आजकल तस्वीरें लेने का चलन इतना ज़्यादा हो गया है, कि हम हर हर बात पर सेल्फ़ी लेने लग जाते हैं. हर दिन की कई तस्वीरें. इनके साथ हमारी यादें जुड़ी होती हैं. मीनाक्षी विजयवर्गीय की यह कविता उन्हीं तस्वीरों को समर्पित है.
ले लेने दो एक तस्वीर हमें भी
इन लम्हों के साथ
क्या पता कल हम हों
या यह ना हो हमारे साथ
यादों के मोती की माला पहन
कभी ख़ुशी से झूम उठे
या फिर आंखों में आंसू भर आए
याद कर उनको जो मुझसे हैं रूठे
हंसी ख़ुशी के ताने-बाने में
कुछ गम की गांठें भी लगाई है
यह तो देने वाला ही जाने
जिसने ज़िंदगी बनाई है
रात बड़ी ना दिन छोटा
सब समय का फेर
हम तुम उसकी रचना
तुलना कर क्यों पालें बैर
हम मिट्टी के जीवों को
मिट्टी की ख़ुशबू भाती है
काली हो कैसी भी रात
समय गुज़रते चटक धूप आ जाती है
इस जीवन के पल हैं कितने
कितने झूठे कितने अपने
देख रहे हैं सब सपने
इन सपनों की दुनिया में
कुछ अलग मजा है तस्वीरों का
ख़ुद काली सफ़ेद हो भले ही
पर देखने वालों की यादें हरी कर जाती है
हर तस्वीर की है एक अलग कहानी
जो देखे वो जाने है
पल पल ख़त्म होती दुनिया में
नई ज़िंदगी दे जाती है
किसी की कलम बोलती
कागज पर लिखावट बोलती
शायद मेरी तस्वीर भी बोले
तो फिर आओ ले लें आज
एक तस्वीर इन लम्हों के साथ
Illustration: Pinterest