस पॉइंट के लिए, जिसे आप अमल में लाते/लाती हैं ख़ुद को एक पॉइंट दीजिए. आख़िरी में इन पॉइंट्स को जोड़िए. यदि आप को 20 में से 16 या उसके ऊपर अंक मिलते हैं तो मान लीजिए कि आप पर्यावरण को बचाने का काम अपने स्तर पर कर ही रहे हैं. यदि आपको 16 से कम अंक मिलते हैं तो हमारा निवेदन है कि पर्यावरण को स्वस्थ रखने के लिए अपनी ओर से पूरी कोशिश कीजिए.
किचन में
- दाल, चावल जैसी चीज़ों को बनाने के पहले पानी में भिगोकर रखें. वे पकने में कम ईंधन लेंगे. इससे ईंधन बचेगा.
- खाना पकाने के लिए सोलर कुकर का इस्तेमाल करें.
- वॉटरप्यूरीफ़ायर से निकले व्यर्थ पानी से बर्तन धो लें, पोछा लगा लें, कपड़े धो लें या फिर उसे पौधों में डाल दें.
- अप्लाएंसेस को बार-बार न बदलें. ख़राब होने पर उन्हें रिपेयर करवाने को तरजीह दें, न कि बदलने को.
वॉर्ड्रोब से जुड़ी बातें
- बेवजह ही कपड़े न ख़रीदें. ख़रीदनें जाए तो अपना बैग लेकर जाएं.
- कपड़ों को रिपीट करने से न घबराएं और उन्हें तब तक पहनें, जब तक कि वे ख़राब न हो जाएं.
- नए कपड़े ख़रीदना हो तो पुराने कपड़ों को डोनेट करें.
- कपड़ों को बैग, वॉलेट बना कर रीसाइकल करें.
केमिकल्स का इस्तेमाल
- केमिकल्स का इस्तेमाल कम से कम करें. फिर चाहे वो कपड़े धोने का डिटर्जेंट हो या टॉयलेट क्लीनर.
- कम गंदे कपड़ों को वॉशिंग मशीन में सिर्फ़ पानी से धोकर धूप में सुखा दें. कोई गंध नहीं आएगी. बेवजह आफ़्टर वॉश प्रोडक्ट्स (जिनसे ख़ुशबू आती है और जो केमिकल युक्त होते हैं) का इस्तेमाल न करें.
- परफ़्यूम्स और हवा में घुलने वाले केमिकल्स वायु प्रदूषण के साथ-साथ अपनी पैकेजिंग की वजह से पर्यावरण को नुक़सान पहुंचाते हैं. इनका इस्तेमाल कम से कम करें.
रोज़मर्रा के जीवन में
- ज़रूरत होने पर ही चीज़ें ख़रीदें. जब भी समान ख़रीदना हो अपना बैग ले कर जाएं.
- चीज़ों को तब तक इस्तेमाल करें, जब तक कि वे पूरी तरह ख़राब न हो जाएं.
- जिस कमरे में न बैठे हों, वहां के इलेक्ट्रिक अप्लाएंसेस को बंद रखें, जैसे- लाइट, पंखा और एसी वगैरह.
- जिन कामों को हाथ से किया जा सकता हो, उनके लिए अप्लाएंसेस के इस्तेमाल से बचें.
आवाजाही के दौरान
- यदि जगह पास हो तो पैदल जाएं.
- आसपास की जगहों पर स्कूटर की जगह साइकल से जाएं.
- सार्वजनिक यातायात के साधनों का इस्तेमाल करें.
- कार पूलिंग करें.