बात कोरोना काल की हो, जब हम अपने घरों से बाहर नहीं निकल सकते या उससे पहले की, जब हमारा जीवन भागदौड़ से भरा हुआ था… क्या आपको याद है कि कब आपने अपने भोजन को आनंद लेकर खाया था? यदि आपका वज़न बढ़ता है तो इस सवाल का जवाब देना आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है! आगे पढ़िए और जानिए कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं.
हम अक्सर खाना कैसे खाते हैं? काम निपटाते हुए और जल्दी-जल्दी, है ना? कभी ईमेल पढ़ते हुए, कभी वॉट्सऐप पर रिप्लाई करते हुए, फ़ेसबुक देखते हुए, ट्विटर पर कमेंट करते हुए, मोबाइल पर ख़बरें पढ़ते हुए, टीवी पर ख़बरें या अपना पसंदीदा कार्यक्रम देखते हुए. सार ये है कि खाना खाते समय हम इस बात को कोई तवज्जो नहीं देते कि हम खा क्या रहे हैं, उसका स्वाद कैसा है, उसका कलर और टेक्स्चर कैसा है?
आप सही समझीं कि यदि आपको अपना अतिरक्त वज़न घटाना है तो हम आपको बिल्कुल बुनियादी सलाह देने जा रहे हैं: भोजन करते समय अपना पूरा ध्यान आपने भोजन पर केंद्रित कीजिए, उसका पूरा लुत्फ़ उठाइए और धीरे-धीरे खाइए. भोजन के स्वाद पर पुलकित होइए.
ना… ना… ये कोरा हवाई ज्ञान नहीं है! कई रिसर्च से यह बात साबित हो चुकी है कि धीरे-धीरे भोजन करने वाले लोग, जल्दी-जल्दी भोजन करने वालों की तुलना में कम मोटे होते हैं. आइए, ऐसी ही कुछ रिसर्च के बारे में आपको बताते हैं…
रिसर्च क्या कहती है?
न्यूज़ीलैंड में वर्ष 2009 में 40-50 वर्ष की उम्र की 2500 महिलाओं पर हुए शोध में पाया गया कि जल्दी-जल्दी खाना खाने वाली महिलाओं के बहुत मोटे यानी ओबीस होने का ख़तरा, धीरे-धीरे खाना खाने वाली महिलाओं की तुलना में 115% तक ज़्यादा होता है.
यही नहीं, जापान में लगभग 4000 लोगों पर की गई रिसर्च, जिसमें 30-50 वर्ष की उम्र के महिला व पुरुष दोनों शामिल थे, में पाया गया कि जल्दी-जल्दी खाना खाने वाले महिला व पुरुष दोनों में ही मोटापा ज़्यादा बढ़ा था.
वर्ष 2000 से वर्ष 2008 के बीच यानी आठ वर्ष तक चली एक तीसरी रिसर्च में 529 पुरुषों पर अध्ययन कर के पाया गया कि जल्दी-जल्दी भोजन ग्रहण करने वाले पुरुषों का वज़न औसतन 1.9 किलो तक बढ़ा, जबकि इसी अवधि में धीरे-धीरे भोजन करने वाले पुरुषों का वज़न औसतन 0.7 किलो ही बढ़ा.
खाना खाने पर होता क्या है?
जब हम खाना खाते हैं तो हमारा पेट भरता है, जिससे पेट में मौजूद स्ट्रेच रिसेप्टर्स सक्रिय हो जाते हैं. ये रिसेप्टर्स वेगस नर्व, जो हमारे पेट और दिमाग़ को जोड़ती है, के ज़रिए हमारे दिमाग़ को पेट भरने की संतुष्टि का संदेश पहुंचाते हैं. फिर जैसे ही खाना छोटी आंत में पहुंचता है, इसे पचाने के लिए हॉर्मोन्स निकलने लगते हैं और ये दिमाग़ को फिर इस बारे में संदेश भेजते हैं कि पेट भर गया है. लेकिन यह पूरी प्रक्रिया हमारे खाना खाते ही शुरू नहीं होती. हमारे मस्तिष्क को यह महसूस करने में कि हमारा पेट भर चुका है, 20 मिनट या इससे ज़्यादा का समय लगता है.
दूसरी बात यह कि यदि खाना खाते हुए आप दूसरे काम करते हैं तो आप भोजन का पूरा आनंद नहीं उठाते हैं तो आप पूरी तरह संतुष्ट महसूस नहीं कर पाते हैं-और बहुत संभव है कि संतुष्टि पाने की चाह में आप ज़्यादा खाना खा लें. और आपका वज़न बढ़ जाए.
तो कैसे खांएं खाना?
यदि भोजन करते समय आपका पूरा ध्यान केवल भोजन करने पर केंद्रित होगा तो आप खाने के स्वाद, सुगंध और टेक्स्चर सभी को महसूस करेंगी. ऐसे में जब आपका पेट भूख से संतुष्टि का संकेत मस्तिष्क को भेजेगा तो धीरे-धीरे खाने की वजह से आपको भी एहसास होगा कि अब मेरा पेट भर गया है. यदि आपने भी ठान लिया है कि अपने अतिरिक्त वज़न को घटाने के लिए आप आज से समझदारी से खाना खाएंगी तो ये टिप्स आपके काम आएंगे…
• रोज़ाना एक ही साफ़-सुथरी जगह पर खाना खाएं.
• सामान से भरी हुई डायनिंग टेबल पर न खाएं.
• खाना खाने से पहले इसमें बाधा पैदा करने वाली हर चीज़ को ख़ुद से दूर रखें, जैसे- मोबाइल फ़ोन को साइलेंट मोड पर डाल दें, टीवी और लैपटॉप बंद रखें, ताकि आपका ध्यान कहीं और न बंटे और आप पूरी तरह अपने भोजन पर ध्यान दे सकें.
• भोजन शुरू करने से पहले 20 मिनट का टाइमर सेट कर लें और कोशिश करें कि अपने भोजन को इस तरह खाएं कि इसे ख़त्म करने में आपको कम से कम 20 मिनट का समय लगे.
• खाते समय केवल भोजन के स्वाद, सुगंध और टेक्स्चर पर ध्यान दें और उसका पूरा लुत्फ़ उठाएं.
• जैसा कि पुराने समय में कहा जाता था, कि हमारे 32 दांत होते हैं तो हमें एक कौर भोजन को पूरे 32 बार चबाने के बाद ही अंदर ले जाना चाहिए. इस बुनियादी नियम का पालन करें.
• भोजन या मीठे की दूसरी सर्विंग लेने से पहले सोचें कि क्या आप वाक़ई भूख की वजह से इसे ले रही हैं या फिर केवल स्वाद की वजह से?