जब शाहजहां ने ताजमहल बनवाने का फ़ैसला किया तो क्या उन्होंने यह फ़ैसला महज़ अपनी प्यारी बेग़म मुमताज से बेपनाह मोहब्बत की ख़ातिर लिया था? या कुछ और वजह भी रही होगी? वे इतिहास में अपने प्रेम को अमर कर देना चाहते थे. पर वे बादशाह थे, उनका प्रेम अमर करने का यह रास्ता काफ़ी ख़र्चीला था, जो हम सभी अफ़ोर्ड नहीं कर सकते. आइए, ख़ुद को इतिहास में लंबे समय तक प्रासंगिक बनाए रखने का सस्ता वाला रास्ता तलाशते हैं.
अमरत्व प्राप्त करना किसी एक मनुष्य का ही नहीं, हमारी संपूर्ण मानवता का एक सामूहिक लक्ष्य या कहें उद्देश्य या दिल में दबी हुई गहरी इच्छा है. विज्ञान लगातार इस लक्ष्य को साकार करने में लगा हुआ है. पर दिल के अंदरख़ाने हम यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि हम सभी को कभी-न-कभी मरना तो है ही. ऐसे में जितने भी समझदार लोग हुए, उन सभी ने मरने के बाद भी जीवित बने रहने का रास्ता तलाश लिया था. वह रास्ता था लोगों की यादों में बने रहना. यदि आप भी हमेशा-हमेशा के लिए या कहें लंबे समय के लिए लोगों की यादों में बने रहना चाहते हैं तो डॉ अबरार मुल्तानी के सुझाए रास्ते पर आज से ही चल पड़िए.
दुनिया लोगों को क़िस्से कहानियों में ही याद रखती है. अगर आप चाहते हैं कि दुनिया आपको याद रखे तो कुछ क़िस्से और कहानियां ज़रूर छोड़कर जाएं. त्याग, बलिदान, न्याय, ईमानदारी, दोस्ती, प्रेम, हास्य-व्यंग्य या कोई सुपर नैचुरल कहानी आपको लोगों के ज़हनों में कई कई सालों तक ज़िंदा रखेगी. यह बात एक बादशाह, संत, फ़क़ीर, नेता, दार्शनिक और अन्य बुद्धिमान या ऐसे चतुर लोग जो अमरत्व चाहते हैं वे जानते हैं. वे अपनी कहानियों को प्रचारित करने में बहुत मेहनत और बुद्धि लगाते हैं. राजाओं, महाराजाओं, बादशाहों और नवाबों के यहां तो इसके लिए बाकायदा एक या एक से अधिक अफ़साना निगार होते थे. उनके अनुयायी भी उनके लिए तरह तरह की कहानियां गढ़ कर उन्हें अमर बनाने का प्रयास करते रहते हैं.
कुछ सयाने अनुयायी अपने आदर्श के लिए किसी और महापुरुष और देश की कहानी को चुराने से भी नहीं हिचकते हैं. नदी पर चलने वाले को नसीहत देने वाली, पहले स्वयं गुड़ को त्यागकर फिर गुड़ त्यागने की बात बच्चे को समझाने की या एक युवती को उठाकर नदी पार करने की कहानी मैंने लगभग हर आध्यात्मिक गुरु की किताबों में पढ़ी है.
आप किसी नेता को, किसी पीर-फ़क़ीर या संत को किस तरह से याद करते हैं? हां, कहानियों के रूप में. मीर से ज़्यादा ग़ालिब लोगों के ज़हनों में क्यों बसे हैं? क्योंकि, उनके कई दिलचस्प क़िस्से हैं, जबकि मीर के नहीं. किसी अन्य शायर और लेखिका से ज़्यादा साहिर और अमृता की जोड़ी को क्यों याद किया जाता है? क्योंकि, इस अनोखी जोड़ी के हिस्से में कई दिलचस्प क़िस्से हैं जो दूसरी जोड़ियों के पास नहीं हैं. क़िस्से दिलचस्प हों, हंसाने वाले हो, कई जगह उदाहरण दिए जाने वाले हों और समय का उनपर असर न होने वाले हों तो फिर उससे जुड़ा पात्र कई सदियों के लिए अमर हो जाता है.