भारतीय रसोई का अहम् हिस्सा होने के बावजूद, हर जगह उपस्थित रहने के बावजूद अधिकतर लोग आलू से होने वाले गड़बड़ झाले की ही बात करते हैं. मोटापे से परेशान और डायबिटीज़ से ग्रस्त लोग तो आलू से दूर ही रहना चाहते हैं, लेकिन डॉक्टर दीपक आचार्य बता रहे हैं कि समस्या आलू से पैदा नहीं होती है, बल्कि आप उसे किस तरह खाते हैं यह बात आपकी समस्या का मूल कारण है. तो आइए, जान लेते हैं आलू को डायट में शामिल करने का सही तरीक़ा…
आलू से करो दोस्ती, नहीं करो कभी बैर. आलू पिछले 400-500 सालों से भारतीय रसोई का एक अहम हिस्सा है. आलू एक ऐसा आइटम है जिसकी उपस्थिति यूनिवर्सल है, बिल्कुल ‘हर तरफ़ हर जगह, बेशुमार ‘आलू’… की तरह और बेचारा बदनाम इतना घनघोर है कि डायबिटीज़ के रोगी हों, मोटापे से परेशान लोग हों या पेट में गड़बड़ झाला की शिकायत वाले दोस्त, सारे लोग आलू का नाम सुनकर मारे दहशत के सनसना जाते हैं. इतना कितना ख़ैफ़ खा रहे हो यार, आलू खाओ, खौफ़ से कुछ ना होने वाला, सही तरीक़े से आलू खाओ, फिर तबियत टनाटन ना हो जाए तो कहना!
ये दोस्ती है असल कारण
सुनिए, सच्चाई ये है किआलू खाते ही वज़न बढ़ने की बात तब सार्थक है, जब आलू को डीप फ्राय किया गया हो या आलू के साथ तेल भी शरीर में आ रहा हो…याद रहे आलू और तेल की दोस्ती तगड़ी है, ये दोनों मिल जाए तो आपके शरीर की बैंड बज जाए. सबसे इम्पॉर्टेन्ट बात, आलू वज़न नहीं बढ़ाता, शरीर के लिए आलू बेकार नहीं हैं, बेकार है तेल… वो तेल जिसमें आलू को तला गया है, सत्यानाशी उस तेल के चक्कर में बेचारा आलू बदनाम हो गया, पर क्या करें कुछ दोस्त होते ही ऐसे हैं…!
जानिए इसे खाने का तरीक़ा
आलू को अंगीठी, चूल्हे या तंदूर में भूनकर खाएं हैं कभी? मौक़ा ताड़िए और आलू को भूनकर खाना शुरू कीजिए, तबियत हरी ना हो जाए तो कहना. इस तरह भुना हुआ आलू ‘फ़िलर’ का काम करता है यानी इसे खाकर पेट भरे होने की फ़ीलिंग आती है. आलू में स्टार्च पाया जाता है, ये बात तो आप सभी मित्र जानते ही हैं, लेकिन ये स्टार्च रेसिस्टेंट स्टार्च होता है, ये बहुत कम लोग जानते हैं. रेसिस्टेंट स्टार्च एक ग़ज़ब की चीज है. ये स्टार्च पेट में जाकर पचता नहीं है, बल्कि हमारे शरीर के भीतर पल रहे ‘अच्छे’ सूक्ष्मजीवों के लिए बेहतरीन भोजन ज़रूर है. यानी, ये स्टार्च हमारे लिए उतने काम का नहीं है, लेकिन उन सूक्ष्मजीवों के लिए काम का है जो हमारे पाचन तंत्र (डाइजेस्टिव सिस्टम) के लिए सहायक अभिनेता की तरह काम करते हैं.
अब आप समझिए इशारे को
आलू आपके पेट के भीतर गया, पेट भरा-भरा सा लगा, भूख मिटी, आपको थोड़ी बहुत एनर्जी मिली, और पेट हो गया टनाटन. आलू वज़न क्यों बढ़ाएगा भला? लॉजिकली ये तो वज़न कम करेगा, क्योंकि पेट भर तो गया, लेकिन शरीर के लिए ज़रूरी बहुत सारी एनर्जी आएगी कहां से? वहीं से बाबा… डिपॉज़िटेड फ़ैट से. शरीर का फ़ैट कटेगा और आपका वज़न सम्हलना शुरू… अब समझे? सिर्फ़ एक ही लॉजिक नहीं है मेरी बात को लेकर, और भी टोकरी भर लॉजिक हैं, लेकिन फिलहाल इसी से काम चला लीजिए.
डायबिटीज़ वाले भी खा सकते हैं आलू
एक और ख़ास बात आपके दोस्त दीपक आचार्य की तरफ़ से, भुना हुआ या उबला आलू डायबेटिक्स के लिए भी बिल्कुल परफ़ेक्ट है, बाकायदा क्लिनिकल स्टडीज़ आपको मिल जाएंगी जो बताती हैं कि उबले और भुने आलू शुगर लेवल को डाउन करने में सक्षम हैं. बहुप्रचलित विज्ञान पत्रिका ‘मेडिसिन बाल्टीमोर’ में वर्ष 2015 के 94वें वॉल्यूम में प्रकाशित रैंडम क्लिनिकल ट्रायल रपट पढ़कर आपको समझ आ जाएगा कि आलू का रेसिस्टेंट स्टार्च किस क़दर डायबेटिक्स के लिए फ़ायदेमंद है. अब सोचिए, बेचारा आलू क्यों बदनाम है? फोकट में…
वज़न कम करना चाहते हैं?
आलू उबालें या भुनें और बढ़िया नमक छिड़ककर खाना शुरू करें. कभी अंगीठी या तंदूर या चूल्हे पर आलू भूनकर खाएं या इतना तामझाम ना हो सके तो उबाल लें. बस मुझे याद कर लेना, यहीं बैठे बैठे लार टपका लूंगा और आप बुलाएंगे तो चला भी आऊंगा. अपना क्या? झोला उठाकर चले आएंगे.
वज़न कम करना हो तो रोज 2-4 उबले या भुने आलू पेलना शुरू करें. डायबिटीज़ वाले, पेट की शिकायत वाले, आप सब भी दौड़ लगाओ, आलू पुकार रहे हैं! एक और बात, चलते-चलते, आलू को छिलकों सहित उपयोग में लाएं, कभी छिलकों के बारे में भी बता दूंगा. फिलहाल इतना ही… स्वस्थ रहो, मस्त रहो.
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