इंटरनेट की सर्वसुलभ उपलब्धता ने जहां कई सकारात्मक चीज़ें दी हैं, वहीं महिलाओं का ऑनलाइन उत्पीड़न इससे बढ़ा है. कई महिलाओं को पुरुषों द्वारा लिंग की फ़ोटोज़ (डिक पिक्स) भेजी जाती हैं. क़ानूनन यह एक आपराधिक गतिविधि है. इस उत्पीड़न पर हर महिला की अपनी अलग प्रतिक्रिया हो सकती है. पर आख़िर पुरुष ऐसा करते क्यों हैं? और कैसे निपटा जा सकता है इस चलन से? इस बारे में हमें विशेषज्ञ की राय के साथ कुछ टिप्स दे रहे हैं वीवॉक्स से संस्थापक संगीत सेबैस्टियन.
क्लब हाउस, जो कि एक वॉइस बेस्ड सोशल नेटवर्क ऐप्लिकेशन है, पर हाल ही में एक महिला ऐंकर ने इस बात का ज़िक्र किया कि किस तरह भारतीय महिलाओं को कितनी बार अकारण, अवांछित डिक पिक्स (पीनिस या शिश्न के फ़ोटोज़) भेजे जाते हैं.
इस बातचीत के दौरान जो बात ध्यान देने जैसी थी कि कैसे इस ऐंकर ने पूरी चर्चा को, पूरी बात को महत्वहीन बताते हुए इस बात को लगभग स्वीकार किया कि डिक पिक्स कैसे जीवन का सत्य हैं, बजाय इसके कि वे इस बारे में कोई नैतिकता भरा रोष प्रगट करतीं, जैसी कि कई श्रोताओं ने उम्मीद की होगी.
क्या यह इसलिए हुआ होगा कि हम स्वाभाविक रूप से यह समझ लेते हैं कि सभी महिलाएं अकारण, अवांछित रूप से भेजी जाने वाली डिक पिक्स से परेशानी या विकर्षण ही महसूस होता होगा?
महिलाओं को ‘लिंग’ की तस्वीरें भेजना सेक्शुअल उत्पीड़न का ही एक प्रकार है. बिल्कुल उन्हें गली में छेड़ने (स्ट्रीट फ़्लैशिंग) की ही तरह. यह क़ानून के मुताबिक़ एक दंडनीय अपराध है. कई भारतीय अदालतों ने स्ट्रीट फ़्लैशिंग को अपराध माना है. तब भी, जबकि संबंधित महिला को कोई शारीरिक नुक़सान न पहुंचा हो. इस बात की बुनियाद में यह तथ्य रखा गया कि ‘‘इससे पीड़िता को मानसिक संत्रास पहुंचता है’’ या ‘‘उसके मन में जीवनभर के लिए डर समा सकता है’’.
बावजूद इसके एक सच्चाई यह भी है कि कई महिलाएं, बिल्कुल क्लब हाउस ऐप की होस्ट की ही तरह ‘‘साइबर फ़्लैशिंग’’ को ‘‘रीयल फ़्लैशिंग’’ की तुलना में अलग तरीक़े से देखती हैं. और कई बार उनके लिए यह एक झुंझलाहट भरी घटना से ज़्यादा कुछ भी नहीं होता.
हाल ही में जर्नल ऑफ़ सेक्स रिसर्च में प्रकाशित हुए एक अध्ययन में, जिसका शीर्षक थोड़ा अटपटा है- ‘आई विल शो यू माइन सो यू विल शो मी योर्स…’ इस बात को और गहराई में समझने का प्रयास किया गया है कि जब महिलाओं को अकारण ही डिक पिक्स मिलते हैं तो उनका व्यवहार कैसा होता है. इस अध्ययन में पता चला है कि इस मामले में अलग-अलग महिलाओं का व्यवहार अलग-अलग हो सकता है और यह ज़रूरी नहीं है कि इसे देखकर उनके भीतर घृणा या प्रतिरोध की भावना ही जागे. क्योंकि, ‘‘सभी महिलाएं एक जैसी नहीं होतीं और मनुष्यों की सेक्शुऐलिटी भी तो असाधारण रूप से विविधता लिए हुए है.’’
पर इस स्टडी में यह तो स्पष्ट पता चलता है कि जब इस तरह की बातें ऑनलाइन या इंटरनेट पर होती हैं तो अभद्रता को लेकर हमारी धारणा और उसकी सीमा रेखा, उसकी तुलना में बहुत ऊंची हो जाती है, जबकि यह घटना हमारे वास्तविक जीवन में घटी होती.
इसका एक कारण तो इंटरनेट का सभी जगह उपस्थित होना यानी सर्वव्यापकता और दूसरा गुमनामी भी है. डिक पिक्स, उस पुरुष से जुड़ी नहीं होतीं, जो इन्हें भेज रहा होता है. इस वजह से ये बहुत जल्दी सर्कुलेट हो जाती हैं और ये कहां से सर्कुलेट होना शुरू हुई यानी इसके सोर्स का पता लगाना भी महुत मुश्क़िल हो जाता है. इसके अलावा जैसा कि अमेरिकी गायिका स्टेफनी डी’अब्रज़ो ने गुनगुनाया है,‘‘दि इंटरनेट इज़ फ़ॉर पॉर्न’’, तो कालिख के समंदर में डिक पिक का स्कैन्डल पर कौन ही ध्यान देगा?
लेकिन क्या वजह है कि पुरुष डिक पिक्स भेजते हैं? जब तक आप इसके पीछे की उनकी मंशा को समझने की कोशिश नहीं करेंगे, तब तक इसे रोक पाने की कोई उम्मीद ही नहीं की जा सकती. इस बारे में हमने दुनिया के नामचीन सेक्शुअल हेल्थ स्पेशलिस्ट और वीवॉक्स के विशेषज्ञ डॉक्टर डी नारायणा रेड्डी से बातचीत की.
इस मामले में डॉक्टर रेड्डी कहते हैं,‘‘यह किसी प्रदर्शनीवाद, पैराफ़िलिया (असामान्य सेक्शुअल व्यवहार) या सेक्शुल विचलन के जैसा है, जिसे चिकित्सा विज्ञान में डिस्ऑर्डर की तरह वर्गीकृत किया गया है. कोई व्यक्ति जो किसी अन्य व्यक्ति को डिक पिक भेजता है वो किसी विशेष चीज़ की तलाश में हैं: पीड़ित के चेहरे पर सदमे या आश्चर्य का भाव, जो उस व्यक्ति को लगभग स्थिर या पैरालाइज़ कर दे, जिसके साथ वह यह छेड़छाड़ कर रहा है.’’
इससे निपटने के तरीक़े पर डॉक्टर रेड्डी कहते हैं,‘‘डिक पिक्स को देखकर हर किसी का नज़रिया अलग-अलग हो सकता है. लेकिन अवांछित डिक पिक्स भेजना क़ानूनन अपराध है. पिछले कुछ वर्षों में इस तरह का प्रचलन बढ़ गया है. इतना ज़्यादा कि कई महिलाओं और उनके क्रोधित पति लगभग हर सप्ताह मेरे क्लिनिक में फ़ोन कर के मुझसे पूछते हैं कि इस मुद्दे को कैसे हल करें? इसके केवल दो ही व्यावहारिक समाधान हो सकते हैं या तो ऐसे डिक पिक्स को डिलीट कर दें और मामले को अनदेखा करें या फिर पुलिस को रिपोर्ट करें.’’
फ़ोटो: गूगल