बहुत से युवा, जिम का रुख़ इसलिए करते हैं कि वे किसी हीरो की तरह बॉडी बना सकें, लेकिन अक्सर ज़्यादा जानकारी न होने की वजह से इन्स्ट्रक्टर्स की सलाह पर वे प्रोटीन सप्लिमेंट्स लेने लगते हैं. उन्हें मालूम ही नहीं होता कि ये सप्लिमेंट्स फ़ायदा पहुंचाने से कहीं अधिक उनकी सेहत को नुक़सान पहुंचा रहे हैं. और तो और इन्हें लेने से सेक्शुअल परफ़ॉर्मेंस पर भी बुरा असर पड़ सकता है. हम यह बात यूं नहीं कह रहे हैं, बल्कि हमने इस बारे में एक्स्पर्ट डॉक्टर्स से बात की है. आप भी जानिए उस बातचीत का सार.
बहुत से युवा जो जिम का रुख़ करते हैं, जिम की दीवारों में सजी बॉडी बिल्डर्स की तस्वीरों से बहुत प्रेरित हो जाते हैं. अपने शरीर का ख़्याल रखना निश्चित तौर पर अच्छी बात है, लेकिन यह बात जानना भी बहुत ज़रूरी है कि जिन्हें आप पोस्टर्स और प्रमोशनल वीडियोज़ में देखते हैं उनका शरीर केवल वेट ट्रेनिंग और डायट की ही देन नहीं है.
जिम इन्सट्रक्टर्स भी यह बात अच्छी तरह जानते हैं इसलिए वे ऐसे उत्साही युवकों की पहचान कर लेते हैं और ट्रेनिंग सेशन के आख़िरी में उनकी इच्छा और महत्वाकांक्षा को तौलते हुए इस बात के लिए उनकी काउंसलिंग शुरू कर देते हैं कि बॉडी बिल्डिंग के लिए प्रोटीन सप्लिमेंट्स और यहां तक कि स्टेरॉइड्स लेना भी कितना ज़रूरी है.
बॉडी बिल्डिंग में बुराई नहीं है, लेकिन…
हां, ये हर किसी की निजी इच्छा हो सकती है कि वह जॉन अब्राहम जैसी बॉडी चाहता है या अक्षय कुमार जैसी, पर उसके लिए सही तरीक़े से मेहनत करना और सही डायट लेना ज़रूरी है. बहुत से लोग जो इन ‘भरोसेमंद’ इन्स्ट्रक्टर्स की सलाह मान लेते हैं, उन्हें पता ही नहीं होता कि इन चीज़ों के इस्तेमाल से आख़िर क्या ख़तरे हो सकते हैं. ये ख़तरे बालों के झड़ने और मूड स्विंग्स से लेकर लिवर के क्षतिग्रस्त होने और सेक्स की इच्छा में कमी आने तक कुछ भी हो सकते हैं.
प्रोटीन सप्लिमेंट्स के इस्तेमाल से होनेवाले ख़तरे का एक कारण ये भी है कि एफ़डीए जैसी रेगुलेटरी अथॉरिटीज़, जिनपर लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा का ज़िम्मा है, ऐसे प्रोडक्ट्स के सुरक्षा के मूल्यांकन और लेबलिंग का काम इनके मैन्युफ़ैक्चरर्स पर ही छोड़ देती हैं, क्योंकि प्रोटीन पाउडर्स डायटरी सप्लिमेंट्स हैं, दवा तो हैं नहीं!
प्रोटीन सप्लिमेंट के डब्बे में क्या है?
चूंकि रेगुलेटरी अथॉरिटीज़ इन पर बहुत ध्यान नहीं देतीं तो इसका मतलब ये हुआ कि यह जानने का कोई प्रामाणिक तरीक़ा नहीं है कि आपके प्रोटीन पाउडर के डिब्बे में क्या है, आपको बस उसी पर भरोसा करना होगा, जिसका कि मैन्यूफ़ैक्चर दावा कर रहा है.
इनके बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध होने का एक कारण यह भी है कि प्रोटीन सप्लिमेंट्स के कई संभावित साइड इफ़ेक्ट्स हैं. जो कुछ भी थोड़ा-बहुत इसके बारे में हम जानते हैं, वह डरानेवाला है.
पिछले वर्ष यूएस के एक नॉन-प्रॉफ़िट ग्रुप ने जिसका नाम क्लीन लेबल प्रोजेक्ट है, एक रिपोर्ट रिलीज़ की थी, जिसमें प्रोटीन पाउडर्स में टॉक्सिन्स यानी ज़हरीले पदार्थ होने की बात कही गई थी.
रिसर्चर्स ने जिन 134 प्रॉडक्ट्स का विश्लेषण किया था उनमें हैवी मेटल्स (लेड, आर्सेनिक, कैड्मियम और मर्करी) या दूसरे प्रदूषक मौजूद थे, जो कैंसर व अन्य बीमारियों के लिए ज़िम्मेदार होते हैं.
यह गंभीर मुद्दा है!
हम यह नहीं कह रहे हैं कि मैन्यूफ़ैक्चरर्स इसमें यह सब चीज़ें जानबूझकर ज़हरील पदार्थ मिला रहे हैं, ताकि लोग बीमार हो जाएं. पर इसके उत्पादन की प्रक्रिया में, मिट्टी में मौजूद टॉक्सिन्स पौधों द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं, जो अंतत: प्रोटीन पाउडर में पहुंच जाते हैं और यह गंभीर मुद्दा है.
क्लीन लेबल प्रोजेक्ट रिपोर्ट ने एक प्रोटीन पाउडर का हवाला देते हुए बताया है कि इसमें प्लास्टिक बनानेवाले इंडस्ट्रिअल केमिकल बीपीए की मात्रा इसके तय मानकों से 25 गुना ज़्यादा पाई गई.
ऑस्ट्रेलियन प्रिस्काइबर नामक जर्नल में बताया गया है कि कई सप्लिमेंट्स में बहुत ज़्यादा मात्रा में प्रोटीन होता है, जिसकी वजह से किसी सेहतमंद व्यक्ति के रक्त में यूरिया का स्तर बढ़ जाता है या फिर उसकी किडनी भी क्षतिग्रस्त हो सकती है.
भारतीय विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
अब यदि भारत की बात करें तो ‘प्रोटीन सप्लिमेंट्स के बारे में डॉक्टर्स का क्या कहना है, उन्हें क्या लगता है कि ये कितने सुरक्षित हैं?’ यह सवाल हमसे वीवॉक्स क्लिनिक में एक जिम के शौक़ीन व्यक्ति ने पूछा है. हमने यह सवाल सीधे डॉक्टर अजीत सक्सेना के सामने रख दिया, जो इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल, नई दिल्ली के जानेमाने यूरो-ऐन्ड्रोलॉजिस्ट और वीवॉक्स के सह संस्थापक भी हैं.
डॉक्टर अजीत सक्सेना कहते हैं,‘‘प्रोटीन सप्लिमेंट्स ख़तरनाक होते हैं. मेरे 35 सालों के अनुभव के दौरान मैंने देखा है कि अधिकतर प्रोटीन सप्लिमेंट्स का नतीजा होता है इरेक्टाइल डिस्फ़ंक्शन.’’ वे आगे कहते हैं,‘‘इसका सीधा मतलब यह है कि आपके पास एक तराशा हुआ शरीर होगा, लेकिन अपने निजी जीवन में सेक्स के दौरान आपकी परफ़ॉर्मेंस सही नहीं रह पाएगी. मुझे अंदेशा है कि इन सप्लिमेंट्स में स्टेरॉइड्स या पुरुष हॉर्मोन्स होते हैं, जैसे- टेस्टोस्टेरॉन, ताकि आपके शारीरिक सौष्ठव को निखारा जा सके. यदि आपको प्रोटीन डायट में शामिल करनी है तो सबसे अच्छा तरीक़ा है कि आप प्राकृतिक चीज़ें खांएं, जैसे- अंडे की सफ़ेदी, पनीर और सूखे मेवे यानी नट्स.’’
फ़ोटो: गूगल