प्रकृति ने हमारे शरीर को कुछ इस तरह डिज़ाइन किया है कि हमें अपनी ज़िंदगी का एक तिहाई हिस्सा सोकर गुज़ारना है, पर हम लगातार प्रकृति की इस व्यवस्था के साथ छेड़खानी करते रहते हैं. नतीजा अब हमें चाहकर भी नींद नहीं आती. सिर्फ़ प्यार की रातों में ही नहीं, नॉर्मल रातें भी अब बिस्तर पर करवटें लेती बीतती हैं. आइए जानें, नींद आने के 5 रास्ते.
मनुष्य विकास के उस पायदान पर पहुंच चुका है, जहां वह लगातार बायोलॉजिकल क्लॉक को अपने हिसाब से मोड़ने की कोशिश करते रहता है. इस काम में उसे कुछ सफलताएं मिली हैं, पर उसकी क़ीमत भी मनुष्य को चुकानी पड़ी है. सफलता की बात करें तो जहां पहले बहुत सारे काम दिन रहते उजाले में निपटाने होते थे, क्योंकि शाम ढलते ही अंधेरा उसे अपनी आगोश में ले लेता था. मनुष्य ने अपने प्रयासों से अंधेरे और उजाले में किए जानेवाले कामों के बीच की विभाजन रेखा समाप्त कर दी. पर बायोलॉजिकल क्लॉक को हराने के चक्कर में उसने अपनी नींद गंवा दी है. दुनिया की बड़ी आबादी अनिद्रा की शिकार है. अगर आप भी उन्हीं में से एक हैं तो अनिद्रा की समस्या से छुटकारा पाने के ये 5 तरीक़े आपके काम आ सकते हैं. पर उससे भी पहले हम जानते हैं, क्या होता है जब आपकी नींद पूरी नहीं हो पाती.
क्या होता है, जब आपकी नींद पूरी नहीं हो पाती?
अगर आपको रोज़ाना कम से कम सात से नौ घंटे की नींद नहीं मिल पा रही है तो इस बात की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है कि आप दिनभर थका-थका महसूस करेंगे और चिड़चिड़ापन भी. लंबे समय तक नींद पूरी न होने के अपने दूसरे साइड इफ़ेक्ट्स भी हैं, मसलन-आप हाई ब्लड प्रेशर के मरीज बन सके हैं. थकान के चलते मूड स्विंग्स का सामना करना पड़ेगा. याददाश्त ख़राब हो जाएगी और आपका वज़न भी बढ़ना शुरू हो जाएगा. इतना ही नहीं आपके पारिवारिक संबंधों में भी इसका असर दिखेगा. ऑफ़िस में आपकी कार्यक्षमता प्रभावित होगी. नींद की कमी जितनी बढ़ती जाएगी, ये समस्याएं उतनी ही विकराल होती जाएंगी.
नींद लाने का पहला रास्ता: कभी-कभी अंधेरे से हारना भी अच्छा होता है
इंसान को हार इस शब्द से सख़्त नफ़रत है. अंधेरा तो उसका शत्रु नंबर वन है. उसने आग की खोज की तो लगा कि इस शत्रु को हराने का एक कारगर हथियार मिल गया, पर जल्द ही आदिम मनुष्य को अंधेरे का महत्व समझ आ गया. उसने अपनी ज़िंदगी में आग और अंधेरे दोनों का बैलेंस बनाए रखा और अच्छी ज़िंदगी जीता रहा. औद्योगिक क्रांति के दौरान जब उसके हाथ विद्युत की शक्ति लगी तो उसने अंधेरे के साम्राज्य में दख़ल देना शुरू किया और अपनी नींद को क़ुरबान करने लगा.
अब तो लाइट्स के अलावा विद्युत से शक्ति लेनेवाले मोबाइल फ़ोन ने उसकी ज़िंदगी पर कब्ज़ा कर लिया है. अनिद्रा से पीड़ित ज़्यादातर लोग देर रात तक मोबाइल की स्क्रीन पर गड़े रहते हैं.
तो अगर आप चैन की नींद सोना चाहते हैं तो अपने कमरे में रात को उजाले की जगह अंधेरे को पसरने दें. बेहतर तो यह होगा कि बिस्तर पर जाने के आधे या एक घंटे पहले घर की बत्तियों को डिम कर दें. मोबाइल फ़ोन को कहीं दूर रख दें. जब बिस्तर पर जाएं तो बेडरूम के पर्दे लगा दें, ताकि बाहर से रौशनी कमरे में न आने पाए. जब आप ऐसा करने हैं तो आपके शरीर में मेलोटोनिन नाम हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है, जो अच्छी नींद लाने में मददगार है.
नींद लाने का दूसरा रास्ता: नींद को आवाज़ से नफ़रत है, रात को नींद की बात मान लें
अगर कोई लगातार आपके कानों में कुछ बोलता रहे तो क्या आप कॉन्सन्ट्रेट कर पाएंगे? नहीं ना? तो आप रात को जब सोने का वक़्त होता है तो नींद को आवाज़ से क्यों डिस्टर्ब करते हैं? गहरी नींद में सोने के लिए आपके कानों को आराम चाहिए होता है. तो देर रात तक लाउड वॉल्युम में टीवी देखने की अपनी आदत को बदल लें. सोने के क़रीब आधे या एक घंटे पहले टीवी देखना बंद कर दें. अगर आपको लगता है कि रात ही तो मेरा मनोरंजन का समय है तो आप धीमी आवाज़ में गाने सुन सकते हैं. अपने बेडरूम के दरवाज़े को अच्छी तरह बंद कर दें ताकि घर के दूसरे लोग जाग रहे हों तो भी उनकी आवाज़ें आप तक न पहुंचें. नींद का एक और दुश्मन है मोबाइल फ़ोन. तो अपने मोबाइल को सोने जाते समय साइलेंट पर रख दें. और हां, फ़ोन का डेटा ऑफ़ कर दें ताकि सोशल मीडिया के नोटिफ़िकेशन्स आपकी नींद में खलल न डाल पाएं.
नींद लाने का तीसरा रास्ता: कमरे का तापमान कम होना, बेहतर नींद की गैरेंटी है
तापमान यानी टेम्प्रेचर और नींद का इनवर्सली प्रपोर्शनल वाला रिश्ता है. यानी तापमान बढ़ने पर नींद अच्छी नहीं आती और तापमान कम होने पर अच्छी नींद की संभावना बढ़ जाती है. यहां कमरे के तापमान को आप शरीर के तापमान से भी जोड़कर देख सकते हैं. कमरे की एसी का टेम्प्रेचर कम करने के बजाय आप अपने शरीर के तापमान को कम करने के बारे में सोचें. जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या है अगर वे बिस्तर पर जाने के पहले स्नान करते हैं तो काफ़ी फ़ायदा होता है. स्नान करने से न केवल शरीर का तापमान कम होता है, बल्कि आपका मस्तिष्क भी रिलैक्स्ड फ़ील करता है. आप यह तरीक़ा अपनाकर देखें, बहुत हद तक संभव है, आपकी नींद की समस्या हल हो जाएगी.
नींद लाने का चौथा रास्ता: अपना एक स्लीप रूटीन बनाएं और उसका पालन करें
किसी भी काम में सफलता हासिल करने का सबसे प्रामाणिक तरीक़ा माना जाता है बारंबारता यानी कंसिस्टेंसी को. नींद के साथ भी यह फ़ॉर्मूला काम करता है. अपने सोने और जागने का एक शेड्यूल बनाएं और बिना नागा किए उस शेड्यूल का पालन करने की कोशिश करें. वीकएंड्स पर भी सोने और जागने का वही शेड्यूल रखें. ऐसा करके आप अपने शरीर और मस्तिष्क को ट्रेन कर रहे होते हैं. उसे पता चल जाता है कि कब सोना है, कब जागना. एक बार उसे यह आदत लग गई तो आपको तय समय पर नींद आ जाएगी और बिना किसी अलार्म या मुर्गे की बांग सुने नींद खुल भी जाएगी.
नींद लाने का पांचवां रास्ता: नींद के साथ ज़बर्दस्ती न करें
बहुत कोशिश करने के बाद भी अगर आपको नींद न आ रही हो तो उसके साथ ज़बर्दस्ती न करें. ऐसा करके आप अपने दिमाग़ पर एक तरह का प्रेशर क्रिएट कर लेते हैं. कुछ समय तक बिस्तर पर पड़े रहने के बाद भी नींद न आ रही हो तो बिस्तर छोड़कर उठ जाएं. अपने दिमाग़ को डाइवर्ट करें. कोई अच्छी किताब पढ़ना शुरू कर दें. धीमी आवाज़ में सुकूनदेह म्यूज़िक सुनना शुरू कर दें. अगले दिन का काम निपटाने का ख़्याल आपके दिमाग़ में आ सकता है. ऐसा भूलकर भी न करें. ऐसा करके आप अपने दिमाग़ पर बेमतलब का स्ट्रेस लाद लेते हैं. नींद न आने की स्थिति में स्क्रीन देखना न शुरू करें और न ही सिगरेट का कश लेने की इच्छा के सामने हार मानें. कॉफ़ी और चाय भी पीने की कोई ज़रूरत नहीं है. इस बात की काफ़ी संभावना है कि किताब पढ़ते हुए या लाइट म्यूज़िक सुनते हुए आपको कब नींद आ जाए, पता ही न चले.
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