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हाउ मेनी रोड्स मस्ट अ मैन वॉक डाउन: बॉब डिलन का गीत, जो दिल में उतरता है और आत्मा को झकझोर देता है!

जय राय by जय राय
February 2, 2022
in ओए एंटरटेन्मेंट, ज़रूर पढ़ें, रिव्यूज़
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हाउ मेनी रोड्स मस्ट अ मैन वॉक डाउन: बॉब डिलन का गीत, जो दिल में उतरता है और आत्मा को झकझोर देता है!
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वर्ष 2019 में अनुभव सिन्हा की फ़िल्म आर्टिकल 15 दुनियाभर में चर्चा की विषय रही. यह फ़िल्म इक्कीसवीं सदी वाले भारतीय समाज में व्याप्त जातीय व्यवस्था की कहानी बयां करती है. फ़िल्म के शुरुआत में जब शहरी नायक गांव की राह नाप रहा होता है, तब बैक्ग्राउंड में गाना बज रहा होता है ‘हाउ मेनी रोड्स मस्ट अ मैन वॉक डाउन बिफ़ोर यू कॉल हिम अ मैन’. जी हां, जब आप यह गाना सुनेंगे और फ़िल्म देखेंगे तो आपको समझ में आ जाएगा की इससे बेहतर इस फ़िल्म की शुरुआत नहीं हो सकती थी. यह फ़िल्म और बॉब डिलन का यह गाना दोनों एक दूसरे के पूरक लगते हैं. हमें शुक्रगुज़ार होना चाहिए निर्देशक अनुभव सिन्हा का, जिन्होंने इस बेहद ज़रूरी गीत को भारतीय दर्शकों को दोबारा रूबरू कराया.

एक होती है सुरीली आवाज़ और एक होती है सच्ची आवाज़. सुरीली आवाज़ हमारे कानों को प्यारी लगती है और सच्ची आवाज़ की तरंगें दिल में उतरकर आत्मा को झकझोर देती हैं. अमेरिकी संगीत जगत में साठ के दशक में बॉब डिलन के एक से बढ़कर एक गीतों ने संगीत प्रेमियों की आत्मा को झकझोरने का काम किया. उनकी आवाज़ हो, शैली या गानों के बोल क्रॉस कल्चरल मूवमेंट के अगुआ फ़नकारों में बॉब डिलन औरों से अलग और काफ़ी आगे खड़े नज़र आते थे. हम जिस गाने यानी हाउ मेनी रोड्स मस्ट अ मैन वॉक डाउन की बात कर रहे हैं वह बॉब ने वर्ष 1962 में लिखा था और वर्ष 1963 में इसकी रिकॉर्डिंग लोगों के लिए उपलब्ध हो गई थी. उस दौर में किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि यह गाना आगे जाकर कितना प्रसिद्ध होने वाला है. वह सिविल वॉर का दौर था, उस दौर के लिहाज़ से यह युद्ध विरोधी गीत मौजू था. अमेरिका में सत्तर के दशक में हो रहे मानव अधिकार के लिए तमाम आंदोलनों में इसे एक प्रार्थना की तरह गाया गया और बजाया गया. किसने सोचा था कि सत्तावन साल के बाद अमेरिका से हज़ारों किलोमीटर दूर भारत के बॉलीवुड में कोई फ़िल्म डायरेक्टर इसे अपने फ़िल्म के लिए इस्तेमाल करेगा. पर एक भारतीय डायरेक्टर ने केवल इसका इस्तेमाल किया, बल्कि क्या ख़ूब इस्तेमाल किया. कुछ इस तरह कि लगा कि मानो इसी फ़िल्म के लिए बॉब डिलन ने यह गाना लिखा और गाया था. इस तरह से कह सकते हैं कि यह गीत आजकल और हमेशा लोगों में बना रहेगा. इस गाने को आर्टिकल 15 में पहली बार सुनने के बाद जिज्ञासावश जब मैंने इसे यू-ट्यूब पर ढूंढ़ कर सुना तो मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि यह गीत इसके पहले मुझे क्यों सुनाई नहीं दिया. आनेवाले दिनों में मैंने इसे बार-बार सुना और बहुत सारे दोस्तों को बताया कि आप इस गीत को सुनें. और जिस किसी ने सुना, उसने इसकी तारीफ़ ही की. बॉब डिलन ने इसे लिखा है और गाया भी है. इस गाने में बहुत ज़्यादा म्यूज़िक नहीं है. माउथ ऑर्गन और गिटार की बेहतरीन जुगलबंदी है. इंग्लिश में गाना कुछ इस प्रकार से है.

How many roads must a man walk down
Before you call him a man?
How many seas must a white dove sail
Before she sleeps in the sand?
Yes, ‘n’ how many times must the cannon balls fly,
Before they’re forever banned?
The answer, my friend, is blowin’ in the wind
The answer is blowin’ in the wind
Yes, ‘n’ how many years can a mountain exist
Before it is washed to the sea?
Yes, ‘n’ how many years can some people exist
Before they’re allowed to be free?
Yes, ‘n’ how many times can a man turn his head,
And pretend that he just doesn’t see?
The answer, my friend, is blowin’ in the wind
The answer is blowin’ in the wind
Yes, ‘n’ how many times must a man look up
Before he can see the sky?
Yes, ‘n’ how many ears must one man have
Before he can hear people cry?
Yes, ‘n’ how many deaths will it take ’til he knows,
That too many people have died?
The answer, my friend, is blowin’ in the wind
The answer is blowin’ in the wind.

दुनिया के तमाम ग्रंथ एक ही बात बताते हैं कि मानवता को क़ायम रखने के लिए इंसान को इंसान से प्रेम करना चाहिए. मानवता के लिए हर ग्रंथ का सार यह है कि दुनिया नश्वर है, कुछ भी अजर-अमर नहीं है सब मिट जानेवाला है. वैसे ही इस गीत का भी यही मतलब है कि जब हम पहले से ही जानते हैं कि दुनिया की सच्चाई क्या है फिर बेवजह के फसाद का क्या अर्थ? हमारी आंखों से दिखाई देनेवाली दुनिया वास्तविक दुनिया नहीं है, यहां हमारा कुछ नहीं और हमारे आख़िरी समय में हमारे साथ कुछ नहीं जाएगा. तमाम सच्चाई जानने के बावजूद पूरी दुनिया एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में एक-दूसरे से युद्ध के लिए आतुर है. मानव ने अपनी संस्कृति और सभ्यता के शुरुआत से अनेकों दुःख देखे हैं. इसी कड़ी में हमने दो विश्व युद्ध देखे, लेकिन कुछ हासिल हुआ क्या? जो सच्चाई हवाओं में तैर रही है, उसको हम कम समझेंगे? यह गीत पैरा दर पैरा यही सवाल इंसानियत के ठेकदारों से दोहराता है. बॉब डिलन के इस गीत का हिंदी अनुवाद कुछ इस प्रकार से है.

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कितने रास्ते तय करे आदमी
कि तुम उसे इंसान कह सको?
कितने समन्दर पार करे एक सफ़ेद कबूतर
कि वह रेत पर सो सके?
हां, कितने गोले दागे तोप
कि उनपर हमेशा के लिए पाबन्दी लग जाए?
मेरे दोस्त, इनका जवाब हवाओं में तैर रहा है
जवाब हवा में तैर रहा है.
हां, कितने साल क़ायम रहे एक पहाड़
कि उसके पहले समन्दर उसे डुबा न दे?
हां, कितने साल ज़िन्दा रह सकते हैं कुछ लोग
कि उसके पहले उन्हें आज़ाद किया जा सके?
हां, कितनी बार मुंह फेर सकता है एक आदमी
यह जताने के लिए कि उसने कुछ देखा ही नहीं?
मेरे दोस्त, इनका जवाब हवा में तैर रहा है
जवाब हवा में तैर रहा है.
कितने रास्ते तय करे आदमी
हां, कितनी बार एक आदमी ऊपर की ओर देखे
कि वह आसमान को देख सके?
हां, कितने कान हो एक आदमी के
कि वह लोगों की रुलाई को सुन सके?
हां, कितनी मौतें होनी होगी कि वह जान सके
कि काफ़ी ज़्यादा लोग मर चुके हैं?
मेरे दोस्त, इनका जवाब हवा में तैर रहा है
जवाब हवा में तैर रहा है.

आप जब इसे सुनना शुरू करेंगे तो आपको एहसास होगा कि इस गीत की सारी बातें तो हम पहले से ही जानते हैं. इस गीत की एक-एक लाइन आपके सामने से गुज़रने लगती है. आपकी अंदरूनी संवेदना को झकझोर देगा यह गीत. आख़िर में आप ख़ुद से पूछेंगे तेज़ रफ़्तार से भागती इस दुनिया में भागकर हम हासिल क्या करना चाहते हैं? आप जितनी बार इस गीत को सुनेंगे आप ख़ुद को फ़िल्टर करेंगे. अपने आसपास की दुनिया को देखने का आपका नज़रिया थोड़ा बदलेगा. आप हर बार पहले से थोड़ा और बेहतर बनेंगे.
चलते-चलते बात करें इस बॉब डिलन की तो अमेरिकी संगीत परंपरा में अलग तरह के गीतों को जगह दिलाने के लिए वर्ष 2016 में साहित्य का नोबल पुरस्कार दिया गया. बॉब डिलन को पुरस्कार की कमेटी ने महानतम जीवित लोककवि कहा. पुरस्कार कमेटी की यह टिप्पणी कितनी सटीक थी यह बॉब डिलन के कई दूसरे कालजयी गीतों को सुनकर आपको भी अंदाज़ा हो जाएगा. उन गीतों की चर्चा हम इसी कॉलम में आगे ज़रूर करना चाहेंगे.

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जय राय पेशे से भले एक बिज़नेसमैन हों, पर लिखने-पढ़ने में इनकी ख़ास रुचि है. जब लिख-पढ़ नहीं रहे होते तब म्यूज़िक और सिनेमा में डूबे रहते हैं. घंटों तक संगीत-सिनेमा, इकोनॉमी, धर्म, राजनीति पर बात करने की क़ाबिलियत रखनेवाले जय राय आम आदमी की ज़िंदगी से इत्तेफ़ाक रखनेवाले कई मुद्दों पर अपने विचारों से हमें रूबरू कराते रहेंगे. आप पढ़ते रहिए दुनिया को देखने-समझने का उनका अलहदा नज़रिया.

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