पत्रकार-कवि सुनील कुमार की यह कविता वैसे तो है बड़ी ही छोटी सी, पर इसके मायने बहुत बड़े हैं. क्यों हमें अपने सामने हो रहे अत्याचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए, भले ही वह हम पर न हो रहा हो… इस बात को समझा जाती है कविता ‘याद रखना’.
दोस्त,
अपनी चुप्पी के बीच
याद रखना,
जो लोग पहले
दुश्मनों को
मारते हैं,
दुश्मन ख़त्म
हो जाने पर,
वे दोस्तों के लिए
आते हैं
पहले दूर के
दोस्तों के लिए
फिर क़रीबी के लिए
ज़ुबान को लहू लगा
तो फिर वह लत
बन जाता है…
अपनी चुप्पी के बीच
याद रखना दोस्त…
सुनील कुमार एक अख़बारनवीस हैं, जो छत्तीसगढ़ में काम करते हैं. वे ‘छत्तीसगढ़’ नाम के एक अख़बार के संपादक हैं.
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