प्रॉस्टेट कैंसर सर्वाइवर्स के लिए सेक्शुअल लाइफ़ को दोबारा पटरी पर लाना आसान नहीं होता, लेकिन यह भी एक सच है कि यदि उन्हें सेक्स लाइफ़ के सामान्य हो जाने की आस बनी रहे तो यह बात उनकी जिजीविषा को बढ़ाने में सहायक हो सकती है. यहां जानिए कि क्यों इलाज के बाद इन सर्वाइवर्स की कामेच्छा में कमी आती है और ये भी कि इसके इलाज के लिए कौन-कौन से सहायक उपाय उपलब्ध हैं.
कुछ महीने पहले जब, फ़ाइज़र, वह कंपनी, जिसने वियाग्रा की खोज की थी, ने इस बात की घोषणा की थी कि यह कोविड-19 के लिए वैक्सीन लाएगी तब सोशल मीडिया पर एक जोक बहुत शेयर किया गया था:
‘‘यदि फ़ाइज़र मुर्दों में जान डाल सकता है तो वह बहुत आसानी से जीवित चीज़ों को भी सीधा कर सकता है,’’ यह ट्वीट बहुत से लोगों ने पढ़ा और रीट्वीट किया था.
इरेक्शन हाइड्रॉलिक इंजीनियरिंग का चमत्कार है, जिसे सही दवाओं से अक्सर ठीक भी किया जा सकता है. लेकिन एक श्रेणी ऐसे लोगों की भी है, जिनके लिए वियाग्रा भी काम नहीं कर सकता: प्रॉस्टेट कैंसर सर्वाइवर्स. (प्रॉस्टेट एक छोटी वॉलनट (अखरोट) के आकार की ग्रंथि होती है, जो वह द्रव बनाती है, जो शुक्राणुओं यानी स्पर्म्स के साथ मिलकर वीर्य (सीमन) बनाता है.)
क्या कहता है डेटा
नैशनल कैंसर रजिस्टरीज़ के डेटा के मुताबिक़, भारत में ख़ासतौर पर दिल्ली, कोलकाता, पुणे, तिरुवनंतपुरम, बैंगलुरु और मुंबई शहरों में रहने वाले पुरुषों में प्रॉस्टेट कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी दिखाई दी है.
प्रॉस्टेट कैंसर का एक संभावित और डरावना साइड इफ़ेक्ट यह है कि बहुत से पुरुषों में इसकी वजह से उनकी सेक्शुअल इच्छाओं में बड़ा बदलाव आ जाता है, ख़ासतौर पर सर्जरी के बाद. सर्जरी के चलते सेक्स की इच्छा में कमी से लेकर पीनिस की लंबाई में कमी और स्पर्म काउंट में कमी तक भी हो सकती है.
चूंकि प्रॉस्टेट कैंसर के बहुत से मरीज़ अपेक्षाकृत युवा होते हैं, अपने जीवन के चौथे, पांचवे या छठवें दशक में होते हैं. कई पुरुषों को तीसरे दशक में भी यह बीमारी हो जाती है, ऐसे में सबसे अच्छा ट्रीटमेंट क्या होगा यह तय करना कई फ़िज़िशन्स के लिए भी चुनौतीभरा होता है.
बेंगलुरु स्थित प्रमुख कैंसर अस्पतालों के नेटवर्क साइटकेयर के अनुसार, भारत में प्रोस्टेट कैंसर के लिए पांच साल की जीवित रहने की दर 64 प्रतिशत है.
हर मरीज़ अपनी तरह से कोशिश करता है
मौत के साथ अचानक होनेवाला यह टकाराव कुछ पुरुषों को प्रोत्साहित भी कर सकता है कि वे उस समय को खुलकर जिएं, जो उनके पास है, जैसा कि लोकप्रिय नेटफ़्लिक्स सीरीज़ ‘ब्रेकिंग बैड’ में वॉल्टर वाइट के साथ हुआ, लेकिन इस स्थिति में ड्रग्स की जगह प्यार की तलाश में या फिर शायद एक प्रेम-संबंध की तलाश में.
डेटिंग ऐप एशले मैडिसन की कुख्यात टैगलाइन ‘जीवन छोटा है, एक प्रेम-संबंध तो कीजिए’ यहां असंवेदनशील लग सकती है, लेकिन यह इस बात को बिल्कुल सही तरीक़े से बयां करती है कि ऐसी परिस्थितियों में कम से कम कुछ लोग क्या और कैसा महसूस करते हैं.
उम्मीद की किरण बन सकती है यह बात
साइकोएनालिसिस के जनक और न्यूरोलॉजिस्ट फ्रायड ने इरोज़ (प्यार और सेक्स का ग्रीक देवता) को मृत्यु के ग्रीक देवता थानाटोस के साथ युद्धरत रहनेवाली जीवन वृत्ति के रूप में समझाया था. प्रॉस्टेट कैंसर सर्वाइवर्स के लिए, सेक्स, (यदि अब भी उनके लिए यह संभव हो सके तो) जीवित रहने की इच्छा का बड़ा कारण हो सकता है.
हालांकि बहुत सारी चीज़ें कई कारकों पर निर्भर करती हैं, जिसमें मरीज़ की सेहत, प्रॉस्टेट कैंसर के साथ जुड़ी अन्य समस्याएं, इस बीमारी से पहले उनकी सेक्शुअल गतिविधियां, लंबे चलने वाले इलाज की योजना और उस डॉक्टर के कौशल का स्तर, जो सर्जरी करने वाला है.
सर्वाइवर्स के लिए क्यों मुश्क़िल होता है सेक्स
प्रॉस्टेट कैंसर के बाद सेक्स इतना मुश्क़िल क्यों हो जाता है, यह जानने के लिए मैंने डॉक्टर अजीत सक्सेना से बात की जो दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के जानेमाने यूरो-ऐंड्रोलॉजिस्ट और रोबोटिक सर्जन होने के साथ-साथ वीवॉक्स के को-फ़ाउंडर भी हैं.
डॉक्टर सक्सेना ने बताया,‘‘प्रॉस्टेट कैंसर का इलाज करने का मतलब है कि एक सर्जन के पास कुछ नसों को काटने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है, क्योंकि हमें इस बीमारी का इलाज करना है. हम बहुत सारी नसों का सही-सही वो मार्ग नहीं जानते जो यौन अंगों में संवेदना लाती और ले जाती हैं तो इनके कट जाने से पीनिस के इरेक्ट होने की प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है.’’
वे आगे कहते हैं,‘‘इरेक्शन एक यांत्रिक यानी मेकैनिकल प्रक्रिया है, जो इस बात का नतीजा होता है कि आपका मन क्या सोच रहा है और किन संवेदनाओं को महसूस कर रहा है. दिमाग़ का यह खेल भी कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें पुरुष हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन भी शामिल है. जिसे कामेच्छा कहा जाता है. प्रॉस्टेट कैंसर के मरीज़ों की सर्जरी के साथ-साथ कीमोथेरैपी, रेडियोथेरैपी और हॉर्मोनल थेरैपी भी की जाती है, जिससे कामेच्छा में बहुत अधिक कमी हो सकती है.
‘‘हालांकि इरेक्टाइल फ़ंक्शनिंग के लिए दवाओं से लेकर मेडिकल इक्विपमेंट्स, जैसे- वैक्यूम पंप और पीनाइल इम्पलान्ट सर्जरी जैसे कई तरह के सहायक उपाय मौजूद हैं. प्रॉस्टेट कैंसर का जल्दी पता चल जाना और स्क्रीनिंग से भी सेक्शुअल प्रक्रियाओं से जुड़े ख़तरों को कम करने में सहायता मिलती है.’’
फ़ोटो: गूगल