तो आप भी उन लोगों में से हैं, जो अपने बच्चे का स्क्रीन टाइम कम करना चाहते हैं? हम आपसे कहना चाहते हैं कि यह काम करने के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है. हाल ही में, बच्चों के स्कूल शुरू हो गए हैं. ऐसे में आप उनके लिए नए नियम और नए रूटीन सेट करेंगे तो वे इसे लेकर बहुत विरोध नहीं करेंगे. यहां हम आपको तीन से ग्यारह वर्ष तक के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम कम करने के व्यावहारिक तरीक़े सुझा रहे हैं.
जब हम बड़े हो रहे थे तो हमारे पास स्क्रीन के नाम पर केवल टीवी ही था. लेकिन आजकल के बच्चों के पास टीवी के अलावा स्मार्ट फ़ोन, टैबलेट्स, लैपटॉप्स और डेस्कटॉप्स मौजूद हैं. और यही नहीं, इसके साथ-साथ इंटरनेट पर गेम्स और सूचनाओं का ऐसा जाल है, जहां बच्चे घुसते चले जाते हैं और उनका स्क्रीन टाइम ज़रूरत से कहीं ज़्यादा हो जाता है. यह उनके विकास पर असर डाल सकता है. अत: यदि आप भी उन पैरेंट्स में से हैं जो अपने बच्चों के स्क्रीन टाइम को कम करना चाहते हैं तो इन सुझावों को अमल में लाएं:
स्क्रीन टाइम और स्क्रीन के इस्तेमाल को लेकर नियम बनाएं
अपने बच्चे के स्कूल टाइम और अपने काम/ऑफ़िस के समय को देखते हुए अपने घर के लिए स्क्रीन टाइम को लेकर नियम बनाएं, ताकि बच्चों को पता है कि हमारी स्क्रीन देखने की सीमा कितनी है. अपने घर के लिए इस तरह के नियम बनाते हुए आप वीकडेज़ और वीकेंड की दिनचर्या को ध्यान में रखें. सप्ताह का एक दिन ‘स्क्रीन फ्री’ रखा जा सकता है, जिसका पालन परिवार के हर सदस्य को करना होगा, जिसमें पैरेंट्स भी शामिल होंगे. क्योंकि कहते हैं न कि आप बच्चों को अपने उदाहरण से बहुत कुछ सिखा सकते हैं.
इसके अलावा यह भी तय किया जा सकता है कि गैजेट्स का इस्तेमाल बच्चे अपने कमरे में नहीं कर सकते. जब भी उन्हें स्क्रीन वाले गैजेट्स का इस्तेमाल करना हो, उन्हें कॉमन एरिया, जैसे- लिविंग रूम, डायनिंग रूम में ही इन गैजेट्स का इस्तेमाल करना होगा. नियम इस तरह के भी बनाए जा सकते हैं कि वे अपना होमवर्क करने के बाद, खेल के आने के बाद ही स्क्रीन देख सकते हैं. या फिर खाना खाते हुए, मेहमानों के आने पर वे स्क्रीन बिल्कुल नहीं देख सकते हैं.
रूटीन में स्क्रीन टाइम का कोटा तय करें
आप अपने बच्चों के लिए यह तय कर सकते हैं कि दिनभर में वे कुल मिलाकर केवल एक घंटे ही स्क्रीन देख सकते हैं. यह उन पर छोड़ दें कि वे दिन का कौन सा समय चुनते हैं, वे इस समय को दो भागों में बांट कर कुछ देखना चाहते हैं या टीवी या इंटरनेट पर कौन सा प्रोग्राम देखना चाहते हैं. यह तय कीजिए कि स्क्रीन के इस्तेमाल से पहले वे आपसे इजाज़त लेंगे. और समय का ध्यान रखते हुए, जब उनका समय ख़त्म होने वाला हो, उसके पांच या 10 मिनट पहले आप उन्हें बताइए कि अब केवल 10 मिनट बचे हैं, जिसके बाद आपको टीवी/फ़ोन/गेम बंद करना है.
यदि बच्चे इस बात से सहमत न हों तो अपने ऊपर भी सख़्ती कीजिए, उन्हें बताइए कि बच्चों के साथ-साथ आप बड़े भी वही रूटीन फ़ॉलो करेंगे (ज़ाहिर है, काम के अलावा!). और आप ख़ुद भी अपने स्क्रीन टाइम को कम कीजिए. जब वे आपको ऐसा करते देखेंगे तो वे भी ऐसा करेंगे.
इस रूटीन को अमल में लाएं
आपने जो भी रूटीन बनाया है, उसे अमल में लाएं. न ख़ुद कोई कोताही करें ना ही बच्चों को करने दें. वह समय जो स्क्रीन के लिए तय किया गया है, केवल उसी में स्क्रीन वाले किसी भी तरह के गैजेट का उपयोग करें. इसके अलावा यदि बच्चे आपसे गैजेट्स देने के लिए कहें तो उन्हें बिल्कुल न दें. दो-चार दिनों की सख़्ती के बाद उन्हें ख़ुद ब ख़ुद ऐसा करने की आदत हो जाएगी. पर जब तक उन्हें आदत न हो आपको उनका और अपना स्क्रीन टाइम बिल्कुल बनाए गए रूटीन के अनुसार रखना होगा.
बच्चों की हॉबीज़ बनाएं, उनके साथ खेलें
यदि आप ज़रा सी कोशिश करेंगे तो आपके बच्चे के भीतर कोई न कोई रुचि पैदा हो ही जाएगी. मसलन- पेंटिंग, ड्रॉइंग, सिंगिंग, आउटडोर गेम्स, इनडोर गेम्स, कुकिंग वगैरह. हर दिन थोड़ा समय उनकी हॉबीज़ के लिए रखें. आप उनके साथ खेल भी सकते हैं. चेस, कैरम जैसे इनडोर गेम्स या फिर बैडमिंटन, फ़ुटबॉल जैसे आउटडोर गेम्स. या फिर उन्हें कभी डॉक्टर, कभी प्लम्बर, कभी टीचर, कभी पुलिस तो कभी कोई और रोल निभाने कहें. इस तरह वे जान सकेंगे कि कितने तरह के प्रोफ़ेशन्स होते हैं. लोग किस-किस तरह के काम करते हैं और यह बात उनके जीवन में इन सभी लोगों के साथ अच्छी तरह पेश आने के काम भी आएगी. एक बार वे स्क्रीन्स से डिस्ट्रैक्ट हो कर इस ओर मुड़ गए तो न सिर्फ़ उनका स्क्रीन टाइम कम हो जाएगा, बल्कि उनकी आपके साथ बॉन्डिंग भी बढ़ेगी.
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