सोनी लिव पर स्ट्रीम हो रही पॉलिटिकल ड्रामा वेब सिरीज़ महारानी यूं तो बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के जीवन से प्रेरित लगती है, पर इसकी कहानी में कई ऐसे ट्विस्ट ऐंड टर्न हैं, जो इसे एक कमज़ोर रियल लाइफ़ पॉलिटिकल ड्रामा, लेकिन बेहद स्ट्रॉन्ग महिला केंद्रित सिरीज़ बनाते हैं.
वेब सिरीज़: महारानी
कुल एपिसोड: 10
प्लैफ़ॉर्म: सोनी लिव
सितारे: हुमा क़ुरैशी, सोहम शाह, विनीत कुमार, अमित सियाल, प्रमोद पाठक, कनि कस्तूरी, अतुल तिवारी और अन्य
शो क्रिएटर: सुभाष कपूर
निर्देशक: करण शर्मा
संवाद: उमा शंकर सिंह
कहानी: सुभाष कपूर और नंदन सिंह
रेटिंग: 3/5 स्टार
1990 का दशक भारतीय राजनीति में भारी उथल-पुथल का दौर था. आज़ादी के बाद से अब तक केंद्र और राज्यों में अपनी मज़बूत पकड़ बनाए रखने वाली कांग्रेस के हाथों से सत्ता की डोर फिसल रही थी. ख़ासकर उत्तर के हिंदी पट्टी में कांग्रेस के पतन के बाद कई क्षेत्रीय नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टियों को राज्य की सत्ता तक पहुंचाया. उस दौर के ऐसे ही एक प्रभावशाली नेता थे लालू प्रसाद यादव, जिन्होंने मंडल आयोग के बाद समाज में आए बदलावों का राजनीतिक फ़ायदा जमकर उठाया था. उन्होंने आज़ादी के बाद लंबे समय तक राजनैतिक रूप से कमज़ोर माने जानेवाले पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को बिहार की राजनीति के केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया था. उन्हीं लालू यादव पर जब उस दौर के चर्चित मामले चारा घोटाले के तहत मुक़दमा चलना शुरू हुआ (बाद में उनपर आरोप साबित हुआ, वे जेल भी गए), राजनैतिक रूप से मामला इतना गंभीर हुआ कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा रहना उनके लिए मुश्क़िल हो गया, उन्होंने पूरे देश को चौंकानेवाला फ़ैसला लेते हुए अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया. उसके बाद क्या हुआ, यह देश की राजनीति में ज़रा-सी भी रुचि रखनेवाले जानते समझते होंगे. बहरहाल हम इस रेफ़रेंस के साथ वेब सिरीज़ महारानी की रिव्यू इसलिए शुरू कर रहे हैं, क्योंकि निर्माता सुभाष कपूर ने उसी घटनाक्रम से प्रेरित होकर दस एपिसोड्स का एक शो बना डाला है.
बिहार के मुख्यमंत्री भीमा भारती (सोहम शाह) को गोली लग जाती है. बुरी तरह घायल भीमा को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ता है. नए मुख्यमंत्री का चुनाव भी भीमा को ही करना है. पार्टी के सभी सीनियर लीडर्स को चौंकाते हुए भीमा ने अपनी पत्नीर रानी भारती का नाम अगले मुख्यमंत्री के तौर पर आगे किया. रानी एक घरेलू महिला है. वह राजनैतिक रूप से ही नहीं, शिक्षा के मामले में भी अनपढ़ है. रानी को अपने पति में परमेश्वर दिखता है और दुनिया की सारी ख़ुशियां अपने तीनों बच्चों की ख़ुशी में है. ज़ाहिर है एक अनपढ़ गंवार गृहणी का राज्य की मुख्यमंत्री बनना किसी को रास नहीं आता, सिवाय पति भीमा के, जिसका उद्देश्य ही है पत्नी के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से शासन करना.
राबड़ी देवी और रानी भारती की कहानी में प्रत्यक्ष समानता केवल इतनी ही दिखती है. आगे कहानी में ऐसे ट्विस्ट ऐंड टर्न हैं, जो इसे किसी तरह के बायोपिक के बजाय एक फ़िक्शन ड्रामा की ओर ले जाते हैं.
वेब सिरीज़ महारानी को महिला सशक्तिकरण के शो तौर पर भी देख सकते हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री बनने के बाद रानी भारती वह सबकुछ करने लग जाती है, जो एक सच्चे मुख्यमंत्री को अपने राज्य और उसके लोगों के लिए करना चाहिए. यहां तक कि वह अपने पति की आंखों में भी खटकने लग जाती है, जिसने अपने फ़ायदे के लिए उसे मुख्यमंत्री बनवाया था. महारानी की रानी भारती इसलिए अपने पति और पूरे मंत्रिमंडल को ज़हर लगने लगती है, क्योंकि उसे अनपढ़ और गंवार होने के बाद भी सीएम के कर्तव्य याद रहते हैं और वह अपने बिहार की जनता को अपना मानने लगती है. वह बार-बार कभी अपने पति, कभी उनके सचिव, कभी विपक्ष तो कभी मंत्रिमंडल के नेताओं से अपमानित होती रहती है. निर्माता निर्देशक ने पुरुषवादी समाज में एक महिला के अचानक ऊंचे उठ जाने को किस तरह देखा जाता है, वह भी बेहतरीन ढंग से दर्शाया है. भले ही पुरुष राजनेता रानी भारती को दूध दुहने वाली, अनपढ़, गंवार और गाय-भैंस चराने वाली कह कर बार-बार उसे अपमानित करने की कोशिश करते हैं, पर पद की मर्यादा के चलते उन्हें सार्वजनिक रूप से उसका सम्मान करना पड़ता है. इस विचित्र स्थिति के चलते पैदा होनेवाली पुरुषों की झुंझलाहट काफ़ी कुछ कह जाती है.
हालांकि भारतीय राजनीति की सबसे विवादास्पद घटनाओं में एक राबड़ी देवी के अचानक मुख्यमंत्री बनाए जाने की घटना से प्रेरित यह वेब सिरीज़ बिहार की राजनीति में जातिवाद के मुद्दे को सिर्फ़ ऊपर-ऊपर ही छूकर निकल जाती है. निर्माता ने विवादों से बचने की पूरी कोशिश की है. जहां कहानी को रियलिस्टिक अप्रोच देकर सिरीज़ को और दमदार बनाया जा सकता था, वहां किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए बीच का रास्ता लेकर निकलने में ही भलाई समझी गई है.
अदाकारी की बात की जाए तो हुमा क़ुरैशी ने काफ़ी मेहनत की है. रानी भारती की भूमिका उनके करियर की बेहतरीन भूमिकाओं में गिनी जाएगी. गेटअप में वे बिल्कुल बिहारी दिखती हैं, पर बोलचाल के अंदाज़ में थोड़ी कसर रह गई है. उनके पति भीमा भारती के तौर पर सोहम शाह ठीक-ठाक लगे हैं. इस वेब सिरीज़ को ख़ास बनानेवाले तीन हीरो रहे हैं. पहले दो हैं विनीत कुमार और अमित सियाल और तीसरा हीरो है इसके डायलॉग्स. संवाद बेहद सटीक और कहानी की रवानी के अनुरूप हैं. वहीं विनीत कुमार और अमित सियाल तो इस पूरे शो की शान रहे हैं. अमित सियाल ने नवीन कुमार नामक अपना किरदार ठेठ बिहारी अंदाज़ में क्या ख़ूब निभाया है. नोटवर्दी अभिनय करने वालों में दूसरे कलाकार हैं-प्रमोद पाठक, इनामुल हक़, अतुल तिवारी और कनि कस्तूरी.
भले ही रियल लाइफ़ पॉलिटिकल ड्रामा के तौर पर महारानी को कमज़ोर आंका जाए, पर जब इसकी कहानी को एक महिला के अस्तित्व की कहानी के रूप में भी देखा जाएगा तो यह एक अच्छी वेब सिरीज़ कहलाएगी.