आज पूरे देश की निगाहें महिला हॉकी टीम के ब्रॉन्ज़ मेडल के मैच पर थीं. उम्मीद थी कि पुरुष हॉकी टीम की तरह महिलाएं भी कांस्य पदक जीत लाएंगी. हालांकि भारतीय लड़कियां कड़े मुक़ाबले में हार गईं, पर उनके जज़्बे ने दिल जीत लिया. वहीं पलवान बजरंग पुनिया सेमीफ़ाइनल में हार गए. हालांकि उनके पास अब भी कांस्य पदक जीतने का मौक़ा है.
आज महिला हॉकी के कांस्य पदक के लिए खेले गए मैच में पूरे देश की उम्मीदें रानी रामपाल की लड़कियों पर टिकी थीं. कांस्य पदक जीतने के लिए भारत को ग्रेट ब्रिटेन से पार पाना था, जिसने पिछले दो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन किया था. रियो की गोल्ड मेडलिस्ट ग्रेट ब्रिटेन की टीम इस बार भी गोल्ड की कड़ी दावेदार थी, पर सेमीफ़ाइनल में नीदरलैंड की टीम से हार गई थी. भारत के लिए ग्रेट ब्रिटेन की चुनौती से पार पाना इसलिए भी मुश्क़िल कहा जा रहा था, क्योंकि इसी टीम ने ग्रुप स्टेज में भारतीय टीम को 4-1 से रौंद दिया था.
कड़े मुक़ाबले में क्या ख़ूब लड़ीं भारतीय लड़कियां, पदक हार दिल जीत लिया
जहां ग्रेट ब्रिटेन की टीम एक और आसान जीत की उम्मीद कर रही थी, वहीं भारतीय टीम कांस्य पदक जीतने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहती थी. मैच के पहले हाफ़ में दोनों टीमें कोई गोल नहीं कर सकीं. दूसरे हाफ़ की शुरुआत में ही ब्रिटेन की टीम ने दनादन दो गोल करते हुए 2-0 की बढ़त बना ली. पर भारतीय लड़कियों ने भी हार नहीं मानी. अगले पांच में मिनट में गुरजीत कौर के 2 और वंदना कटारिया के 1 गोल की मदद से ब्रिटेन पर 3-2 की बढ़त बना ली. तीसरे हाफ़ में ब्रिटेन के बराबरी कर ली. चौथा हाफ़ 3-3 की बराबरी पर शुरू हुआ, पर 48वें मिनट पर ब्रिटेन की ग्रेस बाल्सडन ने गोल करके ब्रिटेन को 4-3 से आगे कर दिया. उसके बाद जहां भारतीय टीम गोल के मौक़े तलाशती रही, वहीं ब्रिटिश टीम समय बिताने की कोशिश करती रही. भारतीय टीम ज़्यादा मौक़े नहीं बना सकी और मैच समाप्ति की सीटी बजते ही कांस्य पदक ग्रेट ब्रिटेन के नाम हो गया.
ब्रिटेन ने भले ही कांस्य पदक जीत लिया हो, पर कमज़ोर आंकी जा रही भारतीय लड़कियों ने जिस तरह उन्हें पूरे मैच के दौरान दबाव में रखा, वह तारीफ़ के क़ाबिल है. इस हार के बावजूद भारतीय महिला हॉकी टीम को विजेता से कम का दर्जा नहीं दिया जा सकता. 12 टीमों में चौथा स्थान पाना अपने आप में कम उपलब्धि नहीं है.
कुश्ती में मामला रहा फ़िफ़्टी-फ़िफ़्टी
कुश्ती में आज भारत के आख़िरी दो पहलवान अखाड़े में उतरनेवाले थे. पुरुषों के 65 किलोग्राम के फ्रीस्टाइल वर्ग में बजरंग पुनिया और महिलाओं की 50 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कैटेगरी में सीमा बिस्ला. जहां सीमा बिस्ला अपने पहले ही राउंड में हारकर बाहर हो गईं, वहीं बजरंग पुनिया ने बैक टू बैक दो मुक़ाबले जीतकर सेमीफ़ाइनल में प्रवेश किया. देर शाम लगने लगा कि भारत को कुश्ती में गोल्ड मेडल मिल सकता है, पर सेमीफ़ाइनल में बजरंग अज़रबेजान के पहलवान हाजी अलियेव से हारते ही यह उम्मीद टूट गई. कल बजरंग पुनिया को कांस्य पदक के मुक़ाबले में खेलना है. वहीं सीमा बिस्ला को हरानेवाली पहलवान के अगले राउंड में हारते ही रेपेचेज के ज़रिए पदक जीतने का उनका रास्ता बंद हो गया.
अदिति अशोक तेज़ी से बढ़ रही हैं पदक की ओर
ओलंपिक के शुरुआत में किसी ने उम्मीद भी नहीं की होगी कि भारत को गोल्फ़ में पदक मिल सकता है. यहां तक कि गोल्फ़ में भारत का प्रतिनिधित्व कौन कर रहा है, इस ओर भी ज़्यादातर लोगों ने ध्यान नहीं दिया. पर गोल्फ़र अदिति अशोक दुनिया के धुरंधर खिलाड़ियों को पछाड़ते हुए आज भी दूसरे स्थान पर बनी रहीं. वे मेडल जीत पाती हैं या नहीं, इसका फ़ैसला कल हो जाएगा.
कल किन भारतीय खिलाड़ियों और खेलों पर रहेगी ख़ास नज़र?
– पुरुषों के 65 किलोग्राम के फ्रीस्टाइल वर्ग में बजरंग पुनिया कांस्य हासिल करने की कोशिश करेंगे.
-अदिति अशोक गोल्फ़ में पदक जीतनेवाली पहली भारतीय बन सकती हैं.
-कल का सबसे बड़ा मैच है भाला फेंक में नीरज चोपड़ा का. नीरज के पास ऐथलेटिक्स में भारत को पहला ओलंपिक मेडल जीतनेवाला खिलाड़ी बनने का मौक़ा है. अगर वे क्वॉलिफ़ाइंग राउंड के प्रदर्शन को बरक़रार रखते हैं तो वे पदक ज़रूर जीत लेंगे.