प्रेग्नेंसी केवल आपके शरीर में कई तरह के बदलाव ही नहीं लाती, बल्कि आपके मन में ढेरों सवाल भी ले आती है. कई बार आप अपने गायनाकोलॉजिस्ट से पूछ लेती हैं तो कभी किसी सहेली से. कुछ सवालों के जवाब आप गूगल पर तलाशने लगती हैं. हम ऐसे ही 10 सवालों के जवाब सरल भाषा में ले आए हैं, जिनके बारे में महिलाएं जानना चाहती हैं.
प्रेग्नेंसी में क्या खाना चाहिए? एक्सरसाइज़ कर सकते हैं क्या? प्रेग्नेंसी के दौरान किस पोज़िशन में सोना चाहिए? क्या हम सेक्स कर सकते हैं? जैसे कई सवाल हैं, जो प्रेग्नेंट महिलाओं के मन में चलते रहते हैं. हम प्रेग्नेंसी से जुड़े उन 10 सबसे आम सवालों के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिनके जवाब महिलाएं अक्सर यहां-वहां तलाशने की कोशिश करती हैं.
1. प्रेग्नेंसी के शुरुआती संकेत क्या हैं? मुझे कब पता चलेगा कि मैं प्रेग्नेंट हूं?
प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में महिलाएं थकान का अनुभव करती हैं. और प्रेग्नेंसी का सबसे शुरुआती संकेत है पीरियड्स मिस होगा. इसके अलावा प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में हल्का सिर घूमना, कब्ज़, थकान, ब्रेस्ट्स का अधिक संवेदनशील हो जाना, उल्टी जैसे कुछ और संकेत भी इशारा करते हैं कि आप प्रेग्नेंट हैं. ये संकेत प्रेग्नेंसी के पहले छह से आठ हफ़्तों तक रहते हैं.
2. क्या 35 की उम्र के बाद प्रेग्नेंट होना सुरक्षित नहीं होता?
आजकल डॉक्टर्स कहते हैं कि आपको 35 के पहले तक बेबी कर लेना चाहिए, क्योंकि ऐसा करना अधिक सुरक्षित रहता है. पर इसका यह मतलब नहीं है 35 के बाद प्रेग्नेंट होनेवाली सभी महिलाओं को ख़तरा होता है. ख़तरा कुछ केसेस में ही होता है. 35 के पहले मां बनने की सलाह इसलिए दी जाती है, क्योंकि महिलाओं की ओवरी में जन्म के समय से अंडे होते हैं, जो बीतते समय के साथ बूढ़े होने लगते हैं. ये अंडे जितनी अधिक उम्र में फ़र्टिलाइज़ होते हैं, उनमें जेनेटिक समस्या होने की संभावना उतनी अधिक होती है. 35 से पहले बेबी पैदा करने के लिए इसलिए भी कहा जाता है, क्योंकि 30 की उम्र के बाद से महिलाओं की फ़र्टिलिटी रेट भी कम होती जाती है. लेट थर्टीज़ या फ़ोर्टीज़ में प्रेग्नेंसी के दौरान कई तरह के कॉम्प्लिकेशन्स भी होते हैं. बावजूद इसके यह कहना कि 35 की उम्र के बाद प्रेग्नेंट होना सुरक्षित नहीं है, सही नहीं है. कई महिलाएं इस उम्र में भी बिना किसी कॉम्प्लिकेशन के प्रेग्नेंट होती हैं.
3. क्या प्रेग्नेंसी के दौरान एक्सरसाइज़ करना सुरक्षित होता है?
बेशक आप प्रेग्नेंसी के दौरान हैवी एक्सरसाइज़ नहीं कर सकतीं या कहें आपको करनी ही नहीं चाहिए, पर डॉक्टर द्वारा सुझाए गए व्यायाम करते रहने से आपको फ़ायदा ही होगा. देखा जाए तो लो रिस्क प्रेग्नेंसी के लिए डॉक्टर द्वारा सुझाए गए व्यायाम करना काफ़ी फ़ायदेमंद साबित होते हैं. प्रेग्नेंसी के दौरान ऐक्टिव रहने के अपने फ़ायदे हैं, इससे आपको पीठ दर्द, कब्ज़ और प्रेग्नेंसी डायबिटीज़ होने की संभावना कम होती है. यहां तक कि जो महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान ऐक्टिव बनी रहती हैं नॉर्मल डिलिवरी में उनको मदद मिलती है. पर आपको प्रेग्नेंसी के दौरान एक्सरसाइज़ करना शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से कंसल्ट ज़रूर करना चाहिए.
4. क्या प्रेग्नेंसी के दौरान पीठ के बल सोना ख़तरनाक होता है?
डॉक्टर्स की मानें तो पहले ट्रायमिस्टर तक आप किसी भी पोज़िशन में सो सकती हैं, पर दूसरे ट्रायमिस्टर से आपको अपनी स्लीपिंग पोज़िशन पर ख़ास ध्यान देना होगा. दूसरे और तीसरे ट्रायमिस्टर में आपको बाईं ओर करवट लेकर सोना शुरू कर देना चाहिए. दरअसल आपका यूटरस बड़ा होता है. जब आप पीठ के बल सोती हैं तो हो सकता है कि कोई प्रमुख ब्लड वेसल दब जाए. जब आप बाएं करवट लेकर सोती हैं तो बेबी को पर्याप्त ब्लड सप्लाई मिल पाती है. आपको भी सांस लेने में तक़लीफ़ नहीं होती. अगर आप नींद में ग़लती से पीठ के बल लेट गईं तो बहुत ज़्यादा चिंता मत कीजिए. हां, आपको पेट के बल तो बिल्कुल भी नहीं लेटना चाहिए.
5. प्रेग्नेंसी के दौरान पेट में गैस होने और पाचन की समस्या क्यों होती है?
इसका दोष आप हार्मोन्स को दे सकती हैं. प्रेग्नेंसी के दौरान प्रोजेस्टेरॉन नामक हार्मोन का स्तर काफ़ी बढ़ जाता है, जिस वजह से पूरे शरीर के टिशूज़ शिथिल हो जाते हैं. शरीर में बाउल्स मूवमेंट स्लो हो जाता है, परिणामस्वरूप गैस ज़्यादा बनती है, एसिडिटी की समस्या होती है और कब्ज़ की भी शिकायत रहती है.
6. प्रेग्नेंसी में चटपटा खाने का मन क्यों करता है?
अब तक यह एक रहस्य है कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को चटपटा खाने का मन क्यों करता है. यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि यह हार्मोनल चेंजेंस की वजह से होता है या स्वाद के प्रति अधिक सेंसिटिव होने की वजह से. चटपटा खाने की इस इच्छा को प्रेग्नेंसी क्रेविंग कहा जाता है. इसके शुरू होने का कोई निश्चित समय नहीं है. हर महिला में यह अलग-अलग टाइम पर शुरू होता है. कुछ महिलाओं को तो कभी भी इस तरह का चटपटा खाने का मन नहीं करता. जो भी हो, अगर आपको प्रेग्नेंसी क्रेविंग हो तो उस चक्कर में अनहेल्दी चीज़ें न खा लें. ज़ुबान पर थोड़ा संयम रखें और अपने डॉक्टर की सलाह के बिना कोई अनहेल्दी चीज़ न खाएं.
7. क्या प्रेग्नेंसी के दौरान कैफ़ीन का सेवन किया जा सकता है?
अगर आप भी उन महिलाओं में हैं, जिनका कॉफ़ी के बिना नहीं चल सकता तो आपके लिए अच्छी बात यह है कि बहुत सीमित मात्रा में कॉफ़ी का सेवन करने से आपको किसी तरह का नुक़सान नहीं पहुंचेगा. हां, प्रेग्नेंसी के दौरान बहुत ज़्यादा कॉफ़ी पीने को रिसर्चर्स मिस कैरेज से जोड़कर देखते हैं, हालांकि इस बारे में अभी तक कोई पुख्ता रिपोर्ट नहीं आई है. फिर भी अगर आपको कॉफ़ी पीने का बहुत ज़्यादा मन करे तो अपने डॉक्टर से कंसल्ट कर लें.
8. क्या मुझे प्रेग्नेंसी के समय दो लोगों का खाना खाना चाहिए?
बिल्कुल नहीं, यह एक मिथक है कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को दो लोगों का खाना खाना चाहिए. आपको खाने की मात्रा को डबल करने के बजाय पौष्टिक चीज़ें खाने पर ध्यान देना चाहिए. वैसे भी प्रेग्नेंसी के पहले ट्रायमिस्टर के दौरान आपको अतिरिक्त कैलोरीज़ की ज़रूरत नहीं पड़ती, वहीं दूसरे ट्राइमिस्टर में प्रतिदिन 340 एक्स्ट्रा कैलोरीज़ और तीसरे ट्रायमिस्टर के दौरान लगभग 350 अतिरिक्त कैलोरीज़ की ज़रूरत होती है. आपको जितने अधिक कैलोरीज़ की ज़रूरत होती है उतनी अतिरिक्त भूख आपको लग जाएगी.
9. क्या स्ट्रेच मार्क्स से बचने का कोई तरीक़ा है?
प्रेग्नेंसी के दौरान बेली की साइज़ बढ़ने के साथ लाल स्ट्राइप्स वाले स्ट्रेच मार्क्स बट्स, ब्रेस्ट्स और थाइज़ पर दिखने लगते हैं. उनसे बचने के लिए कई तरह के लोशन या तेल लगाने की सलाह दी जाती है, पर सच्चाई यह है कि स्ट्रेच मार्क्स को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता है. हालांकि अच्छी बात यह है कि ज़्यादातर महिलाओं में बच्चे के जन्म के बाद ये स्ट्रेच मार्क्स हल्के पड़ने लगते हैं. स्ट्रेच मार्क्स की समस्या पर्मानेंट न हो जाए इसके लिए आपको यह ध्यान रखना होगा कि ज़रूरत से ज़्यादा वज़न न बढ़ने पाए. और टॉपिकल लोशन्स आदि भी काम के साबित हो सकते हैं, क्योंकि ये स्ट्रेच मार्क्स को सफ़ेद धारियों में बदलने से रोकते हैं. लाल धारियों वाले स्ट्रेच मार्क्स से पूरी तरह छुटकारा पाया जा सकता है, पर सफ़ेद धारियों वाले स्ट्रेच मार्क्स बहुत ही ज़िद्दी होते हैं.
10. क्या वेजाइना का शेप बच्चे के जन्म के बाद हमेशा-हमेशा के लिए चेंज हो जाएगा?
नॉर्मल डिलिवरी के दौरान वेजाइना को काफ़ी कुछ झेलना पड़ता है. जिन महिलाओं का पोस्ट प्रेग्नेंसी वज़न आसानी से कम हो जाता है और जिनकी पेल्विक फ़्लोर की मसल्स स्ट्रॉन्ग होती हैं, उनकी वेजाइना दोबारा पहले जैसी शेप में आ जाती है. लेकिन असिस्टेड डिलिवरीज़ (जब डॉक्टर्स बेबी को बाहर निकालने के लिए वैक्युम या चिमटी का इस्तेमाल करते हैं) में वेजाइना को रिकवरी के लिए थोड़ा अधिक समय लगता है. वैसे भी वेजाइना एक बेहद लचीला अंग है, बच्चे के जन्म के कुछ महीनों बाद उसका पुराना शेप लगभग रीगेन हो जाता है. पेल्विक फ़्लोर एक्सरसाइज़ (जिसे कीगल एक्सरसाइज़ भी कहते हैं) की मदद से वेजाइना को शेप में जल्दी लौटाने में मदद मिलती है.
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