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Home ओए हीरो

ज़िंदगी को ‘ग्रीन उत्सव’ बनाना मुश्क़िल नहीं है: ऋषिता शर्मा

शिल्पा शर्मा by शिल्पा शर्मा
April 1, 2021
in ओए हीरो, ज़रूर पढ़ें, मुलाक़ात
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ज़िंदगी को ‘ग्रीन उत्सव’ बनाना मुश्क़िल नहीं है: ऋषिता शर्मा
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ऋषिता शर्मा को आप बेहिचक ‘हरित योद्धा‘ कह सकते हैं. जीवन को कितना ज़्यादा से ज़्यादा ईको-फ्रेंडली बनाया जा सकता है, ऋषिता ने इस बात को ध्यान में रखते हुए ‘ग्रीन उत्सव’ की नींव रखी. धरती को हरा-भरा रखने के लिए उनके नाम जो प्रयास दर्ज हैं, उनमें से कुछ हैं: रेंट अ कटलरी, ज़ीरो वेस्ट पार्टी, ईको फ्रेंडली वेडिंग, ईको फ्रेंडली स्कूल इवेंट, ब्रिंग योर ओन कटलरी सेल्फ़ी. आइए, धरती को स्वच्छ रखने की कोशिश करती इस रीयल हीरो से आपको मिलवाते हैं.

सॉफ़्टवेयर इंजीनियर ऋषिता शर्मा मूल रूप से मध्य प्रदेश की निवासी हैं और लंबे समय तक वे अमेरिका में रही हैं. उनकी संस्था ग्रीन उत्सव की नींव तब पड़ी, जब वे भारत लौटीं और बैंगलोर में रहने लगीं. क्या थी इसके पीछे की वजह? आइए ऋषिता से ही जानते हैं…

आख़िर कैसे हुई आपके ग्रीन वॉरियर बनने की शुरुआत?
दरअस्ल, इसके बीज तभी पड़ गए थे, जब मैं अमेरिका में थी और मैंने अभिनेता आमिर ख़ान के सत्यमेव जयते का वेस्ट मैनेजमेंट वाला एपिसोड देखा था, तब सोचा था-भारत लौटूंगी तो ज़रूर इसके लिए कुछ करूंगी. क्योंकि देखा करती थी कि अमेरिका में साफ़-सफ़ाई है और जब देश लौटो तो गंदगी दिखाई देती है. वर्ष 2014 में जब यहां लौटी तो मेरी बेटी हो चुकी थी और मैं मैटर्निटी लीव पर थी. तब मैंने सोचा कि अभी समय है तो क्यों न वेस्ट मैनेजमेंट के लिए कुछ किया जाए. मैंने अपनी हाउसिंग सोसाइटी में गीला-सूखा कचरा अलग करवाने की ओर ध्यान दिया. लोगों को किसी काम के लिए तैयार करना कठिन होता है, लेकिन जब आप उन्हें वजह समझाते हैं तो वे आपका साथ देने तैयार हो जाते हैं. फिर मैंने देखा कि गणपति उत्सव में हमारी सोसाइटी डिस्पोज़ेबल ग्लास, चम्मच और प्लेटों से भर जाती है. पहले साल तो मैं गणपति उत्सव में निकले निर्माल्य को अपने घर पर ही कम्पोस्ट में तब्दील करती थी, जब लोगों ने देखा कि ये किया जा सकता है तो उन्होंने भी इसे करने में रुचि ली.

बातों ही बातों में मैं और मेरी फ्रेंड डिस्पोज़ेबल कटलरी के इस्तेमाल को लेकर चिंतित हुए तो सोचा कि हमें इन पार्टीज़ को ईको-फ्रेंडली बनाने के लिए कुछ करना चाहिए. और इस तरह रेंट अ कटलरी की शुरुआत हुई. हम दोनों ने 20-20 हज़ार रुपए डाले और स्टील की कटलरी के 50 सेट ख़रीद लिए. हमारे आसपास जिस किसी के भी यहां छोटी-मोटी पार्टी होती, हम पहुंच जाते और उन्हें समझाते कि डिस्पोज़ेबल्स की जगह हमारी स्टील की कटलरी को मौक़ा दीजिए. इससे कचरा कम फैलेगा, आप धरती को हरा-भरा रखने में सहयोगी होंगे. हम उन्हें इस बात का भी आश्वासन देते कि आपको बिल्कुल साफ़-सुथरी कटलरी मिलेगी. और इस कटलरी को साफ़ करने के लिए हम घर पर बने बायो एन्ज़ाइम्स से इसे सैनिटाइज़ करते थे. लोगों को यह बात क्लिक हो गई कि इस तरह वे ख़ुद ईको-फ्रेंडली बन सकते हैं. रेन्ट अ कटलरी इतना हिट हुआ कि अलग-अलग शहरों में कई लोगों ने इसकी शुरुआत की. हम सोसाइटीज़ को इस बात के लिए प्रेरित करने लगे कि आप अपने सोसाइटी मेंबर्स के घर में आयोजित होने वाले फ़ंक्शन्स के लिए इस संकल्पना को लागू करें और अपना ख़ुद का कटलरी सेट रखें. बहुत सी सोसाइटीज़ ने ऐसा किया भी.

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क्या इस काम में आपको और भी लोगों का सहयोग मिला? ग्रीन उत्सव कैसे शुरू हुआ और ज़ीरो वेस्ट पार्टी का आइडिया कैसे आया?
बैंगलोर एक ऐसा शहर है, जहां लोग अपने स्तर पर, ग्रुप्स बना कर समाज के प्रति अपना योगदान देते हैं और आपको भी ऐसा करने को ख़ूब प्रेरित करते हैं. जब हमने अपनी सोसाइटी में वाइटफ़ील्ड राइज़िंग वेस्ट मैनेजमेंट शुरू किया तो थोड़ी दिक़्क़तें आईं, पर फिर लोग समझने लगे. जब हमने रेंट अ कटलरी शुरू किया तो लोगों में यह भावना जागी कि ऐसे छोटे-छोटे क़दम उठा कर वे इस धरती के लिए कुछ कर सकते हैं. इसी भावना से प्रेरित हो कर हमने ‘ग्रीन उत्सव’ संस्था बनाई और ज़ीरो वेस्ट पार्टी की संकल्पना रखी, ताकि रीसाइकल और रीयूज़ को बढ़ावा दिया जा सके. पार्टीज़ के लिए हमने रीयूज़ेबल डेकोरेशन मटेरियल का इस्तेमाल किया, स्टील की कटलरीज़ का इस्तेमाल, खाने के लिए होम शेफ़्स को तैयार किया, रिटर्न गिफ़्ट्स कपड़े की रीयूज़ेबल थैलियों में देने की शुरुआत की, रिटर्न गिफ़्ट के लिए स्थानीय कलाकारों की चीज़ों को चुना. अब तक हम 200 से ज़्यादा ज़ीरो वेस्ट पार्टीज़, छह सगाई पार्टीज़ और चार ईको फ्रेंडली शादी समारोह करवा चुके हैं. वर्ष 2019 में हमने 3000 मेहमानों वाली ईको-फ्रेंडली शादी पार्टी का आयोजन किया था, जिसे दूल्हा-दुल्हन, उनके परिजन और मेहमान सभी ने बहुत पसंद किया और सराहा. हमें इस बात का इत्मीनान था कि हम ऐसे आयोजनों में कचरे की मात्रा में भारी कमी ला सके.
पार्टीज़ ही नहीं, मैंने अपनी बेटी के स्कूल के एक इवेंट को भी ज़ीरो वेस्ट इवेंट की तरह मनवाने का प्रयास किया. स्कूल प्रबंधन के सहयोग की वजह से यह प्रोग्राम बहुत सफल रहा, अभिभावकों ने इसे सराहा. पार्टीज़ और समारोहों को ग्रीन उत्सव में तब्दील करना कठिन नहीं है, इसके लिए बस थोड़ी-सी प्लैनिंग और थोड़े प्रयास की ज़रूरत है.

आप #BYOCselfie, सेल्फ़ी मुहिम की शुरुआत का भी हिस्सा रही हैं, उसके बारे में बताएं? ग्रीन उत्सव के ज़रिए आप क्या-क्या कर रही हैं?
जब हम घर से बाहर निकलते हैं या ऑफ़िस जाते हैं तो वहां भी डिस्पोज़ेबल कप, प्लेट और कटलरी का इस्तेमाल करते हैं और धरती पर कचरा बढ़ाते हैं. #BYOCselfie इस बात को रोकने के लिए है. दरअस्ल, यह हैशटैग ब्रिंग योर ओन कटलरी सेल्फ़ी के लिए बनाया गया है यानी आप घर से बाहर निकलें तो अपने लिए एक स्टील की प्लेट, चम्मच, कटोरी और ग्लास ले कर निकलें, ताकि हम डिस्पोज़ेबल कटलरी के इस्तेमाल को कम कर सकें. इस मुहिम को बैंगलोर के लोगों ने तो हाथों-हाथ लिया ही, देश के अन्य हिस्से में भी लोगों ने सराहा और अमल में लाया. लोग बड़े-बड़े ईटिंग जॉइन्ट्स पर भी अपनी कटलरी लेकर जाने और उसी में खाने लगे हैं. ऐसा करते हुए वे अपनी फ़ोटो लेते और #BYOCselfie के साथ उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं, ताकि और लोग भी इस बात से प्ररित हो सकें.
आप कह सकते हैं कि मैं धरती को हरा-भरा बनाए रखने के लिए जुनूनी हूं और इसके लिए अपनी संस्था के ज़रिए लोगों और अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर काम करती हूं. मैं, घर पर माइक्रो ग्रीन कैसे उगाए जाएं, इसकी वर्कशॉप भी करती हूं. स्थानीय कलाकारों के साथ मिल कर मैंने मिट्टी के गणपति बनाने की लगभग 30 वर्कशॉप्स करवाई हैं. लॉकडॉउन के दौरान पड़ने वाले गणेशोत्सव पर स्थानीय कलाकारों द्वारा बनाए गए मिट्टी के गणपति की मूर्ति भी लोगों के घरों तक पहुंचवाईं. साथ ही, महिलाओं को सैनेटरी पैड्स की जगह रीयूज़ेबल मेन्स्ट्रुअल कप्स इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करने के लिए हमने सस्टेनेबल मेन्स्ट्रुएशन की वर्कशॉप्स भी की हैं, करते रहते हैं और करते रहेंगे, क्योंकि हम सब मिलकर ही तो जीवन को ग्रीन उत्सव में बदल सकेंगे.

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शिल्पा शर्मा

शिल्पा शर्मा

पत्रकारिता का लंबा, सघन अनुभव, जिसमें से अधिकांशत: महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर कामकाज. उनके खाते में कविताओं से जुड़े पुरस्कार और कहानियों से जुड़ी पहचान भी शामिल है. ओए अफ़लातून की नींव का रखा जाना उनके विज्ञान में पोस्ट ग्रैजुएशन, पत्रकारिता के अनुभव, दोस्तों के साथ और संवेदनशील मन का अमैल्गमेशन है.

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हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

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