हस्तमैथुन यानी मैस्टर्बेशन के बारे में एक जोक बहुत फ़ेमस है- इस दुनिया में 98% लोग मैस्टर्बेट करते हैं और जो दो प्रतिशत लोग नहीं करते, दरअसल, वो झूठ बोल रहे होते हैं! मैस्टर्बेशन एक बहुत सामान्य सेक्शुअल गतिविधि है, जिसके बारे में कई तरह के सवाल हम सभी के मन में उठते हैं. और बहुत ज़रूरी है कि इन सवालों के जवाब आपको कोई एक्स्पर्ट दे, ताकि आपको इसके बारे में सही जानकारी हो. वीवॉक्स के संस्थापक संगीत सेबैस्टियन ने एक्स्पर्ट से बात कर के ऐसी ही जानकारी जुटाई है.
मैस्टर्बेशन एक ऐसी सेक्शुअल क्रिया है, जो हमारे जीवन में अहम् भूमिका निभाती है. टीनएज से ले कर हमारे बुज़ुर्ग हो जाने तक भी मैस्टर्बेशन हमारी सेक्शुअल और मेंटल हेल्थ के लिए मायने रखता है. कई लोग मैस्टर्बेशन को बड़ा शर्मिंदगी भरा मानते हैं, क्या ये वाक़ई ऐसी ऐक्टिविटी है? कुछ लोगों को ये लगता है कि शादी के बाद पुरुष और महिलाएं मैस्टर्बेशन नहीं करते हैं या उन्हें नहीं करना चाहिए, पर क्या यह बात सच है? कितनी बार मैस्टर्बेट करना ज़्यादा मैस्टर्बेट की श्रेणी में आता है? इस तरह के कितने ही सवाल हैं, जिनके सही जवाब जानना ज़रूरी है. इसके लिए मैंने डॉक्टर लॉरेंस आई सैंक से बात की, जो हार्वड से प्रशिक्षित सेक्स-थेरैपिस्ट हैं और जो मैस्टर्बेशन पर अपनी रिसर्च के लिए जाने जाते हैं. वे वर्ष 1973 से अमेरिका में कपल थेरैपिस्ट हैं और वीवॉक्स के को-फ़ाउंडर भी हैं. यहां पेश हैं, मैस्टर्बेशन को लेकर उनसे हुए सवाल-जवाब के अंश.
संगीत सेबैस्टियन: क्या विवाहित जीवन में या किसी कमिटेड रिश्ते में होने पर भी किसी पुरुष या महिला का मैस्टर्बेट करना शर्मिंदगी की बात है?
डॉक्टर लॉरेंस आई सैंक: मुझे ख़ुशी है कि अपने सवाल में आपने महिलाओं को भी शामिल किया. विवाहित जीवन होने पर भी महिला या पुरुष का मैस्टर्बेट करना बिल्कुल भी शर्मिंदगी भरी बात नहीं है. ना ही ऐसा करने पर दोनों के बीच के रिश्ते की क्वालिटी पर कोई असर पड़ता है और ना ही भावनात्मक बंधन पर. कई बार पति या पत्नी छुप कर या आश्रय लेने के लिए मैस्टर्बेशन का सहारा लेते हैं, और वे अपने पार्टनर से अलग इसे अंजाम देते हैं. लेकिन कई पति-पत्नी एक-दूसरे की मैस्टर्बेट करने में सहायता करते हैं या साथ में ही इसे अंजाम देते हैं, क्योंकि ऐसा करने उन्हें ख़ुशी मिलती है, वे आनंद महसूस करते हैं.
संगीत सेबैस्टियन: कितना मैस्टर्बेशन बहुत ज़्यादा मैस्टर्बेशन की श्रेणी में आता है?
डॉक्टर लॉरेंस आई सैंक: मुझे लगता है कि इस सवाल का जवाब देने के कई तरीक़े हैं. इससे बेहतर यह जानना है कि आप मैस्टर्बेट कर क्यों रहे हैं? यदि आप मैस्टर्बेट इसलिए करते हैं कि आप उत्तेजित यानी अराउज़्ड महसूस कर रहे हैं और इससे आपको आनंद मिलता है तो यह एक बहुत अच्छी प्रक्रिया है. लेकिन कई बार लोग दूसरे कारणों की वजह से मैस्टर्बेट करते हैं, जैसे- अच्छी नींद आ जाए, तनाव या चिंता कम हो जाए या फिर किसी अप्रिय स्थिति, बुरा मूड मसलन, ग़ुस्सा आदि आ जाए तब मैस्टर्बेट करते हैं. कभी-कभी वे विरोधस्वरूप भी ऐसा करते हैं कि मुझे सेक्शुल प्लेशर के लिए अपने साथी का सहारा क्यों लेना पड़े, मैं ख़ुद ही ख़ुद को ख़ुश रख सकता/सकती हूं.
आपने मुझसे जो सवाल पूछा है कि कितना मैस्टर्बेशन बहुत ज़्यादा की श्रेणी में आता है? तो इसका जवाब यह है कि यदि मैस्टर्बेशन एक काम है और आप इसे करना नहीं चाहते, लेकिन कर रहे हैं तो यह भी इस बात का संकेत है कि इसे ज़्यादा किया जा रहा है. दूसरा संकेत जिसे समझ पाना ज़्यादा आसान होगा, वो ये है कि क्या यह आपकी महत्वपूर्ण गतिविधियों में बाधा बन रहा है, यानी क्या आप पढ़ने के समय पर पढ़ने के बजाय मैस्टर्बेट कर रहे/रही हैं? क्या किसी वर्क प्रोजेक्ट पर ध्यान देने की बजाय मैस्टर्बेट कर रहे हैं? एक्सरसाइज़ के बजाय मैस्टर्बेशन में संलिप्त हैं? तो इसके भी कई कारण हैं कि लोग अपना काम करने के बजाय मैस्टर्बेशन का चुनाव क्यों करते हैं. यदि कोई पढ़ाई करते समय, काम के वक़्त या फिर अपने रिश्तों के दौरान बजाय काम की और ज़्यादा महत्वपूर्ण चीज़ों को नज़रअंदाज़ कर के मैस्टर्बेट कर रहा है तो समझा जा सकता है कि यह बहुत ज़्यादा हो रहा है.
संगीत सेबैस्टियन: क्या मैस्टर्बेटशन से कोई ख़ुद को नुक़सान पहुंचा सकता है?
डॉक्टर लॉरेंस आई सैंक: मुझे लगता है कि मैस्टर्बेशन के बारे में एक टर्म मल्टी-डिटरमांइड का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, क्योंकि बहुत सारे ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से लोग किसी गतिविधि में शमिल होते हैं और मैस्टर्बेशन भी इन्हीं गतिविधियों में से एक है. मैं इसका बहुत ज़्यादा विश्लेषण नहीं करना चाहता हूं. जहां तक सवाल ये है कि क्या कोई मैस्टर्बेशन से ख़ुद को शारीरिक नुक़सान पहुंचा रहा है? तो जवाब ये है कि इसकी संभवाना न के बराबर है. और मैं यह भी कहना चाहूंगा कि हम कभी इस बारे में भी अलग से बात करें कि किस तरीक़े से मैस्टर्बेशन करने से किसी को शारीरिक नुक़सान हो सकता है.
यदि आप मैस्टर्बेशन की बारंबारता यानी फ्रीक्वेंसी को ले कर सवाल कर रहे हैं तो नुक़सान की संभावना नहीं है. हमें मैस्टर्बेशन को कलंक या शर्मिंदगी के रूप में देखना छोड़ ही देना चाहिए.
संगीत सेबैस्टियन: मैस्टर्बेशन के बारे में मैंने कई तरह की स्टडीज़ को पढ़ा है. इस दौरान मैंने एक ऐसी स्टडी देखी, जिसमें कहा गया है कि वैवाहिक या प्रतिबद्ध रिश्ते में संलिप्त पुरुष के मैस्टर्बेट करने की संभावना, कंवारे पुरुष की तुलना में बढ़ जाती है. आपके अनुसार, इसका कारण क्या हो सकता है? ये दिलचस्प है और मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या यह केवल पुरुषों के लिए ही सही है या महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए सही है.
डॉक्टर लॉरेंस आई सैंक: मैंने भी उसे देखा है और वह स्टडी केवल पुरुषों के बारे में बात करती है. मेरे पास इस बारे में महिलाओं के संबंध में कोई आंकड़े नहीं हैं. पुरुषों के बारे में जहां तक मैं समझता हूं या अंदाज़ा लगा सकता हूं वो ये है कि जब वे प्रतिबद्ध रिश्ते में होते हैं, उनका कोई नियमित साथी होता है तो उनकी कामेच्छा में बढ़ोतरी हो जाती है. अब यदि उनका पार्टनर उतनी ज़्यादा बार, हर दूसरे या चौथे दिन, जैसा भी वे चाहते हों, सेक्शुअल संबंध बनाने में दिलचस्पी नहीं लेता हो तो वे मैस्टर्बेशन का सहारा ले लेते हों. यह मेरा अपना अंदाज़ा है.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट