लंबे समय तक बॉलिवुड पर राज करनेवाले शाह रुख़ ख़ान, जिन्हें बादशाह या किंग ख़ान भी कहा जाता है के सितारे फ़िलहाल थोड़े मंदे हैं. पर एक दौर था, जब भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री में इनकी तूती बोलती थी. एक आउडसाइड लड़का कैसे बॉलिवुड का किंग बन गया. उसके पीछे उन तीन फ़िल्मों का बड़ा योगदान है, जिसे दूसरे सितारों द्वारा छोड़ने के बाद शाह रुख़ को लिया गया था. आइए, आज जानते हैं उन्हीं तीन फ़िल्मों की कहानी.
’90 के दशक की लड़कियां, अपनी हीरोइन के लिए दोनों हाथ फैलाने वाली उनकी अदा पर मर ही जाती थीं. उन लड़कियों को प्यार की नई परिभाषा शाह रुख़ ख़ान की फ़िल्मों ने ही सिखाई थी. जब डीडीएलजे का राज, अपनी सिमरन के पिता को मनाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार होता है, तब उस देखकर नाइन्टीज़ की सभी लड़कियां अपने प्रेमियों से उम्मीद करने लगीं कि वे उनके पापा को इसी तरह मना लेंगे. हमारे कहने का मतलब है प्रेम और शाह रुख़ उन दिनों एक-दूसरे का प्रतीक बन गए थे. पर प्रेम के इस प्रतीक का बॉलिवुड में शुरुआती सफ़र इतना रोमैंटिक नहीं था.
नब्बे के दशक का शुरुआती दौर, जब बॉलिवुड में केवल दो फ़ेमस ख़ान थे
नाइन्टीज़ के शुरुआती सालों में बॉलिवुड में दो ख़ान बेहद चर्चा में थे एक थे आमिर और दूसरे सलमान ख़ान… जल्द ही इस कड़ी में तीसरा नाम जुड़ने जा रहा था. वह नाम था शाह रुख़ खान का. जहां पहले दोनों ख़ान्स का ताल्लुक फ़िल्मी परिवारों से, वहीं शाह रुख़ मनोरंजन जगत में कम्प्लीट आउट साइडर थे. उन्होंने अपने बॉलिवुड डेब्यू से पहले फौजी, सर्कस, ईडियट और वागले की दुनिया जैसे टीवी शोज़ का सफ़र तय किया था. उनका बॉलिवुड करियर भी काफ़ी प्रॉमिसिंग था, क्योंकि उन्हें हेमा मालिनी अपनी फ़िल्म दिल आशना है से ब्रेक दे रही थीं. पर दिल आशना है के शेड्यूडल में देरी की वजह से उनकी डेब्यू फ़िल्म रही साल 1992 की फ़िल्म दीवाना.
दीवाना के बाद रिलीज़ हुई चमत्कार, राजू बन गया जेंटल मैन, दिल आशना है, माया मेमसाब, किंग अंकल ने ऐसा कोई चमत्कार नहीं किया कि टीवी से फ़िल्मों में आए इस हीरो को सुपरस्टार वाला रुतबा मिले. पर साल 1993 के नवंबर और दिसंबर में बैक-टू-बैक रिलीज़ हुई दो फ़िल्मों ने शाह रुख़ को वह रुतबा दिला दिया, जिसकी उम्मीद दीवाना के बाद की जा रही थी.
आज हम बात करने जा रहे हैं, शाह रुख़ की पहली तीन बड़ी हिट फ़िल्मों दीवाना, बाज़ीगर और डर की. इन तीनों फ़िल्मों की कॉमन बात यह है कि तीनों में ही शाह रुख़ फ़र्स्ट चॉइस नहीं थे. कई अलग-अलग अभिनेताओं द्वारा छोड़े जाने के बाद उन्होंने इन फ़िल्मों को साइन किया था.
दीवाना: फ़िल्म, जिसके लिए शाह रुख़ को मिला बेस्ट डेब्यू का फ़िल्मफ़ेयर
पहली फ़िल्म दीवाना की बात करें तो इसमें शाह रुख़ की जगह पहले अरमान कोहली को लिया गया था. उन्होंने कुछ दिनों की शूटिंग के बाद, क्रिएटिव डिफ़रेंसेस के चलते फ़िल्म छोड़ दी. ऋषि कपूर, दिव्या भारती की मुख्य भूमिका वाली उस फ़िल्म में शाह रुख़ ख़ान ख़ुशी-ख़ुशी सेकेंड लीड हीरो बनने के लिए तैयार हो गए. यह फ़ैसला कितना सही था, यह इसी से समझ सकते हैं कि दीवाना, अनिल कपूर की फ़िल्म बेटा के बाद साल की दूसरी सबसे ज़्यादा कमाई करनेवाली फ़िल्म रही. शाह रुख़ ने इस फ़िल्म के लिए बेस्ट डेब्यू का फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड भी जीता.
बाज़ीगर: फ़िल्म, जिसने बॉलिवुड को दिया एक नया ऐंटी-हीरो
दूसरी छोड़ी हुई फ़िल्म जिसे शाह रुख़ ने स्वीकार किया था, वह थी बाज़ीगर. बाज़ीगर ने बॉलिवुड को एक ऐंटी-हीरो दिया. सस्पेंस थ्रिलर खिलाड़ी की क़ामयाबी के बाद डायरेक्टर भाई अब्बास-मस्तान अपनी अगली फ़िल्म पर काम कर रहे थे. बाज़ीगर नाम की वह फिल्म हॉलिवुड थ्रिलर ‘अ किस बिफ़ोर डाइिंग’ से प्रेरित थी. अब्बास-मस्तान फ़िल्म में सलमान और आमिर ख़ान में से किसी एक को लेना चाहते थे. जहां आमिर मेन कैरेक्टर से प्रभावित नहीं हुए, वहीं सलमान को फ़िल्म काफ़ी नेगेटिव लगी. सलमान के पिता सलीम, जो कि ख़ुद एक जानेमाने स्क्रिप्ट राइटर थे, चाहते थे कि मुख्य किरदार के नेगेटिव शेड को हल्का करने के लिए उसमें मां का ऐंगल जोड़ दिया जाए. पर सलीम साहब के सुझाए बदलाव के लिए अब्बास-मस्तान रेडी नहीं हुए.
सलमान के दरवाज़े से निराश दोनों अनिल कपूर के पास पहुंचे. उन्होंने भी इतना नेगेटिव किरदार करने से साफ़ मना कर दिया. आख़िरकार वह फ़िल्म आ गिरी शाह रुख़ की झोली में. अब्बास-मस्तान ने सलमान को तो नहीं लिया, पर उनके पिता सलीम ख़ान के मां वाले सुझाव को फ़िल्म में शामिल कर लिया. इस तरह राखी गुलज़ार की बाज़ीगर में एंट्री हुई. एक फ़िल्म पुरानी काजोल और डेब्यू कर रहीं शिल्पा शेट्टी के साथ शाह रुख़ की मुख्य भूमिका वाली इस फ़िल्म ने रिलीज़ होते ही बॉक्सऑफ़िस पर हंगामा बरपा दिया. जिस किरदार के अति नेगेटिव होने के चलते तब के ए-लिस्टर्स मना कर रहे थे, उस किरदार यानी विकी मल्होत्रा को दर्शकों ने ख़ूब प्यार दिया. बाज़ीगर ने शाह रुख़ को बेस्ट ऐक्टर का फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड भी दिलाया.
डर: फ़िल्म, जिसने ख़ान तिकड़ी पूरी कर दी
दूसरे कलाकारों द्वारा रिजेक्ट की हुई शाह रुख़ की तीसरी फ़िल्म थी डर, जो बाज़ीगर की रिलीज़ के डेढ़ महीने बाद ही थिएटर्स में आई.
फिल्म डर की कहानी यह है कि रोमैंटिक फ़िल्मों के सफलतम डायरेक्टर यश चोपड़ा अपने छोटे बेटे उदय के आग्रह पर ऑस्ट्रेलियन थ्रिलर ‘डेड काम’ से प्रेरित होकर एक डार्क फ़िल्म बना रहे थे.
डर नाम की उस फ़िल्म के लिए फ़र्स्ट लीड के तौर पर सनी देओल फ़ाइनल हो गए, पर सेकेंड लीड रोल के लिए तब के स्टैब्लिश बॉलिवुड स्टार्स को कन्विंस करने में यशराज के पसीने छूट गए.
राहुल मेहरा नाम के मेंटली डिस्टर्ब्ड लवर की भूमिका के लिए उन्होंने संजय दत्त और अजय देवगन को अप्रोच किया, पर बात नहीं बनी. आमिर ख़ान से बात करने के बाद यश चोपड़ा को लगा कि बात बन गई है. पर अपनी भूमिका के बारे में और डीटेल्ड नैरेशन की आमिर की मांग के चलते बात बिगड़ गई.
सेकेंड लीड के लिए अभिनेता चुनने के यश चोपड़ा के सिरदर्द को कम किया ऋषि कपूर ने. ऋषि कपूर ने दीवाना के अपने साथी कलाकार शाह रुख़ ख़ान का नाम सुझाया.
हालांकि यश चोपड़ा को यह सुझाव कुछ ख़ास पसंद नहीं आया था, पर तमाम अभिनेताओं के रिजेक्शन के बाद उनके पास इस अभिनेता को चांस देने के अलावा कोई और चारा भी तो नहीं था.
पर फ़िल्म की शूटिंग के दौरान यश चोपड़ा इस नए अभिनेता से इतने प्रभावित हुए कि नई पीढ़ी के अभिनेताओं में शाह रुख़ उनके पसंदीदा बन गए.
डर के बाद आगे चलकर यश जी ने दिल तो पागल है, वीर ज़ारा और जब तक है जान ये तीन फ़िल्में डायरेक्ट कीं. इन तीनों में मुख्य किरदार शाह रुख़ ने ही निभाए.
ख़ैर, डर के रिलीज़ होते ही बॉलिवुड को वह सितारा मिल चुका था, जो अगले दो दशक तब बॉलिवुड पर राज करने जा रहा था.
इस तरह काम करने के अपने जुनून और रिस्क लेने के अपने साहस के चलते बॉलिवुड डेब्यू के दो साल के अंदर, तीन मेजर हिट्स और दो फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड्स के साथ शाह रुख़ ख़ान ए-लिस्टर्स की लिस्ट में आ गए. उसके आगे क्या हुआ, वह तो पूरी दुनिया ही जानती है.