कुछ सालों पहले देश में चाय पर चर्चा शुरू हुई तो एक राजनीतिक बदलाव आ गया. हमारे लेखक-चिकित्सक डॉ अबरार मुल्तानी का मानना है कि चाय पे चर्चा करना केवल राजनीतिक रूप से फ़ायदेमंद नहीं है, चाय आपकी सेहत में भी बदलाव ला सकती है.
हमारे देश के इंस्टाग्राम शायरों ने तो चाय को हर ऐंगल से रोमैंटिसाइज़ कर रखा है. बेशक, दुनिया के सबसे ज़्यादा पिए जाने वाले पेय पदार्थों में से एक है चाय, आख़िर एक बड़ी आबादी वाला देश भारत चाय का दीवाना जो ठहरा. वैसे बता दें कि चाय मूल रूप से मलाया, जापान और चीन में पैदा हुई है, लेकिन 300 साल से इसकी भारत, नेपाल, श्रीलंका, इंग्लैंड, अमेरिका आदि देशों में भी खेती की जाने लगी है.
हमारे घरों तक चाय पहुंचाने के क्रम में काफ़ी श्रमशक्ति लगती है. चाय के पत्तों को पौधों से तोड़ा जाता है और फिर उन्हें सुखाया जाता है. यह चाय की पत्ती कहलाती है, जिसका उपयोग चाय बनाने में किया जाता है. इसकी पत्तियों में ऐक्टिव एल्कलॉइड के रूप में कैफ़ीन या थीइन और टैनिक एसिड पाए जाते हैं. कैफ़ीन या थीइन उत्तेजक होते हैं और शरीर को स्फूर्ति और ताज़गी देते हैं. जबकि टैनिक एसिड हमारी भूख को कम करता है और इससे सेहत को भी नुक़सान होता है. इसलिए चाय की अति मात्रा स्वास्थ्य के लिए नुक़सानदेह है. चाय की पत्ती के कुछ औषधीय उपयोग भी होते हैं, जो मैं आपको बताना चाहता हूं.
● पाइल्स या शरीर पर कोई फोड़ा होने पर चाय की पत्ती को पानी में पकाकर, उसे पीसकर लेप बना लें और मस्सों या अब्सस पर उसे हल्का-सा गर्म करके पट्टी बनाकर लगा लें, तो इससे सूजन और दर्द में काफ़ी आराम मिलता है.
● कंज़ेक्टिवाइटिस होने पर एक साफ़ कप में गर्म पानी लेकर उसमें एक चम्मच चाय की पत्ती डालकर, उसे ठंडा होने तक ढंक कर रख दें. अब इस पानी से आंखें धोने से कंज़ेक्टिवाइटिस में काफ़ी आराम मिलता है. कुछ किताबों में इसे ड्रॉप के फ़ॉर्म में आंखों में डालने को भी कहा जाता है.
● हल्का-सा किसी चीज़ से जल जाने पर चाय की पत्ती को पानी में उबालकर, उस पानी से जली हुई जगह को धोने से या वहां पर उस चाय के पानी की पट्टी रखने से आराम मिलता है.
डॉ अबरार मुल्तानी
सिरीज़: किचन क्लीनिक
*पाठकों से चिकित्सकीय परामर्श अपेक्षित है.