मीडिया के एक बड़े हिस्से में सलमान ख़ान की पूर्व प्रेमिका वाली पहचान से दुखी सोमी अली ने हमें अपने एनजीओ ‘नो मोर टियर्स’ के बारे में बताया. साथ ही यह भी कि किस बात से उन्हें यह एनजीओ शुरू करने की प्रेरणा मिली? अपनी छोटी-सी बॉलिवुड पारी से उन्होंने क्या सीखा? रिश्तों के बारे में उनका क्या नज़रिया है? और वे क्यों एक बार फिर भारत आना चाहती हैं?
‘‘मेरे पिता पाकिस्तान के जाने-माने निर्माता निर्देशक थे. पापा और मां में बनती नहीं थी. पापा, मां के साथ घरेलू हिंसा करते थे, हालांकि हम बच्चों के साथ उनका बर्ताव अच्छा था. मां, पापा से न बनने के कारण बाहर अपने दोस्तों में व्यस्त रहती थीं. इसलिए कभी उन्होंने मुझपर या मेरे भाई पर ध्यान नहीं दिया. कराची में हमलोग 26 कमरों के घर में रहते थे. हमारी परवरिश नौकरों के हाथों ही हुई है. यही वजह रही कि पांच साल की उम्र में हमारे कुक ने मेरा शारीरिक शोषण किया था. एक दो बार और ये घटनाएं हुईं, चूंकि मेरी मां को अपने दोस्तों से फुरसत नहीं मिलती थी, उनके पास हमारी बात सुनने का वक़्त नहीं होता था. पापा ख़ुद मां के साथ हिंसा करते थे इसलिए उन्हें बताकर कोई फ़ायदा नहीं होने वाला था. इस तरह एक अमीर और प्रिविलेज्ड परिवार से होने के बावजूद मेरे साथ यौन शोषण की घटनाएं हुईं.
‘‘कुक द्वारा किया गया यौन शोषण तो महज़ शुरुआती बात थी. मेरा बचपन अजीब से माहौल में बीता है. काफ़ी डिस्टर्ब रहा है. मेरे साथ यौन शोषण एक नहीं कई बार हुआ. एक वॉचमैन ने भी मेरा यौन शोषण किया था. फिर इसके बाद 11 साल की उम्र में मैं अमेरिका पढ़ने के लिए चली गई. वहां 14 साल की उम्र में एक 17 साल के लड़के ने पार्क में मेरे साथ बलात्कार किया. मैं बिल्कुल बेसहारा हो गई थी. लेकिन मैंने तय किया कि अब रोने से कुछ नहीं होगा. मैं ख़ुद के लिए आवाज़ बनी. मैंने क़ानूनी तौर पर उस लड़के को सज़ा दिलाई. बचपन की इन घटनाओं से मुझे ‘नो मोर टियर्स’ की प्रेरणा मिली.
‘‘मैंने देखा है कि हमारे घरों में ही कई दरिंदे रहते हैं और उनकी दरिंदगी को हवा तब मिलती है, जब घर में अपने ही पैरेंट्स लड़कियों को समझाते हैं कि अगर कोई उनके साथ कुछ ग़लत कर रहा है, तो उसके बारे में किसी को भी मत बताओ. छुपा कर रखो. मैंने बचपन में अपने साथ हुए शोषण के बारे में मां, पापा को न बताकर ग़लती की थी, बेशक़ मेरे मामले में अकेलेपन की भावना और विश्वास की कमी एक बड़ा मसला था. लेकिन मैं बच्चियों के माता-पिता को सलाह देना चाहूंगी कि,‘अपनी बच्चियों की बात को सुनें.’
‘‘नो मोर टियर्स के लिए काम करते हुए मैंने जाना है कि सिर्फ़ पाकिस्तान और भारत में ही नहीं, सऊदी अरब, अफ्रीका, बांग्लादेश में भी महिलाओं के साथ बुरा हो रहा है. पाकिस्तान नहीं सऊदी अरब सबसे बुरी जगह है औरतों के लिए. वहां हर दूसरे घर में महिला घरेलू हिंसा की शिकार है. मोरक्को, जॉर्डन, मिडिल ईस्ट के साथ-साथ भारत में भी पुरुषों की सत्ता का ही बोल बाला है. घरेलू हिंसा की ज़्यादातर विक्टिम्स इन्हीं देशों की होती हैं. आप कहेंगे घरेलू हिंसा से निपटने का रास्ता क्या है? मेरा मानना है कि औरतों को एकजुट होना पड़ेगा. आपस में जलने और लड़ने के बजाय, पुरुषों के ईगो को चैलेन्ज करना होगा.
‘‘नो मोर टियर्स का काम देख कर बराक ओबामा और जूनियर बुश ने भी मेरी तारीफ़ की है. बराक ओबामा और जॉर्ज बुश ने मेरे एनजीओ को अवॉर्ड दिया है. मैं लॉरियाल वुमन वर्थ द 2020 थी. लेकिन मैं कुछ भी कर लूं, मीडिया के एक बड़े तबके के लिए सलमान ख़ान की एक्स गर्लफ्रेंड ही रहूंगी. लोग मुझे उसी रूप में ही देखते और चुटकी लेते हैं. लेकिन आज भी जब मेरी चर्चा केवल सलमान की एक्स गर्लफ्रेंड के रूप में ही होती है, तो मुझे बेहद तक़लीफ़ होती है. हालांकि यह भी सच है कि मैं भारत इसीलिए आई थी, क्योंकि मुझे सलमान से शादी करनी थी. जब मैं भारत आई थी, उस वक़्त बेहद कम उम्र की थी. मेरा सपना था कि सलमान से शादी करूं. यह बात मैंने फ़िल्म बुलंद की शूटिंग के दौरान सलमान को बताई भी थी. यह सुनकर सलमान हंस दिए थे. यह भी सच है कि आगे चलकर इस रिश्ते में मेरा दिल टूटा, जिसके कारण मुझे भारत से जाना पड़ा, पर एक मज़ेदार बात यह भी है कि सलमान के साथ होने से एक बड़ा फ़ायदा यह हुआ कि मेरे साथ फ़िल्म इंडस्ट्री में कोई भी बदतमीज़ी करने की कोशिश नहीं करता था.
‘‘आज हम दोनों के रास्ते अलग हैं, लेकिन मैं आज भी सलमान के परिवार के बहुत क़रीब हूं. सलमान का परिवार कमाल का है. मैं उनकी आभारी पूरी ज़िंदगी रहूंगी. उन्होंने एक बेटी की तरह भारत में मेरा ख़्याल रखा था. सलीम अंकल मुझे हर दिन कोई ना कोई कहानी सुनाते थे. बहुत कुछ उस घर से मैंने सीखा है. वो लोग धर्म नहीं देखते हैं. उनका घर सभी के लिए खुला रहता है. मैं उनके परिवार से संपर्क में हूं. सलमा आंटी दो साल पहले मियामी आई थीं तो उनसे मिलने गई थी. जब भी वो लोग अमेरिका आते हैं, मैं उनसे ज़रूर मिलती हूं.
मीडिया में सलमान के दिए गिफ़्ट्स को मेरे द्वारा बेचे जाने की बात आती है. तो उसका क़िस्सा कुछ यूं है. देखिए, सलमान प्रपोज़ वगैरह करने में कुछ ख़ास अच्छे नहीं थे. लेकिन वह ज्वेलरी बहुत महंगी-महंगी देते थे. हां, यह सच है कि मैंने सलमान द्वारा दी गई सारी ज्वेलरीज़ को बाद में बेच दी थी. ऐसा मैंने अपने एनजीओ के लिए पैसे जुटाने के लिए किया था. अब मेरी ज़िंदगी सलमान की एक्स होने से काफ़ी आगे बढ़ गई है. हालांकि अलग होने के बाद, हम दोनों ने कभी एक-दूसरे से सम्पर्क नहीं किया, पर मैं मानती हूं कि सलमान के साथ मेरे रिश्ते की ख़ूबसूरती हमेशा बनी रहेगी.
‘‘अब मैं नो मोर टियर्स के ज़रिए दूसरी महिलाओं के आंसू पोंछने की कोशिश करती हूं. पर एक वक़्त था जब मैं ख़ुद डिप्रेस थी. भारत से जाने के बाद मैं काफ़ी रोई धोई थी, लेकिन फिर मेरे भाई ने समझाया कि कबतक ऐसे रहोगी? आगे बढ़ो. फिर मैंने आगे की पढ़ाई पूरी करने का फ़ैसला लिया. बाद में कुछ लड़कों को डेट भी किया. लेकिन फिर समझ आ गया कि ज़िंदगी इससे और भी कहीं आगे है. अब मैंने अपने इसी काम से शादी कर ली है और वहां आने वाली हर महिला मेरे लिए परिवार की तरह है. मुझे आज इस बात से बेहद संतुष्टि है कि मैं कई महिलाओं के साथ काम कर रही हूं, उन्हें आत्महत्या करने या फिर कोई ग़लत क़दम उठाने से रोक रही हूं. हम लोग उन्हें जीने का नया मक़सद दे रहे हैं.
‘‘मैं लड़कियों और महिलाओं से कहती हूं, बचपन में हमसे ग़लतियां हो जाती हैं, जैसे ऐक्टिंग मेरे लिए ग़लती ही थी. पर हमें उससे सीख लेकर आगे बढ़ना होता है. मैं दोबारा कहूंगी ऐक्टिंग मेरे लिए ग़लती थी. आप लोग कभी मेरी फ़िल्में नहीं देखिएगा. बुरा काम किया है मैंने. मैं ख़ुद भी नहीं देखती और कभी ऐक्टिंग की तरफ़ वापस नहीं जाऊंगी. वह तो बचपन के फ़िल्मी माहौल और फ़िल्म मैंने प्यार किया से प्रभावित होकर बस सलमान से शादी करने भारत पहुंच गई थी. फ़िल्मों में टिकने का मेरा कोई इरादा नहीं था.
मैं बॉलिवुड का हिस्सा बनने नहीं, पर बस अपनी कुछ अधूरी ख़्वाहिशें पूरी करने और कुछ पुरानी यादों को जीने दोबारा भारत आना चाहूंगी. जैसे आज भी मुंबई के शिव सागर की पाव भाजी याद है और मैं उसे दोबारा खाने के लिए बेताब हूं. चूंकि मैं एक पाकिस्तानी हूं और फ़िलहाल दोनों मुल्क़ों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है तो जानती हूं कि भारत आ पाना काफ़ी मुश्क़िल होगा. अब तक कई कोशिशों के बावजूद भारत नहीं आ पाई हूं. भारत में ताजमहल देखने का मेरा सपना अबतक अधूरा है. उम्मीद है एक दिन मेरा यह सपना पूरा होगा. तब तक मैं अपने एनजीओ के माध्यम से हज़ारों टूटे सपनों को जोड़ने और उनमें रंग भरने के काम में इसी तरह लगी रहूंगी.’’