कोई ‘बेक्ड समोसा’ बोलता है तो क्या छवि आती है आपके दिमाग़ में? यही न शायद तेल कम खाने वाले लोग, जो नार्मल समोसा है, उसे बेक करके खाते होंगे. पर एक इन्दौरी आदमी आसानी से समझ जाएगा की तिकोने शेप में बनी पफ़ पेस्ट्री, जिसे बाक़ी भारत में पेटिस कहा जाता है, जिसमें आलू का मसाला भरा होता है, उसकी बात हो रही है.
आप किसी शहर को किस तरह से याद करते हैं यही एक बात है, जिससे पता चलता है कि आप उसके इश्क़ में कितने डूबे हुए हैं. ज़्यादातर लोग उन शहरों को याद करते हैं, जहां उनका बचपन बीता, कुछ लोग अपनी पढ़ाई-लिखाई यानी शिक्षा वाले शहरों को याद करते हैं तो कुछ अपने नौकरी के शुरुआती दिनों वाले शहर को. आप जहां-जहां रहते हैं वो हर शहर आपके अन्दर अपना एक हिस्सा छोड़ता चला जाता है, स्वाद भी कुछ इसी तरह का होता है हर शहर का एक स्वाद होता है और दुनिया के अलग-अलग क्विज़ीन्स का स्वाद चख लेने के के बाद भी कुछ स्वाद आपको हमेशा याद आते हैं. आप इन अलग स्वादों की तुलना नहीं करते बस इनको अपनाते चले जाते हैं.
इंदौर मैं जब आप क़दम रखेंगे तो पोहा-जलेबी के साथ जो एक चीज़ आपको सबसे ज़्यादा और हर कोने में मिलेगी, वो है- बेक्ड समोसा और इसे आप इन्दौरी भाषा में कहेंगे तो ये भरा हुआ बेक्ड समोसा है. इंदौर से बाहर आपको यह एक जगह और शर्तिया मिलेगा- इन्दौरियों के दिल में.
कोई ‘बेक्ड समोसा’ बोलता है तो क्या छवि आती है आपके दिमाग़ में? यही न शायद तेल कम खाने वाले लोग, जो नार्मल समोसा है, उसे बेक करके खाते होंगे. पर एक इन्दौरी आदमी आसानी से समझ जाएगा कि तिकोने शेप में बनी पफ़ पेस्ट्री, जिसे बाक़ी भारत में पेटिस कहा जाता है, जिसमें आलू का मसाला भरा होता है, उसकी बात हो रही है. पर साहब बात यहां बस इतनी ही नहीं होती, क्योंकि इसमें बना हुआ का मतलब पहले से भरा हुआ नहीं, बल्कि एक्स्ट्रा बना हुआ होता है यानी इस आलू पेटिस को बीच में ओपन किया जाता है उसमे डाला जाता है सॉस, हरी चटनी, प्याज़, कभी-कभी किसा हुआ बीटरूट भी… और थोड़ा मसाला, जीरावन और बारीक़, मोटी दुनियाभर की सेंव.
आपको क्या लगता है भारत के बाक़ी हिस्से में जिस आलू पेटिस को लोग केचप या सॉस के साथ बड़े शौक़ से खा लेते हैं, उसी तरीक़े से बने इस इस स्नैक को इंदौर में इस ढंग से क्यों खाया जाता है? कारण बड़ा ही साफ़ है इन्दौरी लोग सेंव और प्याज़ के बिना कोई चीज़ नहीं खाते और फिर कोई इन्दौरी जीरावन को कैसे भूल जाए? आप जब किसी पुराने इन्दौर के बन्दे से पूछेंगे तो वो कहेगा,“बिना बना बेक्ड समोसा (सिंपल आलू पेटिस) फीका-फीका लगे ने प्याज़ सेव के बिना कई स्वाद ही नी आए भिया.”
इतिहास के झरोखे से: ऐसा माना जाता है कि पफ़ पेस्ट्री को सबसे पहले वर्ष 1645 में फ्रेंच पेंटर और कुक ने अचानक बना लिया था. कहा जाता है कि वो अपने बीमार पिता के लिए सॉफ़्ट केक बना रहे थे और उस क़वायद में उन्होंने पफ़ पेस्ट्री का अविष्कार किया. तो फ्रांस से ये भारत पहुंची अंग्रेजों के साथ, पर देखा जाए तो जिसे भारत में पेटिस कहा जाता है, इसका वह रूप भारत में ही विकसित हुआ. सबसे पहले मुंबई के ईरानी कैफ़े में इस पफ़ पेटिस में चिकन की फिलिंग की गई. बाद में जब ये अन्य हिस्सों में पहुंचा तो शाकाहारी लोगों के लिए आलू, पालक-पनीर और इसी तरह की अलग-अलग फ़िलिंग से स्वाद में वेरीएशन लाया गया. पर इसके इंदौर वाले रूप का उद्भव पक्के रूप से इंदौर में ही हुआ. आजकल इन्दौरियों ने इसके भी कई वेरिएशन निकाल लिए हैं, जैसे- चीज़ बेक्ड समोसा ,पनीर बेक्ड समोसा और इसी तरह के कुछ और स्वाद इन्दौर की सड़कों पर आपको मिल जाएंगे.
शहर में इसके लोकप्रिय होने का एक बड़ा कारण है पढ़ाई या कोचिंग के लिए बाहर से आकर यहां रहने वाले स्टूडेंट्स. लम्बे समय तक पढ़ने वाले ये बच्चे अपने 10-15 मिनिट के ब्रेक टाइम में ऐसा ही कुछ खा सकते हैं जो पेट भी भर दे, कम वक़्त में खाया भी जा सके और जेब पर भारी भी न हो. साथ ही, बहुत तला-भुना भी न हो. और बेक्ड समोसा इन सारी शर्तों पर खरा उतरता है.
किस्सा बेक्ड समोसे का: इन्दौर जब पहली बार गई तो बेक्ड समोसे ने मुझे भी कन्फ्यूज़ किया था. भोपाल में इसे पेटिस कहते हैं और बेक्ड समोसा का मतलब हमारे लिए था नॉर्मल समोसा, जिसे तलने की जगह बेक किया गया हो. तो कांच के डब्बों में बल्ब की रौशनी से गरम होते ये बेक्ड समोसे नए लगे थे मुझे. बने हुए बेक्ड समोसे भी मेरे लिए नई चीज़ थी. ख़ैर कुछ ही दिनों में ये मेरे तक़रीबन रोज़ के खाने का हिस्सा हो गया था. टिफ़िन आता था और उसका खाना खाते हुए को मन को तसल्ली दी जाती कि खा ले बेटा, कुछ नहीं जमा तो एक बेक्ड समोसा खा लिया जाएगा और छुट्टी के दिन जब टिफ़िन नहीं आता था, उस दिन तो दिन में एक बार का खाना या फिर सुबह का नाश्ता यही बेक्ड समोसा हुआ करता था. हालांकि भोपाली होने के कारण मैं मिर्च-मसालों की इतनी भारी शौक़ीन नहीं थी तो बना हुआ बेक्ड समोसा, तीखी सेंव-चटनी के साथ खाना मेरे बस का कम ही था, पर इसके कम तीखे रूप को मैंने हमेशा सराहा है.
क्या आपके कभी खाया है ये बेक्ड समोसा? अगर हां तो हमें भी बताइएगा अपने अनुभव इस आईडी पर: [email protected]
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट