• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home ज़रूर पढ़ें

बाजार में बिकने वाले हर टॉनिक का बाप है छींद का फल: डॉक्टर दीपक आचार्य

डॉक्टर दीपक आचार्य by डॉक्टर दीपक आचार्य
June 1, 2023
in ज़रूर पढ़ें, डायट, हेल्थ
A A
chhind
Share on FacebookShare on Twitter

खजूर की देसी प्रजाति छींद, जिस पर मध्य प्रदेश के शहर छिंदवाड़ा का नाम पड़ा है, में ढेर सारे औषधीय गुण हैं. इनके बारे में बताते हुए डॉक्टर दीपक आचार्य इस बात पर चकित भी हैं कि क्यों अब तक इन देसी खजूरों पर न तो डिटेल्ड साइंटिफ़िक स्टडी हुई है और न ही इनका कमर्शल उपयोग किया गया है.

छींद खजूर की ही देसी प्रजाति है. छींद हमारे भारतीय ग्रामीण अंचलों की एक बड़ी ही महत्वपूर्ण वानस्पतिक विरासत है. छींद के तने, जड़, छाल, पत्तियों और फलों के ख़ूब सारे औषधीय गुण हैं. ग्रामीण अर्थव्यवस्था के हिसाब से भी छींद महत्वपूर्ण है. चाहे चटाई बनाना हो, घरों की छत और बाड़ बनाना हो या फिर हाथ पंखें या झाड़ू, छींद की पत्तियां ख़ूब इस्तेमाल की जाती है.
भागदौड़ भरे जीवन में हम छींद को भूलते चले जा रहे हैं. शहरीकरण की भेंट चढ़ने वाले कई महत्वपूर्ण पेड़ों में से छींद भी एक है. मेरे गृह ज़िले का नाम भी इसे पेड़ की बहुतायत की वजह से रखा गया है, छिंदवाड़ा. बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि इस ज़िले में इस पेड़ की संख्या में तेज़ी से कमी आई है. हमारे आदिवासी अंचलों में छींद को लेकर कई तरह की पौराणिक मान्यताएं भी हैं. खैर, मैं आज इसके फलों के बारे में कुछ जानकारियां आप सभी दोस्तों से साझा कर रहा हूं.

एनीमिया दूर करते हैं
छींद के फल बेहद टेस्टी होते हैं. कच्चे फल कसैले और गले में लगने वाले होते हैं, लेकिन पकने के बाद ये बेहद मीठे और स्वादिष्ट लगते हैं. फलों के भीतर खजूर की तरह कठोर बीज पाया जाता है. इसका पल्प कई औषधीय गुणों की खान है. आदिवासी इलाकों में जानकार छींद के पके फलों को एनीमिया से ग्रस्त लोगों को खिलाते हैं. क़रीब 100 ग्राम पके हुए छींद के फलों को प्रतिदिन खाने की सलाह दी जाती है. पके फलों में माइक्रो न्यूट्रिएंट्स ख़ूब पाए जाते हैं और शरीर के लिए आयरन भी ख़ूब देते हैं. एनिमिक लोगों में विटामिन B12 के लेवल को बेहतर बनाने के लिए भी ये फल काफ़ी ख़ास हैं.

इन्हें भीपढ़ें

यहां मिलेंगे बारिश में झड़ते बालों को रोकने के उपाय

यहां मिलेंगे बारिश में झड़ते बालों को रोकने के उपाय

June 5, 2025
naushera-ka-sher_brig-mohd-usman

ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान: नौशेरा का शेर

June 4, 2025
कल चौदहवीं की रात थी: इब्न ए इंशा की ग़ज़ल

कल चौदहवीं की रात थी: इब्न ए इंशा की ग़ज़ल

June 4, 2025
abul-kalam-azad

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद: वैज्ञानिक दृष्टिकोण के पक्षधर

June 3, 2025

chhind

एनाल्जेसिक भी होते हैं
महाराष्ट्र के अहमदनगर में मुझे एक हर्बल मेडिसिन एक्सपर्ट ने बताया था कि कमर और पुट्ठों के दर्द में तेज़ी से राहत देने के लिए वे लोगों को पके हुए छींद खाने की सलाह देते हैं. छींद के फल एनाल्जेसिक भी होते हैं यानी इनमें दर्द निवारक गुण भी ख़ूब होते हैं. अभी कुछ दिनों पहले ही पातालकोट यात्रा से लौटा हूं, जंगल में पके हुए छींद देखकर हमारी ‘हर्बल वर्बल’ टोली बंदरों की सेना की तरह छींद पर टूट पड़ी, वजह सिर्फ़ इतनी थी कि लंबी हाइकिंग के बाद हम सबके के बदन टूट रहे थे और कुछ दूरी तक चलने के बाद हमारी टीम के एक जानकार को छींद दिख गया और हमारी समस्याओं को समाधान भी मिल गया. हर एक बन्दे ने दो-दो मुट्ठी छींद चबा मारा और अगले 10 मिनट में हमारी फ़ौज सीना तान चुकी थी, थकान और दर्द रफूचक्कर हो चुका था. अब इससे ज़्यादा साक्षात प्रमाण और क्या दिए जा सकते हैं? छींद का फल बाजार में बिकने वाले हर टॉनिक का बाप है.

वर्टिगो के लिए हैं कारगर
वर्टिगो और बार-बार सर चकराने की समस्या में भी छींद के पके फल बढ़िया काम करते हैं. डायटरी फ़ाइबर्स की मात्रा भी ख़ूब होने की वजह से ये पाचन दुरुस्त करता है और पेट की कई समस्याओं की छुट्टी कर मारता है. कैल्शियम भी ख़ूब पाए जाने की वजह से ये हमारे हड्डियों के लिए भी उत्तम है. गांव, देहातों में इसकी जड़ों को खोदकर दातून की तरह उपयोग में लाया जाता है, पायरिया, सड़ांध और दांतों की मजबूती के लिए इसे कारगर माना जाता है.
इसके फलों के गुणों के बारे में गांव, देहात और जंगललै बोरेटरी के बुज़ुर्ग जब अपनी पोटली खोलते हैं तो हर बार यही सोचता रह जाता हूं कि अब तक इस देहाती फल का इस्तेमाल कमर्शल लेवल पर क्यों नहीं हुआ है? भारत के अनेक प्रांतो में पाए जाने इस फल को अब तक बाज़ार तक आने का मौका क्यों नहीं मिला? क्या उन लोगों की क़िस्मत वाक़ई इतनी ख़राब है जिन्होंने इसे अब तक चखा नहीं? रास्ते खोजे जाने चाहिए, पर रास्तों को खोजने के लिए भटकना होगा.

छींद के औषधीय गुणों को लेकर जितने भी क्लेम्स हैं, इस पर डिटेल्ड साइंटिफ़िक स्टडी भी होनी चाहिए. मैं ठहरा फ़ुरसतिया और घुमक्कड़, मेरा काम गांव, देहात के पारंपरिक नुस्ख़ों, जीवनशैली और रहन-सहन के सादे तौर तरीक़ों को आप तक पहुंचाना है, ताकि थोड़ा भटकाव आप में भी आए. यह देश का ज्ञान है और इस ज्ञान में दम बहुत है. फिलहाल छींद पक चुका है, कुछ जुगाड़ जमा पाएं तो चख ज़रूर लीजियेगा, क़िस्मत और सेहत के कपाट खुल जाएंगे.

फ़ोटो साभार: गूगल, डॉक्टर दीपक आचार्य

Tags: Chhindcountry's knowledgeDesi datesDr. Deepak Acharyaherbal-verbalJungle LaboratoryMedicinal propertiesऔषधीय गुणछींदजंगल लेबोरेटरीडॉक्टर दीपक आचार्यदेश का ज्ञानदेसी खजूरहर्बल-वर्बल
डॉक्टर दीपक आचार्य

डॉक्टर दीपक आचार्य

डॉक्टर दीपक आचार्य, पेशे से एक साइंटिस्ट और माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं. इन्होंने मेडिसिनल प्लांट्स में पीएचडी और पोस्ट डॉक्टरेट किया है. पिछले 22 सालों से हिंदुस्तान के सुदूर आदिवासी इलाक़ों से आदिवासियों के हर्बल औषधीय ज्ञान को एकत्र कर उसपर वैज्ञानिक नज़रिए से शोध कर रहे हैं.

Related Posts

dil-ka-deep
कविताएं

दिल में और तो क्या रक्खा है: नासिर काज़मी की ग़ज़ल

June 3, 2025
badruddin-taiyabji
ओए हीरो

बदरुद्दीन तैयबजी: बॉम्बे हाई कोर्ट के पहले भारतीय बैरिस्टर

June 2, 2025
economy
ज़रूर पढ़ें

क्या विश्व की चौथी बड़ी अर्थ व्यवस्था का सच जानते हैं आप?

May 26, 2025
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.