क्या कभी आप भी इस सोच में डूबते हैं कि सेक्स की बारंबारता यानी फ्रीक्वेंसी या जिसे हम सेक्स स्कोर भी कह सकते हैं, कितना होना चाहिए? या फिर कहीं आपका सेक्स स्कोर ‘सामान्य’ से कम या ज़्यादा तो नहीं? आप मानें या ना मानें, लेकिन सच तो ये है कि अधिकतर लोगों के मन में यह सवाल उठता ज़रूर है. आज इसी से जुड़ी आपकी उत्सुकता को, आपकी किसी दबी हुई मुराद को बिना कहे ही पूरा करने की तर्ज पर, शांत कर रहे हैं वीवॉक्स के संस्थापक संगीत सेबैस्टियन.
हम में से बहुतों ने अपने जीवन में कभी न कभी यह बात ज़रूर सोची होगी, फिर चाहे अपनी निजता के बीच ही क्यों न सही, कि क्या मेरे सेक्शुअल संबंधों की बारंबारता (सेक्स स्कोर) दूसरे लोगों की तुलना में ‘सामान्य’ है?
अब तक हुए न्यूज़ मैग्ज़ीन्स के सेक्स सर्वेज़ में इस बात पर बहुत कम साइंटिफ़िक रिसर्च की गई है कि भारतीय जोड़ों का सेक्शुअल व्यवहार कैसा होता है. यह दुखद है, क्योंकि हम उस भूमि में रहते हैं, जहां प्राचीन समय में ही प्रेमकाव्य पर वैज्ञानिक अध्ययन हो चुका है.
मीडिया द्वारा कराए गए सर्वे का सच
मीडिया में नज़र आने वाले सेक्स सर्वे तो अक्सर अजनबियों की सेक्स लाइफ़ की लुभावनी और उकसाने वाली झलक देने के लिए मार्केटिंग एग्ज़ेक्यूटिव्स या एजेंसीज़ द्वारा करवाए जाते हैं, ताकि वे अपने प्रोक्ट्स को बच सकें. उनका उद्देश्य लोगों के सेक्शुअल व्यवहार को समझना बिल्कुल नहीं होता.
इस मामाले में प्रशिक्षित सेक्स रिसर्चर्स के द्वारा की गई एक स्टडी शायद ज़्यादा सही और सटीक आंकड़े दे सकती है. लेकिन सोचने वाली बात यह भी है कि किसी की सेक्स लाइफ़ की बारंबारता या सेक्स स्कोर के बारे में जानना किसी शोध का विषय क्यों होना चाहिए?
आख़िर यह शोध का विषय क्यों हो?
दरअसल, सेक्शुअल इंटरकोर्स इस बात के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां दे सकता है कि उस विवाहित जोड़े का भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य कैसा है. मतलब ये कि यह जानने से कि आप कितनी बार सेक्शुअल इंटरकोर्स करते हैं आपके रिश्ते के पूरे स्वास्थ्य के बारे में भी संकेत प्राप्त होते हैं.
चिकित्सकीय इतिहासकार एड्वर्ड शॉर्टर लिखते हैं,‘‘(सेक्स की) इच्छा शरीर से पैदा होती है, दिमाग़ इस बात की व्याख्या करता है कि समाज किस बात को स्वीकारेगा और किसे नहीं और (इस प्रक्रिया के) बाक़ी के संकेत आपकी संस्कृति द्वारा संपादित होते हैं.’’
धर्म और संस्कृति सेक्शुअल रिश्तों को प्रभावित करते हैं
कई रिसर्चर्स इस बात से सहमत हैं कि संस्कृति और धर्म के प्रतिबंध वाले प्रभावों का अस्तित्व नहीं होता तो मनुष्य अपने हाइपरसेक्शुअल प्राचीन चेचेरे भाई बोनोबो (बंदरों की एक तरह की प्रजाति, जिस पर विलुप्त होने का ख़तरा मंडरा रहा है और जिनके साथ हम मनुष्य अनुवांशिक रूप से लगभग 98% गुण साझा करते हैं. बंदरों की यह प्रजाति मनुष्य से इतनी मिलती-जुलती है, जितना कि लोमड़ी और कुत्ते की प्रजाति) की तरह ही अक्सर और स्वतंत्रता से सेक्शुअल संबंध बनाते.
संस्कृति और धर्म के बंधनों के चलते ही लगभग चौदहवीं शताब्दी से हमारा सेक्शुअल व्यवहार शर्मिंदगी की सोच से भर गया. यही वजह है कि सेक्स रिसर्चर्स के लिए भारतीय उप-महाद्वीप में सेक्स पर प्रामाणिक रिसर्च करना कठिन हो गया है.
भारतीय उप-महाद्वीप के लिए हुआ सेक्स सर्वे
हाल ही में तीन मेडिकल सेक्स रिसर्चर्स-सुजीत कुमार (किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ), पवन शर्मा (पाटन ऐकैडमी ऑफ़ हेल्थ साइंसेज़, नेपाल और एसएम यासिर अराफ़ात, एनाम मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल, ढाका, ने भारत, नेपाल और बांग्लादेश में अपनी तरह के पहले अध्ययन में यह जानने की कोशिश की कि यहां के कपल्स के बीच सेक्शुअल फ्रीक्वेंसी कितनी है. उनका अध्ययन जरनल ऑफ़ साइकोसेक्शुअल हेल्थ में प्रकाशित हुआ है और वह इस मामले में मौजूद अंतराल को भरने का काम करता है.
तो उनके अध्ययन के नतीजे क्या कहते हैं? इसके बारे में जानने के लिए हमने डॉक्ट टीएसएस राव से बात की जो जानेमाने सेक्शुअल हेल्थ एक्स्पर्ट हैं, जरनल ऑफ़ साइकोसेक्शुअल हेल्थ के फ़ाउंडर एडिटर हैं और वीवॉक्स के को-फ़ाउंडर भी हैं.
डॉक्टर राव ने हमें बताया,‘‘ इन तीनों देशों की बात करें तो भारतीय जोड़ों के बीच सेक्शुअल सक्रियता बहुत कम है (लगभग सप्ताह में एक बार), वहीं नेपाल इस मामले में आगे है (सप्ताह में लगभग दो बार).
चूंकि सेक्शुअल सक्रियता और निष्क्रियता को मापना आसान नहीं है, हमने हाल ही का एक छोटे समयातंराल का डेटा लिया, (यह स्टडी कोविड 19 के लॉकडाउन के शुरुआती फ़ेज़ में की गई थी) ताकि जवाब देने वाले जोड़ों को अपनी सेक्शुअल सक्रियता के आंकड़े अच्छी तरह याद हों.
हमने ऑनलाइन प्रश्नावली तैयार कर के सेल्फ़-रिपोर्टिंग के इस पूर्वाग्रह को भी कम करने का प्रयास किया, जो सेक्स स्टडीज़ में अमूमन झलकता है, जहां पुरुष अपनी सेक्शुअल सक्रियता के अनुभवों को बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं और महिलाएं अक्सर उन्हें कम आंकती हैं.
फ़ोटो: फ्रीपिक डॉट कॉम