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मास्टर-की, जो आपको डिप्रेशन से आज़ाद कर देगी

डॉ अबरार मुल्तानी by डॉ अबरार मुल्तानी
October 18, 2021
in ज़रूर पढ़ें, मेंटल हेल्थ, हेल्थ
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मास्टर-की, जो आपको डिप्रेशन से आज़ाद कर देगी

Sad woman staring out the window during a lockdown

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डिप्रेशन हमारे समय की सबसे बड़ी समस्याओं में एक है. शारीरिक रूप से स्वस्थ दिखनेवाले लोग भी इसके शिकार हो सकते हैं. बीमार लोग तो ख़ैर ईज़ी टारगेट होते ही हैं. डॉ अबरार मुल्तानी एक केस स्टडी के ज़रिए डिप्रेशन को दूर करने की वह मास्टर-की दे रहे हैं, जो आपको डिप्रेशन से आज़ाद कर देगी.

एक रोगी मुझे दिखाने के लिए एक वर्ष बाद आईं. उन्हें एक वर्ष पहले डिप्रेशन था और साथ ही जोड़ों की समस्याएं भी. इस बार उन्होंने अपनी समस्याएं केवल जोड़ों से संबंधित बताई, डिप्रेशन से संबंधित नहीं. जबकि कि एक वर्ष पहले वह डिप्रेशन के कारण हंसना भूल गई थीं. मुझे याद है कि पिछली बार मैंने उनसे हंसने के लिए बोला था और लाख कोशिशों के बावजूद उन्हें हंसी नहीं आ रही थी. वह हंस ही नहीं पा रही थीं. मैंने उनसे पूछा कि,‘आपके उस डिप्रेशन का क्या हुआ?’ उन्होंने कहा,‘डॉक्टर साहब वो तो चला गया.’ मैंने फिर अगला सवाल पूछा कि,‘कैसे?’उन्होंने जवाब दिया,‘डॉक्टर साहब मार्च-अप्रैल में मेरी बहुत ज़्यादा तबीयत ख़राब हो गई थी और जब मैं 10 दिनों तक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती रही तो सभी का मेरे प्रति व्यवहार बदल गया. घर के सभी लोग मुझसे अच्छे से पेश आने लगे, प्रेम से बातें करने लगे, मुझे सम्मान और महत्त्व देने लगे तो, फिर मैं भी ख़ुश रहने लगी और मेरी निराशा चली गई. अब मैं ख़ुश हूं क्योंकि, घर के सभी लोग बदल गए हैं. मेरे प्रति उनके व्यवहार में आए बदलाव ने मुझे ख़ुशियों से भर दिया है. वे सब वैसे हो गए हैं जैसा मैं चाहती थी.’

मैंने अपनी इस मरीज़ से क्या सीखा?
यह सत्य है कि हम मनुष्यों की ख़ुशियां दूसरे मनुष्यों पर निर्भर रहती हैं. दूसरे मनुष्य का व्यवहार हमें दुखी कर सकता है या हमें ख़ुश कर सकता है. हमारे आत्मविश्वास को बढ़ा सकता है या हमारे आत्मविश्वास को गिरा कर अवसाद की गर्त में धकेल सकता है. हम मनुष्य एक दूसरे पर मनोवैज्ञानिक रूप से भी निर्भर होते हैं. ऐसे लोग जिनकी ख़ुशियों की निर्भरता अन्य पर होती है वह हमेशा जोखिम पर होते हैं. क्योंकि ज़रूरी नहीं कि लोग आपकी ख़ुशियों की परवाह करें. सभी अपना-अपना जीवन जीते हैं और दूसरों के बारे में बहुत कम लोग ही सोचते हैं. ऐसे लोग जो अपनी ख़ुशियों की ज़िम्मेदारी स्वयं नहीं लेते और सिर्फ़ दूसरों से आस लगाए रहते हैं उनके दु:खी रहने की संभावना ज़्यादा होती हैं. लोगों से उम्मीद दु:ख का मूल होती है. आप जितनी उम्मीद लगाएंगे उतने ही ज्यादा दु:खी होते जाएंगे. आपके अच्छे कार्य या आपके सत्कर्म भी यदि दूसरों से उम्मीदों के कारण किए जा रहे हैं तो वह भी आपको शांति नहीं पहुंचाएंगे. अल्बेयर कामू ने अपनी डायरी में लिखा था कि,‘मैं जितना लोगों को देता हूं, उससे अधिक की उनसे अपेक्षा करता हूं. लेकिन क्या यह मेरा दोष है? और क्या मेरी निराशा का कारण भी यही तो नहीं?’
मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मेरी मरीज़ डिप्रेशन से बाहर आ गई हैं, क्योंकि उन्हें अपनों का प्यार मिलने लगा है. मेरी सलाह है कि अगर आप किन्हीं वजहों से अवसाद की ओर जा रहे हैं तो थोड़ा ठहरकर अपनी ज़िंदगी, अपने स्वभाव, लोगों से अपनी उम्मीदों के बारे में सोचें. लोगों को दें, पर बदले में उनसे कुछ मिलने की उम्मीद न करें. अपनी ख़ुशियों की ज़िम्मेदारी ख़ुद लें. दूसरों के व्यवहार से अपनी ख़ुशियों को प्रभावित न होने दें. मुझे लगता है बस ये कुछ बदलाव कर लेंगे तो डिप्रेशन आपसे कोसों दूर ही रहना चाहेगा. 

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डॉ अबरार मुल्तानी

डॉ अबरार मुल्तानी

डॉ. अबरार मुल्तानी एक प्रख्यात चिकित्सक और लेखक हैं. उन्हें हज़ारों जटिल एवं जीर्ण रोगियों के उपचार का अनुभव प्राप्त है. आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार करने में वे विश्व में एक अग्रणी नाम हैं. वे हिजामा थैरेपी को प्रचलित करने में भी अग्रज हैं. वे ‘इंक्रेडिबल आयुर्वेदा’ के संस्थापक तथा ‘स्माइलिंग हार्ट्स’ नामक संस्था के प्रेसिडेंट हैं. वे देश के पहले आनंद मंत्रालय की गवर्निंग कमेटी के सदस्य भी रहे हैं. मन के लिए अमृत की बूंदें, बीमारियां हारेंगी, 5 पिल्स डिप्रेशन एवं स्ट्रेस से मुक्ति के लिए और क्यों अलग है स्त्री पुरुष का प्रेम? उनकी बेस्टसेलर पुस्तकें हैं. आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए लिखी उनकी पुस्तकें प्रैक्टिकल प्रिस्क्राइबर और अल हिजामा भी अपनी श्रेणी की बेस्ट सेलर हैं. वे फ्रीलांसर कॉलमिस्ट भी हैं. उन्होंने पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेदिक महाविद्यालय से आयुर्वेद में ग्रैजुएशन किया है. वे भोपाल में अपनी मेडिकल प्रैक्टिस करते हैं. Contact: 9907001192/ 7869116098

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